[अनंंत विजय] अभिनेता सलमान खान ने गुरुवार को एक ट्वीट किया- सबको बहुत धन्यवाद, मेरे करियर का सबसे बड़ा ओपनिंग देने के लिए, पर मुझे जिस पल सबसे ज्यादा खुशी मिली या मैं जब सबसे अधिक गौरवान्वित हुआ वह क्षण था जब मेरी फिल्म में राष्ट्रगान बजा और मैं उसके सम्मान में खड़ा हो गया। अपने देश के लिए इससे बड़ा सम्मान क्या हो सकता है। जय हिंद और हैश टैग के साथ भारत।

सलमान खान अपनी नई फिल्म ‘भारत’ की बात कर रहे थे। अब तक सलमान के इस ट्वीट को एक लाख से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं और ये बारह हजार से ज्यादा रीट्वीट हो चुका है। दरअसल यह ट्वीट सलमान खान ने बुधवार को रिलीज हुई अपनी फिल्म ‘भारत’ को मिली बंपर ओपनिंग से खुश होकर किया था। इस फिल्म ने पहले ही दिन 42 करोड़ रुपये से अधिक का बिजनेस किया। ईद का दिन भी था। ये सलमान की अब तक की किसी भी फिल्म की ओपनिंग की कमाई से अधिक है।

इसके पहले 2015 की दीवाली पर आई सलमान की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ को 39 करोड़ 32 लाख रुपये की ओपनिंग मिली थी जो अब तक उनके फिल्मी करियर की सबसे बड़ी ओपनिंग थी। ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक अब तक सलमान की ईद पर रिलीज होनेवाली फिल्मों में सबसे बड़ी ओपनिंग फिल्म ‘सुल्तान’ को मिली थी, जिसने पहले दिन 36.5 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था।

सलमान की फिल्म ‘भारत’ को ये रिकॉर्डतोड़ सफलता तो तब मिली जब पहले ही दिन ज्यादातर फिल्म समीक्षकों ने इस फिल्म को कमजोर करार दिया था। कोरियाई फिल्म ‘ओड टू माई फादर’ के आधार पर भारत पाक विभाजन की थीम पर बनी इस फिल्म को समीक्षकों ने कमजोर करार दिया था। सलमान की यह फिल्म क्रिटिक कैटेगरी में भले ही अच्छा नहीं कर पाई, पर पॉपुलर कैटेगरी में बंपर सफलता हासिल की। तीन दिन में इस फिल्म ने 95 करोड़ से अधिक का बिजनेस कर लिया और उम्मीद जताई जा रही है कि रविवार को फिल्म ‘भारत’ 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो यह सलमान की 14वीं फिल्म होगी जो 100 करोड़ से अधिक का बिजनेस करेगी।

एक के बाद एक लगातार सफल फिल्में देकर सलमान खान ने साबित कर दिया है कि लोगों पर उनका जादू बरकरार है। ये देखना होगा कि किस वजह से उनका जादू दर्शकों के सर चढ़कर बोल रहा है। एक तरफ शाहरुख खान हैं जो ढलती उम्र के साथ एक अदद सफलता की तलाश में हर तरह की फिल्में करने का जोखिम उठा रहे हैं, पर सफलता उनके हाथ नहीं लग रही है। आमिर खान की फिल्म ‘ठग्स ऑफ हंिदूोस्तान’ औंधे मुंह गिरी है। ऐसे में सलमान की फिल्मों की बंपर सफलता के मायने क्या हैं। पिछले दो सालों में ईद के मौकों पर रिलीज सलमान की फिल्म ट्यूबलाइट और रेस-3 ने औसत बिजनेस किया था। कहा जाने लगा सलमान के दिन अब लद गए। लेकिन ‘भारत’ ने सलमान के बारे में बन रही इस अवधारणा का निषेध कर दिया है।

सलमान खान की फिल्मों की सफलता का कारक उनकी ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन छवि दोनों का समुच्चय है। उनकी ऑन स्क्रीन छवि की बात करें तो फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ की नायिका विद्या बालन का उसी फिल्म का एक संवाद याद आता है। एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट। सलमान खान की फिल्में भी एंटरटेनमेंट ही होती हैं। किसिंग सीन नहीं होते, बेड सीन नहीं होता यानी एक साफ सुथरी फिल्म जिसे आप परिवार के साथ देख सकते हैं। फिल्म ‘भारत’ में दिशा पटनी एक डांस सीक्वेंस में अचानक आकर सलमान खान के गाल पर किस कर लेती हैं जिसको सलमान की फिल्म में किसिंग सीन कहकर प्रचारित किया गया। लेकिन फिल्म में जब दर्शक वह गाना देख रहे होते हैं तो ये सीन कब निकल जाता है, पता भी नहीं चलता। न किसिंग सीन है और न ही दर्शकों को उसे दिखाने का कोई मकसद। बहुत ही नैचुरल तरीके से वो सीन आता है और एक सेकेंड से भी कम समय में चला जाता है।

अपनी ज्यादातर फिल्मों में सलमान एक नायक के तौर पर किसी न किसी परिवार के साथ खड़ा दिखता है। किसी परिवार पर आई मुसीबत से उनको बचाने की कोशिश करता दिखता है। सलमान की फिल्मों की कहानियों में परिवार की एक अंतर्धारा रहती है जो जो शुरू से लेकर अंत तक फिल्म में चलती रहती है। चाहे वो फिल्म वांटेड हो, सुल्तान हो, दबंग या किक हो, सभी फिल्मों में आपको परिवार को बचाने या उसको जोड़ने की एक धारा दिखाई देती है। इसलिए जब दर्शक फिल्म को देख रहा होता है तो फिल्म की इस पारिवारिक अंतर्धारा से खुद का जुड़ाव महसूस करता है। यही जुड़ाव दर्शकों को बार-बार सलमान की फिल्म देखने के लिए हॉल तक खींच लाता है। सलमान खान की फिल्मों में हिंसा होती है, लेकिन वह जुगुप्साजनक नहीं होती है। मार-पीट, खून-खराबा सब होता है, लेकिन जिस तरह की हिंसा हाल के दिनों में कुछ फिल्मों और वेब सीरीज में दिखाई जाती है वो यहां नहीं होती है।

फिल्म ‘भारत’ का एक डायलॉग है- देश लोगों से बनता है और लोगों की पहचान उनके परिवार से होती है। तुझमें पूरा देश है भारत। यह एक फिल्म का डायलॉग भर नहीं है, अगर इसको सलमान की निजी जिंदगी पर भी लागू करके देखें तो वहां फिट बैठता है। सलमान की एक पहचान परिवार से भी होती है। यह ठीक है कि सलमान खान सुपरस्टार हैं, उनकी फिल्मों की अपार सफलता के बाद उनको किसी और परिचय की जरूरत नहीं है, लेकिन बार-बार अपनी निजी जिंदगी में सलमान अपने परिवार के साथ ही दिखाई देते हैं। अकारण ऐसी खबरें नहीं आती हैं कि सलमान की फिल्में उसके पिता सलीम खान सबसे पहले देखते हैं और फिर वो जो बदलाव सुझाते हैं उस पर अमल होता है।

सलमान की अपनी मां और बहनों के साथ की तस्वीरें आती हैं। अपने भाई और उनके परिवार को साथ लेकर चलने के किस्से सुनने को मिलते हैं। इतना यश और पैसा कमाने के बावजूद अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से फ्लैट में रहना, मां के हाथ का बनाया खाना खाना आदि, इन सबका असर भी भारतीय जनमानस पर पड़ता है। जब सलमान की फिल्में आती हैं तो दर्शकों के अवचेतन मन में बसी सलमान खान की ये छवि उसको सिनेमा हॉल तक लेकर जाती हैं।

इसके अलावा उनका दर्शकों से एक कनेक्ट है। दर्शकों से सलमान के जुड़ाव की गुत्थी को बहुधा फिल्म समीक्षक पकड़ नहीं पाते हैं। जब भी उनकी फिल्म आती है तो फिल्म क्रिटिक बहुत ही पारंपरिक व सैद्धांतिक तरीके से उनकी फिल्मों का आकलन करते हैं। सलमान की फिल्मों को ज्यादातर समीक्षक ठीक ही कसौटी पर कसते होंगे, लेकिन पारंपरिक तरीके से सलमान खान की फिल्म और उसकी सफलता-असफलता का आकलन संभव नहीं है। अभी अभी संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में एक बात की खूब चर्चा रही कि चुनाव का आकलन अंकगणित के आधार पर नहीं, केमिस्ट्री के आधार पर करना होगा।

लोकसभा चुनाव के पहले ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों ने नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी और भाजपा की संभावनाओं को चुनावी अंकगणित के आधार पर विश्लेषित करने की कोशिश की और जब नतीजे आए तो अधिकांश आकलन गलत निकले। मोदी की जनता के साथ केमिस्ट्री ऐसी थी जिसको राजनीतिक पंडित पकड़ नहीं पाए।

क्या सलमान खान की भी दर्शकों के साथ ऐसी ही केमिस्ट्री है जिसको फिल्मी पंडित पकड़ नहीं पाते हैं। जिस फिल्म को वे औसत बताते हैं वे फिल्में चार दिन में ही 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो जाती हैं। सलमान की फिल्मों के आकलन का मानदंड बदलता है या नहीं, उसको देखने के लिए अगले ईद तक इंतजार करना होगा जब संजय लीला भंसाली की फिल्म में सलमान और आलिया की जोड़ी दिखेगी।

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