[अंशुमाली रस्तोगी]। वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर जबरदस्त बहस छिड़ गई है। निजता किसी भी व्यक्ति का मौलिक एवं संवैधानिक अधिकार है। यह इंटरनेट मीडिया कंपनियों का फर्ज बनता है कि वे व्यक्ति की निजता का सम्मान करें और उसे सुरक्षित भी रखें, किंतु यहां होता उल्टा है। हालांकि फेसबुक या वाट्सएप पर आने वाली नितांत निजी तस्वीरों को देखकर कभी-कभी लगता है कि हमें ही अपनी निजता की कोई परवाह नहीं। इंटरनेट मीडिया पर क्या डालना है, क्या नहीं डालना यह सोचे-विचारे बिना ही हम यहां कुछ भी उड़ेल देने को बेताब रहते हैं। फिर ऐसा-वैसा कुछ हो जाता है तब रोते हैं। यह न भूलिए कि खुद की निजता पर अंकुश खुद के ही हाथों में है। 

सीधी-सी बात है कि सभी कंपनियां ग्राहकों को अपना उत्पाद समझती हैं। वे उनकी निजता को बेचकर पैसा बनाती हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं रहता कि इसका दुष्प्रभाव किस पर कैसा पड़ रहा है। उनके लिए हम सब बाजार के हिस्से हैं। उनके हित निजी जानकारियों को बेचने तक ही सीमित हैं। वैसे भी इंटरनेट मीडिया पर किसी का कुछ भी अब निजी रहा नहीं। जन्मदिन से लेकर हनीमून तक की निजी तस्वीरें यहां बड़े आराम से साझा की जाती हैं।

वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर इतना हो-हल्ला किसलिए

गूगल, फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर को यह पता रहता है कि हम कहां घूम रहे हैं। किसके साथ हैं। क्या खा-पी रहे हैं। परिवार में किसका जन्म हुआ, कौन मरा। जब आपको अपना निजी सबकुछ ही इंटरनेट मीडिया के हवाले कर देना है तो फिर वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर इतना हो-हल्ला किसलिए! फिर करने दीजिए न उसे भी आपकी निजी जानकारियां किसी से भी शेयर। क्या हर्ज है।फेसबुक या वाट्सएप पर अपनी निजताएं साझा करना अक्सर भेड़चाल का हिस्सा भी लगता है। 

क्या यह हमारा दोहरा मापदंड नहीं

अगर सामने वाले ने विदेशी जाने की तस्वीरें अपने फेसबुक पर डाली हैं तो भला हम क्यों पीछे रहें। सामने वाला अगर चिकन खाते हुए तस्वीर साझा कर रहा है तो उससे भी कुछ अच्छा खाते हुए साझा करेंगे। यह क्या शाह-मात का कोई खेल है, जिसे जबरन ही खेला जाना जरूरी है। आप घर या बाहर क्या करते हैं, क्या नहीं करते इसे निजी रखिए न। क्यों जरा-जरा-सी बातें पब्लिक डोमेन में लेकर आते हैं। फिर जब कुछ लीक हो जाता है, तब इंटरनेट मीडिया को कोसते हैं। क्या यह हमारा दोहरा मापदंड नहीं है।

निजता को बचाने की जिम्मेदारी हमारी खुद की

जाहिर है फेसबुक या वाट्सएप या अन्य किसी भी इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर अपनी निजता को बचाने की जिम्मेदारी हमारी खुद की है। साथ ही सरकार को भी इस दिशा में बहुत गंभीरता से सोचना होगा। सख्त नियम-कानून बनाने होंगे। कोई भी कंपनी अपने फायदे के लिए किसी की भी निजता को भंग न करे। इंटरनेट मीडिया आज की तारीख में हर किसी की जरूरत है। इस जरूरत का विशेष ध्यान रखना व्यक्ति और सरकार दोनों की ही जिम्मेदारी है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)