नीर

पानी का महत्व आज बताने की जरूरत नहीं है। सृष्टि की शुरुआत से लेकर अब तक इसकी महत्ता हर जगह परिलक्षित होती है। पानी का महत्व किसी प्यासे से पूछिए। गला तर करने के लिए कोई तरल इसका विकल्प नहीं है। जल जीवन का पूरक है। दूसरे ‌र्ग्रहों पर पानी की पड़ताल शायद इसी मूलभावना के तहत की जा रही है। हमारी सोच, समाज और संस्कृति में पानी रचा-बसा है। अफसोस यह है कि आज हम इस मर्म को समझते हुए भी नासमझ बनने की नादानी करते हैं। हमारी आंखों का 'पानी' मर चुका है, इसीलिए इस संकट की तस्वीर हमें धुंधली भी नहीं दिखाई दे रही है।

क्षीर

प्रकृति बहुत उदार है। मानवता की भलाई के लिए वह अपना सर्वस्व समर्पण करती है। पहले पानी सहित सारे प्राकृतिक संसाधन धरती पर संतुलित थे। तब लोग बैंक में जमा धन पर मिलने वाली ब्याज की तरह पानी का इस्तेमाल करते थे। यानी बारिश और मानसून की बूंदों को साल भर धरती के पेट में पहुंचाते थे। इससे धरती के गर्भ में जमा पानी यानी मूलधन यथावत रहता था और भंडारण किए गए बारिश के जल का ब्याज के रूप में साल भर इस्तेमाल करते रहते थे।

पीर

अब यह प्राकृतिक नियम खत्म हो गया है। एक तो हम धरती की कोख से पानी का दोहन कर रहे हैं ऊपर से बारिश के पानी को धरती के पेट तक पहुंचाने का उपक्रम करने से भी बचते हैं। धरती के अधिकांश हिस्से का तेजी से कंक्रीटीकरण होने से वर्षा जल भंडारण का स्वत:स्फूर्त प्राकृतिक तंत्र अवरुद्ध हो चुका है। नतीजतन तमाम जलस्त्रोतों से होकर समुद्र में जाकर बर्बाद हो जाता है। ऐसे में मानसूनी बारिश के पानी को सहेजकर साल भर पानीदार बने रहने की कला आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

जनमत

क्या बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए आम जनता जागरूक है?

नहीं 45 फीसद

हां 55 फीसद

क्या वर्षा जल संरक्षण के लिए बने नियमों का वाकई पालन किया जाता है?

नहीं 83 फीसद

हां 17 फीसद

आपकी आवाज

जमीन के नीचे गिरते जल स्तर को रोकने के लिए सरकार ने नियम तो बनाए हैं पर उस पर अमल हो भी रहा है कि नहीं इसकी जांच होनी चाहिए। वर्षा जल संरक्षण के लिए बनाए गए नियमों का कड़ाई के साथ पालन होना चाहिए। -मनीषा श्रीवास्तवजिस तरह चुनाव आयोग ने मतदाता जागरुकता अभियान चलाया, उसी की तर्ज पर वर्षा जल संरक्षण जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए। - @संजयराइस जीमेल.कॉम

जल ही जीवन है, हमें इस पंक्ति को नहीं भूलना चाहिए। जल संरक्षण के प्रति जागरुकता लाना सरकार के साथ हमारी भी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें हर रोज अपने आस-पास पानी की होने वाली बर्बादी को रोकना होगा। -अभिनव4667एटदेरेटजीमेल.कॉम

अधिकतर नियमों की तरह वर्षा जल संचयन नियम भी कागजों में ही रहता है, यथार्थ के धरातल पर नहीं उतरता। बिना पानी सब सून का मर्म जब समझा जाएगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। -सचिनकुमार8778@जीमेल.कॉम

नदियों, तालाबों, कुओं को पाटकर अवैध कालोनियों का निर्माण हो रहा है। जल संरक्षण के प्राकृतिक संसाधन हमारी लालच की वजह से सिकुड़ते जा रहे हैं। -अवनींद्रसिंह3@जीमेल.कॉम

जल ही जीवन का नारा लगाने वाला देश इसके संरक्षण के लिए परेशान हो रहा है। दुर्भाग्य से यह स्थिति तब है जब सबको पता है कि अगला विश्वयुद्ध जल के लिए होगा। -धर्मेद्र कुमार दूबे438@जीमेल.कॉम

बारिश के पानी के संरक्षण को लेकर आम जनता में कोई जागरुकता नहीं है। पानी बचाने के साथ-साथ जल संरक्षण की भी जानकारी दी जानी चाहिए। -अनीताशर्मा327@जीमेल.कॉम

जल भंडारण को मल्टी स्टोरी इमारतों के लिए अनिवार्य कर देना चाहिए तथा आम घरों की छतों पर वर्षा के जल को संचित करने हेतु निर्माण का कानून बनाना चाहिए। -संजयसाप99@जीमेल.कॉम

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