डा. हिमंत बिस्वा सरमा। जब कोरोना वायरस आपके किसी करीबी को संक्रमित करता है, तब आप क्या सोचते हैं? यही न कि वह व्यक्ति जल्द स्वस्थ हो, ताकि संक्रमण और न फैले। वहीं जब कोई व्यक्ति ड्रग्स यानी मादक पदार्थों का सेवन कर रहा होता है, तब आप उसे नजरअंदाज कर देते हैं! क्यों? ड्रग्स का सेवन भी तो जानलेवा है। यह भी एक महामारी है। ड्रग्स का दानव न केवल जिंदगियां और परिवार तबाह कर रहा है, बल्कि इसका काला कारोबार राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का अहम स्नेत बना हुआ है। अलगाववादी-आतंकी संगठनों के लिए यह बहुत कमाऊ खेल है। इसी समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी बुराई पर नकेल कसने के लिए असम में हम युद्धस्तर पर जुटे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मेरा अनुभव बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है। हमारी सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति और सटीक रणनीति से ड्रग तस्करों पर प्रहार करने में लगी है। इसके उत्साहवर्धक नतीजे भी मिल रहे हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय के एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में छह करोड़ से भी अधिक लोगों को ड्रग्स की लत लगी हुई है। इनमें भी अधिकांश किशोर और युवा हैं। यानी देश की युवा पीढ़ी को नशे का शिकार बनाकर उन्हें अपराध एवं अवसाद की दलदल में धकेला जा रहा है।

इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने गत वर्ष 15 अगस्त को ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की थी। इसके लिए देश के उन 272 जिलों को चुना गया, जहां सबसे ज्यादा लोग नशे की चपेट में हैं। उनमें नौ जिले असम के भी हैं। दरअसल असम की भौगोलिक स्थिति अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों के लिए मुफीद रही है। ड्रग्स तस्करी के लिए दुनिया भर में कुख्यात ‘गोल्डन ट्रायंगल’ (म्यांमार, लाओस और थाइलैंड के बीच का इलाका) से नजदीक होने के कारण असम तस्करों के निशाने पर रहता है। वे असम को म्यांमार और शेष भारत के बीच एक कारिडोर के रूप में इस्तेमाल करने की फिराक में रहते हैं। ऐसी सूचना है कि प्रतिबंधित ड्रग्स की खेप मणिपुर और मिजोरम के रास्ते असम लाई जाती है। फिर यहां से दूसरे राज्यों में भेजी जाती है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रग्स तस्करी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि यह पूवरेत्तर में अलगाववादी संगठनों की फंडिंग का भी मुख्य स्रोत है। ड्रग्स तस्करी से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा अलगाववाद की आग को भड़काने में खर्च किया जा रहा है।

ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र (यूएनओडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल वैश्विक अफीम उत्पादन में अफगानिस्तान का योगदान 85 प्रतिशत था। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद विभिन्न एजेंसियों ने देश में ड्रग्स तस्करी बढ़ने की आशंका जताई है। इसका अर्थ है कि देश के पूवरेत्तर और पश्चिमोत्तर दोनों छोर अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों और राष्ट्र विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। सुकून देने वाली बात यही है कि इस चुनौती से निपटने के लिए हमारे पास मोदी जी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी के रूप में दृढ़ इच्छाशक्ति वाला निर्णायक नेतृत्व मौजूद है।

राष्ट्र की सुरक्षा हमारे लिए सवरेपरि है। असम के मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद मैंने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य में ड्रग्स के अवैध कारोबार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तस्करों की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को समाप्त करने और नई पीढ़ी को ड्रग्स के खतरे से बचाकर विकास गतिविधियों में सहभागी बनाने के लिए हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इसे सुनिश्चित करने के लिए हमने असम पुलिस को कानून के दायरे में रहकर कड़ी कार्रवाई करने की पूरी आजादी दी है। पुलिस इस आजादी का बखूबी उपयोग कर रही है। उसने ड्रग्स तस्करों के खिलाफ मुखर अभियान छेड़ रखा है। वह समन्वित तरीके से ड्रग्स माफियाओं के गिरोहों का सफाया कर रही है। कार्बी-आंगलोंग जिले में पुलिस ने जब बड़ी मात्र में ड्रग्स एवं दवाइयां बरामद कीं तो हमने न सिर्फ पुलिस की हौसला अफजाई की, बल्कि खुद जाकर उसे सार्वजनिक रूप से आग के हवाले किया। नौगांव में बड़ी मात्र में बरामद ड्रग्स पर भी हमने सार्वजनिक तौर पर बुलडोजर चलाया। इनके संदेश स्पष्ट हैं। असम ड्रग्स के अवैध कारोबार के लिए अब मुफीद ठिकाना नहीं रहेगा। इसके साथ ही पूवरेत्तर के अन्य राज्यों से समन्वय भी स्थापित किया गया है। अच्छी बात है कि इसमें सभी राज्यों का सहयोग मिल रहा है।

असम सरकार के संकल्प और मजबूत इरादों से पुलिस के अभियान को बल मिला है। आंकड़ों के आईने में इसे साफ देखा जा सकता है। मैंने इस साल 10 मई को मुख्यमंत्री पद संभाला था, तबसे 5 सितंबर 2021 के बीच प्रदेश में नारकोटिक्स एक्ट (एनडीपीएस) के तहत कुल 1250 मामले दर्ज हुए। इनमें 2162 लोगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही 35.5 किलो हेरोइन के अलावा बड़ी मात्र में अन्य नशीले पदार्थ जब्त हुए हैं। इनका अनुमानित बाजार मूल्य 231.31 करोड़ रुपये है। वहीं, इसी एक्ट के तहत 2020 में कुल 980 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें 1652 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी और 27.4 किलो हेरोइन के अलावा अन्य नशीले पदार्थ जब्त हुए थे। गोल्डन ट्रायंगल से आने वाली खेप के लिए असम को पारगमन केंद्र यानी ट्रांजिट प्वाइंट बनाने वाले तस्करों के करीब 80 फीसद नेटवर्क को नेस्तनाबूद कर दिया गया है। बचे खुचे ड्रग्स माफियाओं को भी अहसास हो जाना चाहिए कि असम में उनकी दाल नहीं गलने वाली। पुलिस उन्हें कभी भी और कहीं भी दबोच सकती है। बेहतर यही होगा कि वे या तो यह काला धंधा छोड़ दें या फिर असम से चले जाएं।

हमारा अभियान सिर्फ ड्रग्स का कारोबार खत्म करने तक ही सीमित नहीं है। हम त्रिस्तरीय रणनीति पर काम कर रहे हैं। लोगों को नशे के चंगुल से बचाने के लिए प्रदेश में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जो युवा इसके शिकार हो चुके हैं, उनके लिए नशा मुक्ति केंद्र चलाए जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि ड्रग्स के कारण राह से भटके युवा फिर से सही राह पर आएं और अपने परिवार तथा प्रदेश और देश के विकास में भागीदार बनें। उन्हें समझाना ही होगा कि वे उचित उपचार और काउंसलिंग के जरिये सही होकर ड्रग्स की लत से मुक्ति पा सकते हैं। इस अभियान की पूर्ण सफलता में हमारे लिए सर्व समाज का सहयोग भी बहुत आवश्यक है।

(लेखक असम के मुख्यमंत्री हैं)