[ नंदिनी सिन्हा ]: आज से ठीक 48 साल पहले दुनिया के मानचित्र पर एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ था। पश्चिमी पाकिस्तान का हिस्सा रहा यह मुल्क एक लंबे हिंसक संघर्ष के बाद स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आया। भारत ने भी इस नए देश के जन्म में सार्थक और सहयोगी भूमिका निभाई। इससे पहले बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। तब पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच राजनीतिक एवं आर्थिक मोर्चे पर होने वाले टकराव के बीज भाषा आंदोलन के दौरान ही पड़ गए थे। देश के राजकाज में पूर्वी पाकिस्तान की नहीं चलती थी। इसलिए वहां के बाशिंदों में नाराजगी स्वाभाविक थी।

1948 में उर्दू को लेकर पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लाभाषियों का आक्रोश उबल पड़ा था

वर्ष 1948 में यह तल्खी तब और बढ़ गई जब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने एलान किया कि देश की राष्ट्रभाषा उर्दू होगी। इस पर पहले से ही नाराज चल रहे पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लाभाषियों का आक्रोश उबल पड़ा। इसके बाद संघर्ष लगातार बढ़ता गया। 1958 से 1962 के बीच तथा 1969 से 1971 के बीच पूर्वी पाकिस्तान मार्शल लॉ के अधीन रहा।

पश्चिमी पाक के हुक्मरानों ने पूर्वी पाक को सैनिक अत्याचार से कुचलना शुरू कर दिया

1970-71 में पाकिस्तान के संसदीय चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की अवामी लीग ने बड़ी संख्या में सीटें जीतीं और सरकार बनाने का दावा किया, लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो को वह बात नागवार गुजरी। पूर्वी पाकिस्तान से निकली लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को पश्चिमी पाकिस्तान के हुक्मरानों ने सैनिक अत्याचार से कुचलना शुरू कर दिया। तब वही बलिदानी चेतना सशस्त्र मुक्ति संग्राम के रूप में प्रकट हुई।

पश्चिमी पाक के मंसूबों हुए नापाक, 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश हुआ स्वतंत्र

इस प्रकार 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा के साथ ही मुक्ति युद्ध प्रारंभ हो गया। पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ भारत ने बांग्लादेश मुक्ति संग्र्राम का समर्थन किया था। पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का नेतृत्व कर रहे जनरल एके नियाजी ने आखिरकार हार स्वीकार करते हुए अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इसे इतिहास में सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण भी माना जाता है। इस प्रकार 16 दिसंबर 1971 को पश्चिमी पाकिस्तान के नापाक मंसूबों के नाकाम होने के उपलक्ष्य में यह दिन हर साल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत के सहयोग से नए देश के रूप में बांग्लादेश का उदय

बहरहाल भारत के सहयोग से एक नए देश के रूप में बांग्लादेश का उदय तो हो गया, किंतु नए देश के नवनिर्माण की बड़ी और कड़ी चुनौती सामने थी। बड़े पैमाने पर गरीबी, मानव संसाधन की कमी, सीमित प्राकृतिक संसाधन, अकाल, चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक चुनौतियां भी बेहद आम थीं। इन सबके बावजूद मुक्ति संग्राम सेनानियों ने बांग्लादेश को ‘सोने का देश’ बनाने का सपना देखा। रवींद्रनाथ टैगोर के गीत ‘आमार सोनार बांग्ला’ को जब बांग्लादेश का राष्ट्रगान बनाया गया तो इसके पीछे देश की प्रगति ही राष्ट्रनिर्माताओं के जेहन में थी।

बांग्लादेश ने विकास से दुनिया के सामने पेश की मिसाल

तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद आज बांग्लादेश ने अपने विकास से दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। इस देश ने गरीबी में कमी, कम वजन वाले बच्चों की संख्या को घटाने, प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने, शिशु मृत्यु दर और जननी मृत्यु दर को कम करने में महती सफलता अर्जित की है। साथ ही कई तरह के रोगों को काबू करने में भी उसे उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है। पिछले वर्ष बांग्लादेश ने अपना पहला भू-स्थिर संचार उपग्रह, बंगबंधु-1 या बीडी लांच किया। वह उपग्रह भारत, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, फिलीपींस और इंडोनेशिया सहित बांग्लादेश और उसके आसपास के जल क्षेत्र पर क्यू-बैंड से कवरेज करता है।

बांग्लादेश सभी दक्षिण एशियाई देशों से बेहतर

विश्व आर्थिक मंच यानी डब्ल्यूईएफ द्वारा प्रस्तुत वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक में बांग्लादेशी सभी दक्षिण एशियाई देशों से बेहतर स्थिति में है। ऐसे सूचकांक की गणना आमतौर पर स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति सहित चार मापदंडों के आधार पर की जाती है ताकि किसी देश में लैंगिक समानता की स्थिति का पता लगाया जा सके। वर्ष 2018 में स्त्री-पुरुष समानता के मामले में बांग्लादेश 48वें स्थान पर रहा जबकि भारत 108वें स्थान पर था।

बांग्लादेश ने महिला सशक्तीकरण पर बहुत ध्यान दिया

मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व प्रधानमंत्री एवं प्रमुख विपक्षी नेता खालिदा जिया के रूप में देश की दोनों शीर्ष नेता महिलाएं ही हैं। बांग्लादेश ने महिलाओं के रोजगार के साथ आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्तीकरण पर बहुत ध्यान दिया। इसीलिए यहां कामकाजी वर्ग में महिलाओं की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है, जबकि भारत में मात्र 28 प्रतिशत।

बांग्लादेश का निर्यात 6.7 फीसदी से बढ़कर 2019 में 10.1 फीसद पहुंच गया

घरेलू उद्योगों की बढ़ती क्षमता के कारण बांग्लादेश का निर्यात 2018 के 6.7 फीसदी से बढ़कर 2019 में 10.1 प्रतिशत पहुंच गया। उसके कुल निर्यात में कपड़ा निर्यात का योगदान 84.2 फीसद है। रेडीमेड कपड़ा उद्योग में उसने खासी तरक्की की है। अमेरिका जैसे विकसित बाजारों में बांग्लादेशी कपड़ों की अच्छी-खासी मांग है।

बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक उद्यमी देश के रूप में अपनी पहचान बनाई

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश ने एक उद्यमी देश के रूप में अपनी खास पहचान बनाई है। बांग्लादेश विकास के इस स्तर पर पहुंच गया है कि वह न केवल भारत में निवेश की क्षमता रखता है, बल्कि भारतीय कंपनियों को अपने यहां निवेश के लिए आमंत्रित भी कर रहा है। कुछ महीने पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इकोनॉमिक फोरम द्वारा आयोजित इंडिया इकोनॉमिक समिट में मुख्य अतिथि के रूप में आई थीं। वहां उन्होंने भारतीय कंपनियों को अपने देश में निवेश का न्योता दिया। इस वक्त चीन की तमाम कंपनियां बांग्लादेश को अपना ठिकाना बना रही हैं।

बांग्लादेश की आर्थिक विकास दर अन्य दक्षिण एशियाई देशों से ज्यादा रहने की संभावना- विश्व बैंक

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल बांग्लादेश की आर्थिक विकास दर के अन्य दक्षिण एशियाई देशों से ज्यादा रहने की संभावना है। 1990 के बाद से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था चार-पांच प्रतिशत की दर से बढ़ी है। क्रय शक्ति भारिता यानी पीपीपी के संदर्भ में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 1991 में 890 डॉलर प्रति व्यक्ति से बढ़कर 2011 में 2,780 डॉलर प्रति व्यक्ति हो गई। कहना न होगा कि कोई भी देश न तो अपने बड़े क्षेत्रफल से ताकतवर होता है न ही अपनी बड़ी जनसंख्या से, बल्कि उसके विकास की गति ही उसकी ताकत को बयां करती है। बांग्लादेश वही उदाहरण पेश कर रहा है।

( लेखिका बांग्लादेश मामलों की शोध अध्येता हैं )