उत्तराखंड, कुशल कोठियाल। COVID-19: अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड भी कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है। कोरोना के खिलाफ उत्तराखंड की जीत लगभग तय हो गई थी, लेकिन जमातियों ने इसे बड़ी मुसीबत में तब्दील कर दिया है। पांच दिन पहले तक राज्यभर में इसके कुल सात पॉजिटिव केस थे, जिनमें से चार के स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। आज की तारीख में केवल तीन ही उपचारार्थ रहते, लेकिन पिछले पांच दिनों में जमातियों ने संक्रमण तेजी से फैलाया है।

जमातियों के आक्रामक एवं नकारात्मक रवैया : प्रदेश में इस समय अस्पतालों में भर्ती कुल तेईस पॉजिटिव मामलों में से बीस जमाती हैं। जमातियों के आक्रामक एवं नकारात्मक रवैये के कारण इन्हें चिन्हित करना भी मुश्किल हो रहा है। ये लोग खुद छिप रहे हैं और पकड़े जाने पर अपने संपर्क में आए लोगों की पहचान भी छिपा रहे हैं। इनकी अभद्रता पर काबू पाना भी स्वास्थ्यकर्मियों तथा पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा है। राज्यवासी यह पूछ रहे हैं कि ये जमाती किस तरह की शिक्षा लेकर आए हैं, जिन्हें न अपनी जान की फिक्र है और न दूसरों की जान लेने से कोई गुरेज।

जमातियों की आमद ने संकट गहरा दिया : अब जबकि प्रदेश की सरकार ने इन्हें कड़ी चेतावनी दी है तो अब कुछ जमाती आगे आ रहे हैं, लेकिन रवैया बेहद खराब है। कोरोना के खिलाफ सरकार का प्रारंभिक रवैया काफी लचीला रहा, अब जबकि जमातियों की आमद ने संकट गहरा दिया है तब जाकर सरकार कुछ सख्ती दिखा रही है। लोगों का मानना है कि मौजूदा हालात से बाहर निकलने के लिए सरकार को ज्यादा सतर्कता और सख्ती दिखानी होगी।

फोटो खिंचवाने के बहाने : लॉकडाउन का यह दौर प्रदेश के उन नेताओं पर भारी पड़ रहा है, जिन्हें किसी न किसी बहाने मीडिया में छाने की आदत है। भाजपा समेत अन्य दलों के नेता महामारी में भी मीडिया में आने के बहाने तलाश ले रहे हैं। कभी राहत बांटने के बहाने तो कभी मास्क एवं सैनिटाइजर के बहाने फोटो के अवसर बना ले रहे हैं। यह प्रवृत्ति कुछ सामाजिक संगठनों में भी देखी जा रही है। लगता है कि बिना फोटो छपे उनकी समाज सेवा परवान चढ़ने वाली नहीं है। छपास की इस भूख में राहत के लिए सुपात्र खोजने की भी जहमत नहीं उठाई जा रही है। कई गैरजिम्मेदाराना लोग राहत सामग्री से घर भरने की फिराक में हैं तो कई जरूरतमंदों तक राहत पहुंच ही नहीं रही। जिला प्रशासन ने अब सुपात्रों को ही राहत पहुंचाने की पहल की है तथा व्यवस्था भी बनाई है।

चार धाम यात्रा और कुंभ पर भी प्रभाव : लॉकडाउन का असर 26 अप्रैल से शुरू होने जा रही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर भी पड़ सकता है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सरकार का स्वाभाविक रूप से यह प्रयास रहेगा कि चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में भीड़ न जुटे। इसे देखते हुए चारधाम के कपाट खुलने पर उन्हें सिर्फ पूजा तक सीमित किया जा सकता है। यानी वहां सीमित संख्या में पुजारी पूजा करेंगे।

हालांकि सरकार सभी परिस्थितियों पर विचार कर रही है और यात्रा के संबंध में 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल सरकार की शीर्ष प्राथमिकता कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम है। पूरा अमला इसमें जुटा हुआ है। इन परिस्थितियों में अभी चारधाम यात्रा की तैयारियां भी नहीं हो पाई हैं। अब तो चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद ये सभी व्यवस्थाएं खुद सरकार को ही करनी हैं।

सरकार के प्रवक्ता एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा है कि चारधाम यात्रा को लेकर सरकार सभी पहलुओं पर गंभीरता से मंथन कर रही है। चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बदरीनाथ के कपाट तय समय पर निर्धारित तिथियों को ही खुलेंगे। कपाट खुलने पर चारधाम में पूर्ववत पूजा पद्धति के हिसाब से सभी पूजा होगी। आगे की व्यवस्थाओं के संबंध में परिस्थितियों को देखकर निर्णय लिया जाएगा।

कोरोना का असर जनवरी 2021 से हरिद्वार में शुरू होने जा रहे कुंभ की भव्यता पर भी पडऩा तय है। कुंभ क्षेत्र में पहले ही निर्माण कार्यों में मशीनरी की शिथिलता सामने आ रही थी। इस पर अखाड़ा परिषद ने सरकार के सामने नाराजगी भी जताई थी। मुख्यमंत्री ने तैयारी संबंधी कार्यों में तेजी लाने के लिए मशीनरी के पेच कसे, लेकिन इससे पहले कि विभिन्न कार्यों में प्रगति आती, देश को कोरोना पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन में जाना पड़ा। अब कुंभ की तैयारियां अधर में हैं और सरकार मजबूर।

[स्थानीय संपादक, उत्तराखंड]