सुशील कुमार सिंह। US Presidential Election 2020 डेमोक्रेटिक पार्टी से अमेरिकी राष्ट्रपति के उम्मीदवार जो बिडेन ने अपनी पार्टी से भारत-अमेरिका मूल की कमला हैरिस का नाम उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आगे कर एक तीर से कई निशाने लगाए हैं। पहला यह कि अश्वेतों का वोट उन्हें मिलेगा, दूसरा महिला होने का लाभ भी उनके हिस्से में ही जाएगा। साथ ही भारत के रुख को भी अपनी ओर आकर्षति करने का काम किया है। माना जा रहा है कि सब कुछ अुनकूल रहा तो अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में कमला हैरिस पहली महिला उपराष्ट्रपति बन सकती हैं।

अमेरिका में अभी तक कोई महिला न तो राष्ट्रपति बनी है और न ही उप राष्ट्रपति: ऐसा पहली बार हुआ है जब उपराष्ट्रपति के लिए किसी भारतीय-अमेरिकी महिला को टिकट मिला है। अमेरिका में इसके पहले उपराष्ट्रपति के लिए दो महिलाएं गेराल्डाइन फरेरो (1984) और सारा पालेन (2008) में इस पद के लिए चुनाव हार चुकी हैं। साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन अमेरिका में पहली ऐसी महिला थीं जिन्हें व्हाइट हाउस जाने का अवसर मिला था, मगर वह डोनाल्ड ट्रंप से चुनाव हार गई थीं। यहां एक खास बात यह है कि अमेरिका में अभी तक कोई महिला न तो राष्ट्रपति बनी है और न ही उप राष्ट्रपति। कमला हैरिस यदि चुनाव जीतती हैं तो कुछ हद तक इस मिथक को टूटते हुए देखा जा सकेगा।

कमला हैरिस किस हद तक अश्वेत वोटों से बिडेन को फायदा पहुंचा पाएंगी: माना तो यह भी जा रहा है कि कमला हैरिस और बिडेन की जोड़ी बराक ओबामा वाला जादू वापस ला सकती है। गौरतलब है कि बराक ओबामा 2008 से 2016 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कमला हैरिस किस हद तक अश्वेत वोटों से बिडेन को फायदा पहुंचा पाएंगी मगर नस्लभेद के पुराने जिन्न से जूझते अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में इसके प्रभाव को कमतर आंकना सही नहीं होगा। कमला हैरिस की उम्मीदवारी ट्रंप को अखर रही है, क्योंकि अश्वेत वोटों का ध्रुवीकरण अब डेमोक्रेटिक की ओर जा सकता है। यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप ने हैरानी जताते हुए कहा कि बिडेन ने भारतीय मूल की सीनेटर हैरिस को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना, जबकि वह लगातार उनका अनादर करती रहीं। यहां ट्रंप ने हैरिस को अश्वेत के बजाय भारतीय मूल का कहकर अप्रत्यक्ष तौर पर एक संकुचित दृष्टिकोण देने का प्रयास किया है।

हैरिस खुद को भारतीय मूल के रूप में देखती हैं या फिर अश्वेत इस पर भी अमेरिका का मतदाता विचार मंथन करेगा। वैसे अश्वेत के रूप में भी इन्हें बाकायदा मान्यता दी जा रही है। अमेरिका के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हैरिस को अश्वेत उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा रहा है ताकि अश्वेत आंदोलन के मौजूदा माहौल में बिडेन को जीत की ओर ले जाया जा सके। गौरतलब है कि अमेरिका में सैकड़ों वर्षो से नस्लभेद की जड़ें फैली हुई हैं।

हैरिस के उप राष्ट्रपति बनने से भारत को हर्ष एवं गर्व कितना होगा: हैरिस का उप राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के प्रति उनकी नीतियां अधिक लचीली न हों ऐसी कोई खास वजह नहीं दिखाई देती, किंतु जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद वहां के हालात को काबू में करने के लिए पाबंदी लगाए जाने का हैरिस ने विरोध किया था। उन्होंने पाबंदियों को हटाने की मांग की थी। इसके अलावा लोकतांत्रिक मूल्यों और धार्मिक एकता को लेकर वे काफी मुखर रही हैं। ऐसे में यह कह पाना कठिन है कि उनके उप राष्ट्रपति बनने से भारत को हर्ष एवं गर्व कितना होगा। अगर कमला हैरिस और बिडेन की जोड़ी 2020 चुनाव में जीत दर्ज करती है तो कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में हैरिस की दावेदारी मजबूत हो जाएगी। फिलहाल हैरिस ने चुनाव प्रचार में बिडेन की तुलना में अधिक उदारवादी कदम उठाए हैं चाहे वह हेल्थ केयर हो या इमीग्रेशन।

भारतीय मूल के अमेरिकी रिपब्लिकन के बजाय डेमोक्रेट की ओर झुकाव: वैसे भारतीय मूल के अमेरिकी रिपब्लिकन के बजाय डेमोक्रेट की ओर झुकाव रखते हैं। बिडेन ने स्पष्ट किया है कि यदि वे चुनाव जीतते हैं तो भारतीय आइटी पेशेवर में सबसे अधिक मांग वाले एच-1 बी वीजा पर लगाई गई स्थायी रोक हटा देंगे। गौरतलब है कि ट्रंप ने इस वीजा को निलंबित कर रखा है। भारत में अमेरिकी राजदूत रह चुके रिचर्ड वर्मा के द्वारा यह पता चला है कि यदि बिडेन राष्ट्रपति बनते हैं तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने का प्रयास करेंगे। बहरहाल कमला हैरिस में वे सारी खूबियां हैं जो चुनाव में पार्टी को फायदा पहुंचा सकती हैं। प्रगतिशील मतदाताओं पर इन तमाम योग्यताओं का असर पड़ेगा जरूर।

पचपन वर्षीय कमला हैरिस ट्रंप की काट भी खोजने में माहिर बताई जा रही हैं। वैसे तो भारत किसी दूसरे देश के चुनाव में कभी कोई मतलब नहीं रखता है मगर अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हो तो कूटनीतिक और रणनीतिक तौर पर नजर सबकी रहती है। गौरतलब है कि भारतीय मूल के वोटों को संतुलित करने के लिए ट्रंप सितंबर 2019 में भी कोशिश कर चुके हैं और फरवरी 2020 में भारत का दौरा करके वे इसे पुख्ता बनाने का प्रयास भी कर चुके हैं, मगर कमला हैरिस के चलते स्थिति कुछ बदलते हुए दिखती है। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है जब उप राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के चलते राष्ट्रपति के लिए चुनाव आसान हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव का ऊंट किसी भी करवट बैठे भारत को अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है, बल्कि कोई भी आए संबंध और कैसे प्रगाढ़ हो इसका चिंतन जरूर करना चाहिए।

कमला हैरिस में वे सारी खूबियां हैं जो चुनाव में अपनी पार्टी को फायदा करवा सकती हैं। वह एक प्रवासी परिवार से हैं, अश्वेत महिला हैं, राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान है, इसलिए पूरी संभावना है कि अमेरिका में चुनाव दिलचस्प होंगे।

[निदेशक, वाइएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन]