सक्षम नेतृत्व और संयम की अद्भुत गाथा

यह प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का ही कमाल रहा कि लॉकडाउन के कठोर निर्णय का विरोध नहीं, बल्कि स्वागत किया गया

[ राजनाथ सिंह ]: कोरोना वायरस से उपजी महामारी कोविड-19 को और भी अधिक फैलने से रोकने की अप्रत्याशित चुनौती का सामना करते हुए देश ने अद्भुत एकजुटता एवं संयम का परिचय दिया है। जब पहली बार लॉकडाउन किया गया था तो यह इस देश में एक असंभव सा विचार प्रतीत हो रहा था, पर अब लोग स्वयं के साथ अपने साथी नागरिकों को भी कोरोना वायरस से बचाने के अपने संकल्प में दृढ़प्रतिज्ञ हो गए हैं। देशवासियों ने इस महामारी के खिलाफ जैसी एकजुटता दिखाई वह विश्व इतिहास में अभूतपूर्व है। आने वाली पीढ़ियों को आश्चर्य होगा कि भारत जैसे विविधता वाले देश में यह आखिरकार कैसे संभव हो पाया? यह सब देश में असाधारण नेतृत्व की बदौलत ही संभव हो पाया है।

दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में कोरोना का संक्रमण सीमित है

कोरोना का संक्रमण बेशक फैल रहा है, फिर भी हम विश्वास से भरे हैं, क्योंकि दुनिया के अन्य हिस्सों में संक्रमित रोगियों की निरंतर बढ़ती संख्या की तुलना में भारत में इसका प्रकोप काफी सीमित है। यह इसलिए आश्चर्यजनक है, क्योंकि भारत न केवल अधिक जनसंख्या घनत्व वाला एक विकासशील देश है, बल्कि यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाएं एवं संसाधन भी सीमित हैं।

समूचे देश में लॉकडाउन लागू करके मोदी सरकार ने असंभव को संभव कर दिखाया

जब देश में साक्षरता के स्तर के साथ लोगों की मीडिया तक पहुंच भी एक समान नहीं है तब आखिर समस्त जनता को समान संदेश कैसे मिल जाता है? दरअसल किसी भी सरकार के लिए समूचे देश में इस तरह लॉकडाउन लागू करना असंभव होता, यदि वह लोगों को आश्वस्त करने में विफल रहती। हम सभी ने असंभव को संभव कर दिखाया है। बेशक मार्च के महीने में दिल्ली में तब्लीगी जमात का जमावड़ा और लॉकडाउन की शुरुआत में कुछ शहरों से अपने-अपने घरों की ओर प्रवासियों का पलायन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं थीं, पर इसके बावजूद ये मानव की कमजोरी से जुड़ी केवल छिट-पुट घटनाओं को ही दर्शाती हैं। अरुणाचल प्रदेश से लेकर कच्छ तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारतीय सर्वहित के लिए एकजुट हो गए हैं।

पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व ने देशवासियों को एकजुटता में बांध दिया

हम देशवासियों द्वारा आत्मसंयम का ऐसा चमत्कारी परिचय देने की व्याख्या कैसे करेंगे? भारतीय मानस में ही इस प्रश्न का जवाब छिपा है। हमारी सांस्कृतिक परंपराएं भी इस सवाल के जवाब का हिस्सा हैं। इसके अलावा सभी देशवासियों को एकजुट करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व रहा। प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन को उस समय लागू करने का निर्णय लिया जब कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या काफी कम थी। यह उनकी गंभीर चिंता के साथ-साथ उनके दूरदर्शी साहस को भी दर्शाता है, जिन्हें हम इससे पहले अन्य परिस्थितियों में भी देख चुके हैं।

मोदी द्वारा घोषित पूरे देश में लॉकडाउन का एक स्वर से हुआ स्वागत 

नागरिकों की जिंदगी को बचाने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन करना और इस तरह अर्थव्यवस्था को थामना एक अत्यंत कठोर कदम था, जो कोविड-19 से निपटने के लिए विश्व भर में उठाए जा रहे विभिन्न कदमों से साफ हो जाता है। यह प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का ही कमाल रहा कि इस कठोर निर्णय का विरोध नहीं, बल्कि स्वागत किया गया।

लोगों ने आवाजाही पर लगाई गई पाबंदियों का स्वयं ही पालन किया

पहले जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन में हमने देखा कि लोगों ने आवाजाही पर लगाई गई पाबंदियों का स्वयं ही पालन किया। मैं देश-विदेश में किसी अन्य ऐसे राजनेता की कल्पना नहीं कर सकता, जो कुछ ही घंटों के भीतर लोगों के व्यवहार में सफलतापूर्वक आमूलचूल बदलाव लाने की क्षमता रखता हो।

पीएम मोदी द्वारा देशवासियों से की गई अपील का अभूतपूर्व असर

मोदी जी द्वारा देशवासियों से की गई अपील का अभूतपूर्व असर भी गौर करने लायक है। सबसे पहले डॉक्टरों एवं आवश्यक सेवा से जुड़े अन्य कर्मियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ताली-थाली पीटने और फिर देशवासियों की एकजुटता के प्रतीक के रूप में दीप जलाने की उनकी अपील का आकलन इन आयोजनों से हासिल वृहद परिणामों के संदर्भ में भी किया जाना चाहिए। मैं गांवों और छोटे शहरों के लोगों की जागरूकता, विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद सावधानियां बरतने की उनकी तत्परता और सकारात्मक नजरिये से चकित हूं।

प्रधानमंत्री पर लोगों के अडिग भरोसे से ही लॉकडाउन कामयाब हो सका

यह प्रधानमंत्री पर लोगों का अडिग भरोसा ही है जिससे लॉकडाउन की कामयाबी सुनिश्चित हो पाई। इसका मतलब यह नहीं कि मुख्यमंत्रियों, जिला मजिस्ट्रेटों/कलेक्टरों, निगम आयुक्तों, स्वास्थ्य कर्मियों आदि द्वारा इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में दिए गए योगदान को कमतर आंका जा रहा है। ये सब लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

कोरोना जंग में सशस्त्र बल, पुलिस लोगों की मदद करने में साथ दे रहे हैं

बिल्कुल नई तरह की इस लड़ाई में हमारे सशस्त्र बल, पुलिस और अर्धसैनिक बल भी कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के साथ जरूरतमंद लोगों की मदद करने में स्थानीय अधिकारियों का डटकर साथ दे रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान मोदी ने दिहाड़ी मजदूरों, कामगारों और किसानों को दिया राहत पैकेज

एक अन्य सराहनीय बात यह है कि प्रधानमंत्री ने हाशिये के लोगों, दिहाड़ी मजदूरों, कामगारों और किसानों को प्राथमिकता दी है। विशेष पैकेज के साथ-साथ अन्य ठोस उपायों की बदौलत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास कर रही है कि लॉकडाउन के आर्थिक बोझ की सर्वाधिक मार इन लोगों पर ही न पड़ जाए।

पीएम मोदी को है गंभीर संकटों से निपटने का विशेष अनुभव

वास्तव में मोदी जी को गंभीर संकटों से निपटने का विशेष अनुभव है। मुझे याद है कि 1979 में एक बांध के फट जाने के बाद गुजरात के मोरबी शहर में त्राहिमाम मचने पर सबसे पहले वहां पहुंचने वाले लोगों में वह भी शामिल थे। चुनावी राजनीति में उनका करियर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के साथ शुरू हुआ। यह वह समय था जब राज्य भूकंप की त्रासदी के बाद धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा था। मुझे याद है कि किस तरह वह कच्छ का साप्ताहिक दौरा किया करते थे और निर्धारित समय से पहले ही विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए नौकरशाही में ऊर्जा भरा करते थे।

पीएम मोदी का अटूट समर्पण भाव और एकजुट भारत कोरोना वायरस को परास्त कर देगा

इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी देश के प्रमुख को उस अप्रत्याशित संकट से निपटने का कोई अनुभव नहीं है जिसका सामना अभी पूरी दुनिया कर रही है। अनुभव से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण मोदी जी के बुनियादी मूल्य और काम के प्रति उनका अटूट समर्पण भाव है। इसी कारण वह अक्सर स्वयं को ‘प्रधान सेवक’ कहते हैं। उनकी बदौलत ही यह विनम्र चमत्कार संभव हो पाया और एकजुट भारत प्रेरणादायक संयम के साथ कोरोना वायरस को धीरे-धीरे परास्त करते हुए हर दिन और भी अधिक मजबूती के साथ उभर रहा है।

( लेखक रक्षा मंत्री हैं )