[मुख्तार अब्बास नकवी]। एक चुनी हुई सरकार के मुखिया के रूप में नरेंद्र मोदी के 20 वर्षों का सुशासन का सफर 'कांटों के ताज' से कम नहीं रहा। गुजरात के भूकंप से लेकर कोरोना कहर की आपदा को आम लोगों के लिए आफत बनने से बचाना और आपदा को अवसर में बदलना नरेंद्र मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति और पुख्ता इरादों का परिणाम रहा है।

सत्ता के गलियारे में कार्य संस्‍कृति को बदला 

बड़े से बड़े संकटों में नरेंद्र मोदी की "संकटमोचक" की भूमिका पर कहा जा सकता है कि-

"जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का।

फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का।।"

नरेंद्र मोदी के 20 वर्षों के सुशासन के 'परिश्रम-परिणाम के मंतर" ने "परिक्रमा पॉलिटिक्स को छू मंतर' किया है। नरेंद्र मोदी ने इन 20 वर्षों में राज्य से लेकर केंद्र तक सत्ता के गलियारे से "परिक्रमा संस्कृति" खत्म कर "परिश्रम और परिणाम" को प्रमाणिकता दी। सत्ता और सियासत के गलियारे में दशकों से परिक्रमा को ही "पराक्रम" समझने वाले, "परिश्रम और परिणाम" की कार्य संस्कृति के चलते हाशिये पर चले गए हैं। इसी 'परिणामी मंतर' ने सत्ता के गलियारे से सत्ता के दलालों को 'छू-मंतर' किया।

गंभीरता, मेहनत और मजबूती से मैदान में खड़ा रहना नरेंद्र मोदी की खासियत

26 जनवरी 2001 में गुजरात के भुज, कच्छ, भरुच, अंजार, गांधीनगर, राजकोट आदि में आये दुनिया के इतिहास के भयंकर भूकंप और उससे हुई बर्बादी की जटिल और मुश्किल चुनौती पर प्रभावी प्रयास और परिश्रम का परिणाम और ऐसे संकट और चुनौती के वक्त इस लड़ाई में लगे लोगों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर इस बात का विश्वास और एहसास कराना कि इस चुनौती के समय सेना के साथ सेनापति का उतनी ही गंभीरता, मेहनत और मजबूती से मैदान में खड़ा रहना नरेंद्र मोदी की खासियत रही है। गुजरात के भूकंप की चुनौती पर इसी मजबूत इच्‍छाशक्ति और संकल्प से नरेंद्र मोदी ने भूकंप के संकट पर जीत हासिल की थी।

भुज-कच्छ आदि इलाकों में मिट गए बर्बादी के निशान   

दुनिया अचंभित थी, भौंचक थी कि इतनी बड़ी त्रासदी को जिसमे 80 प्रतिशत से ज्यादा खाने-पीने के स्रोत नष्ट हो गए थे, लाखों लोग बेघर हो गए हों, हजारों लोगों को जाने गंवानी पड़ी हो, कुछ ही दिनों पहले मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने किस जादू की छड़ी से कब्जे-काबू में किया और हालात को बेहतर बनाने का रास्ता साफ़ किया, दुनिया के तमाम देश उस भुज-कच्छ आदि इलाकों को आज देखकर आश्चर्यचकित हैं कि मात्र एक दशक से कम वक्त में इन इलाकों के बर्बादी के निशान इतिहास का हिस्सा बन गए हैं और आज दुनिया की बेहतरीन विकसित जगहों में से एक कहे जा सकते हैं।

कोरेाना से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से पहले शुरू किए उपाय 

जिस वक्त जनवरी 2020 में कोरोना संक्रमण की चर्चा ही शुरू हुई थी, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभावित संकट से निपटने के प्रभावी उपायों की रुपरेखा तैयार कर चुके थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 मार्च 2020 को कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित किया था। उससे दो सप्ताह पूर्व ही भारत के सभी हवाईअड्डों पर विदेश से आने वाली सभी उड़ानों से आए यात्रियों की प्रारम्भिक जाँच शुरू हो गई थी। एक मार्च 2020 या उसके बाद विदेश से आए सभी लोगों को कम से कम दो सप्ताह का आइसोलेशन जरूरी कर दिया गया था। 

देश को संकट से निजात दिलाने में रही अग्रिम भूमिका

कोरोना काल के संकट के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता, सक्रियता एवं इस संकट से देश को निजात दिलाने में अग्रिम भूमिका ने देश के लोगों में भरोसा बढ़ाया। एक तरफ कोरोना का कहर, दूसरी तरफ सीमाओं की सुरक्षा, तीसरी तरफ भूकंप- तूफान-बाढ़ जैसी प्राकृतिक चुनौती, इसी बीच टिड्डियों द्वारा फसलों की बर्बादी और "फ़िसड्डियों" की बकवास बहादुरी भी चलती रही। भारत जैसे विशाल देश के लिए यह बड़ा संकट का समय रहा, पर देश के लोग इस संकट से कम से कम प्रभावित हों इसका भरपूर प्रबंधन-प्रयास मोदी जी की 'परिश्रम-परफॉर्मेंस एवं परिणाम' की कार्य संस्कृति का जीता-जागता सुबूत हैं।

संकट में भारत ही नहीं बल्‍कि पूरी दुनिया की मदद की 

इस संकट के समय भी लोगों के सकारात्मक संकल्प और मोदी सरकार के प्रति पुख्ता विश्वास का नतीजा रहा कि वक्त की सबसे बड़ी जरूरत स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भरता के पायदान पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। N-95 मास्क, पीपीई, वेंटीलेटर एवं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी चीजों के उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर भी बना और दूसरे देशों की भी मदद की। प्रत्येक भारतीय को हेल्थ आईडी देने के लिए नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन शुरू किया गया है। दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ योजना 'मोदी केयर' ने लोगों के सेहत की गारंटी दी, हेल्थ केयर क्षेत्र में मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना संकट के बड़े प्रभाव को कम किया जा सका।

लोगों को आर्थिक और राशन के रूप में मदद मुहैया करार्इ   

कोरोना की चुनौतियों के दौरान लोगों की सेहत सलामती के लिए 81 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया गया, जो किसी भी लोकतांत्रिक देश की अद्वितीय घटना होगी। 41 करोड़ जरूरतमंदों के बैंक खातों में 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा सीधे ट्रांसफर किये गए। 8 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस सिलिंडर, एक लाख 70 हजार करोड़ का गरीब कल्याण पैकेज, 20 करोड़ महिलाओं के जन धन खाते में 1500 रुपए, किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को 19 हजार करोड़ रुपए दिए जाने जैसे प्रभावी कदम उठाए गए, जिसके चलते लोग इस संकट के समय विश्वास की डोर से जुड़े रहे। 'वन नेशन वन राशन कार्ड' लागू किया गया है, जिसका लाभ 67 करोड़ जरूरतमंदों को होना शुरू हो गया है। मनरेगा के लिए अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपए जारी किये गए हैं, किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज को बेचने की आजादी दी गई है। 

महत्वपूर्ण रिफॉर्म से आपदा के बावजूद अवसर से भरपूर रही अर्थव्‍यवस्‍था  

श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिये 60 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया गया, स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड से प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए राज्यों को 11 हजार करोड़ रुपए दिए गए। इसी कोरोना काल में तीन दर्जन से ज्यादा बड़े आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, प्रशासनिक, व्यापारिक, श्रमिक, रक्षा, कोयला, नागरिक उड्डयन, ऊर्जा, डिस्ट्रीब्यूशन, अंतरिक्ष, फॉरेस्ट लैंड, कृषि, संचार, बैंकिंग, निवेश एवं डेरी से लेकर फड़-फेरी वालों तक की बेहतरी के लिए बड़े और महत्वपूर्ण रिफॉर्म किये गए, जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था आपदा के बावजूद अवसर से भरपूर रही। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐसे कई काम हुए जिनसे भारत की साख पूरे विश्व में बढ़ी। योग को पूरी दुनिया में पहचान मिली। भारत अंतरिक्ष महाशक्ति बना, यूनाइटेड नेशन, सऊदी अरब, फिलिस्तीन, रूस, यूएई जैसे देशों ने नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। 

 (लेखक केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री हैं)