[ डॉ. हर्षवर्धन ]: आज दुनिया कई गंभीर बीमारियों के उन्मूलन की दहलीज पर खड़ी है और कुछ अन्य को वह पहले से ही समाप्त कर चुकी है। टीकाकरण 21वीं सदी का एक सबसे प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयास साबित हुआ है। डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि टीकाकरण के कारण प्रत्येक वर्ष 25 लाख लोगों का जीवन सुरक्षित हो पाता है और लाखों बच्चों का मृत्यु, जन्मजात विकृतियों और आजीवन विकलांगता से बचाव होता है। आज दुनिया पोलियो उन्मूलन के बेहद करीब पहुंच चुकी है। अमेरिका में मीजल्स, रूबेला को और दक्षिण-पूर्व एशिया में मां एवं नवजात को होने वाले टेटनस को समाप्त कर दिया गया है।

मिशन इंद्रधनुष के तहत बच्चों को दस बीमारियों से बचाव के टीके

भारत हमेशा से अपने लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए संघर्ष करता रहा है। आज से लगभग पांच वर्ष पहले 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष नाम से एक महत्वपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकों द्वारा सात बीमारियों से बचाव करना था। मिशन का शुभारंभ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर किया गया था। तब से इस कार्यक्रम में नए टीके भी जोड़े गए हैं और अब हम अपने बच्चों को दस बीमारियों से बचाव के टीके प्रदान कर रहे हैं, जिनमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, मीजल्स, रूबेला, बचपन के गंभीर क्षय रोग, रोटावायरस डायरिया, हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस एन्फ्लुएंजा टाइप बी से होने वाले मेनिंजाइटिस और निमोनिया से बचाव शामिल है। इसके साथ ही न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के टीके भी उपलब्ध हैं।

सघन मिशन इंद्रधनुष- 272 जिलों में पूर्ण टीकाकरण के लिए तेज प्रयास

बीते दिसंबर माह से ही सघन मिशन इंद्रधनुष के संस्करण 2.0 (आइएमआइ 2.0 यानी इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष) की शुरुआत की गई है। इसके तहत 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 272 जिलों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज के लिए तेज प्रयास किए जा रहे हैं। यह मिशन बिहार और उत्तर प्रदेश के 109 जिलों के 650 ब्लॉकों तक टीकाकरण कवरेज के लिए पहुंचा है। इस मिशन की पांचवीं वर्षगांठ इस लिहाज से खास रही कि इसने सर्वव्यापक स्वास्थ्य कवरेज लक्ष्यों के विस्तार और ‘सबके स्वास्थ्य और सबके विकास के लिए सबका साथ’ के दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयासों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया। जब भारत आजाद हुआ था तो देश को कई संक्रामक और घातक बीमारियों का सामना करना पड़ा था। यदि हम टीकाकरण की पूरी यात्रा की समीक्षा करें तो यह एक लंबी और सफल यात्रा मानी जाएगी।

भारत अब मातृ एवं नवजात टेटनस से भी मुक्त हो चुका है

भारत को आज पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया है और अब हम मातृ एवं नवजात टेटनस से भी मुक्त प्रमाणित हो चुके हैं। भारत की उपलब्धि की सराहना करते हुए विश्व के अत्यंत सम्मानित परोपकारी बिल गेट्स ने आधिकारिक तौर पर कहा कि ‘भारत की उपलब्धि सबसे प्रभावशाली वैश्विक कहानी है।’

लेखक ने अपनी पुस्तक ‘ए टेल ऑफ टू ड्राप्स’ में पोलियो यात्रा के यादगार अनुभवों को किया वर्णित

आज से करीब 26 वर्ष पहले दिसंबर 1993 में, जब मैं दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य मंत्री था, मैंने उन हजारों परिवारों के कष्टों के बारे में जाना, जिनके घरों में पोलियो की बीमारी से पीड़ित शिशु थे। मैंने भारत से पोलियो उन्मूलन की दिशा में एक मिशन मोड में काम शुरू करने का संकल्प लिया और जल्द ही मैं पोलियो मुक्त भारत के लिए राष्ट्रीय अभियान का अग्रदूत बना। वास्तव में पल्स पोलियो अभियान सबसे बड़ा निजी-सरकारी भागीदारी का अनूठा अभियान बना। भारत को वर्ष 2014 में पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया। मैंने अपनी इस यात्रा के यादगार अनुभवों को एक पुस्तक ‘ए टेल ऑफ टू ड्राप्स’ के रूप में प्रस्तुत किया है।

इंद्रधनुष मिशन के उत्साहवर्धक परिणाम

इंद्रधनुष मिशन के तहत बच्चों के संपूर्ण टीकाकरण कवरेज को 90 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया। मिशन इंद्रधनुष एवं विस्तृत ग्राम स्वराज अभियान के विभिन्न चरणों में 3.39 करोड़ से अधिक बच्चों और 87.2 लाख गर्भवती महिलाओं को जीवन रक्षक टीके लगाए जा चुके हैं। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मृत्यु दर 126 प्रति हजार जीवित जन्म से घटकर 37 प्रति हजार जीवित जन्म रह गई है, जो वैश्विक दर से बहुत आगे है। इन परिणामों से उत्साहित होकर प्रगति को और तेज करने के लिए ‘सघन मिशन इंद्रधनुष’ की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के वडनगर में 2017 में की गई। प्रधानमंत्री ने जनता से सघन मिशन इंद्रधनुष को एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया और अभिभावकों से अपने बच्चों का टीकाकरण करवाने की अपील की।

सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 का मंत्र ‘कोई पीछे न छूटे’

सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 को ‘कोई पीछे न छूटे’ के मंत्र के साथ प्रारंभ किया गया है। ऐसा करने के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा, जिसमें ‘सभी के लिए सुनिश्चित, सुरक्षित और उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य शामिल है’, की दिशा में हमें सभी हितधारकों के साथ मिल कर काम करने की आवश्यकता है।

100 फीसद टीकाकरण का असाधारण प्रयास

मेरा संकल्प 90 प्रतिशत के पूर्व निर्धारित लक्ष्य से भी आगे जाना है। ऐसा कोई कारण नहीं कि हम एक स्वस्थ राष्ट्र निर्माण हेतु 100 फीसद टीकाकरण के लिए एक असाधारण प्रयास नहीं कर सकते। आज देश गरीबी और बीमारी के दुखों से मुक्त होकर अपने लोगों की ऊर्जा और क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। हमें पूरे जोश के साथ इस प्रयास में शामिल होकर ‘स्वच्छ भारत, समृद्ध भारत’ का सपना साकार करना चाहिए।

( लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हैैं )