[ अवधेश कुमार ]: दिल्ली के भीषण दंगों को लेकर विशेष जांच दल की जांच रिपोर्ट के सामने आए अंश और अभी तक प्रमुख मामलों में दायर आरोप पत्रों से यह पूरी तरह साफ हो जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से हिंसा को अंजाम दिया गया था। दंगों की योजना बनाने का केंद्र शाहीनबाग का नागरिक संशोधन कानून विरोधी धरना था। आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के बारे में आरोप पत्र कहता है कि जनवरी में उसकी उमर खालिद और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के नेता खालिद सैफी से मुलाकात हुई और वहीं से दंगों की तैयारी को अंजाम देने का काम शुरू हुआ।

दिल्ली के भीषण दंगों पर पुलिस की एकतरफा कार्रवाई का आरोप 

इन दोनों ने उससे कहा कि आप पूरी तैयारी करो और इसमें पीएफआइ, पिंजड़ा तोड़ समूह और अन्य संगठन आपकी मदद करेंगे। एक करोड़ तीस लाख रुपये उसके खाते में आए और फिर वे अलग-अलग लोगों तक पहुंचाए गए। हालांकि लुटियन लॉबी जिस तरह पहले से दंगों को एक समुदाय का नरसंहार बताने पर तुली थी उसे न तो जांच रिपोर्ट स्वीकार हो सकती है और न आरोप पत्र। इस लॉबी ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाना आरंभ भी कर दिया है।

दिल्ली दंगों में हिंदुओं को भी आरोपी बनाया गया

यह बात सही है कि दिल्ली दंगों में मुसलमान भी मारे गए, उनके घर जले और उनके धर्मस्थलों पर हमले भी हुए, किंतु यह जानना आवश्यक है कि लगभग 2650 गिरफ्तारियों में करीब 550 हिंदू भी हैं। एक आरोप पत्र में 20 हिंदुओं को भी आरोपी बनाया गया है। मूल बात दंगों की योजना और उसे अंजाम देने की है। आप साजिश रचते हैं कुछ खास तरह की घटनाओं को अंजाम देने की, पर जरूरी नहीं कि सारी घटनाएं जैसे आप चाहें वैसे ही घटित हो जाएं। दूसरा पक्ष भी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। दिल्ली दंगों में यही हुआ। दंगों के साजिशकर्ताओं ने पहले शाहीनबाग क्षेत्र में ही हिंसा को अंजाम देना चाहा, पर वहां की आबादी को ध्यान रखते हुए योजना बदल दी और उत्तर पूर्वी दिल्ली के 19 स्थान तय किए।

दिल्ली दंगों के लिए बनाई गई थी क्रूर योजना

जांच रिपोर्ट के अनुसार दो विशेष समूह बनाए गए। इनमें से एक को दुष्प्रचार की जिम्मेदारी दी गई ताकि लोग उत्तेजित हों। दूसरे समूह को जगह-जगह सड़क जाम और धरना आयोजित कराने की जिम्मेदारी दी गई। साजिश के तहत कुछ एक्टिविस्टों से जगह-जगह भाषण कराए गए ताकि माहौल ज्वलनशील बन जाए। वाट्सएप चैट में कहा जा रहा था कि हमें शांति भंग करना है। हमें हर हाल में मामले को हिंदू-मुस्लिम मोड़ देना है। पिंजड़ा तोड़ गैंग की लड़कियां वाट्सएप से संदेश दे रहीं थीं कि महिलाएं घरों में तेजाब की बोतलें, गर्म पानी, गर्म तेल, छतों पर ईंट-पत्थर रखें, लोहे के दरवाजे में बिजली का करंट छोड़ दें। कई आरोप पत्र में ये बातें हैं। इनका उल्लेख करने का अर्थ यही स्पष्ट करना है कितनी गहरी और क्रूर योजना बनाई गई थी।

ताहिर हुसैन सीएए विरोधी प्रदर्शन से भी जुड़ा रहा

ताहिर हुसैन जामिया के नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन से भी जुड़ा रहा और जेएनयू के प्रदर्शन से भी। इससे यह साबित होता है कि नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन के स्वत:स्फूर्त होने का दावा बिल्कुल झूठ था।

आरोप पत्रों में दिल्ली दंगों के दो बड़े किरदार ताहिर हुसैन और फैजल फारूखी

अभी तक के आरोप पत्रों में दो बड़े किरदार दंगों के उभरते हैं-ताहिर हुसैन और राजधानी पब्लिक स्कूल का मालिक फैजल फारूखी। ताहिर हुसैन ने दंगों के पहले थाने से अपनी पिस्तौल ली। 25 गोलियां कहां गईं, इसका हिसाब वह नहीं बता सका। उसकी छत से 270 चक्र गोलियां चलने का रिकॉर्ड मिला है। जिस गुफरान के घर में वह छिपा था उसके पास से 54 कारतूस गायब मिले हैं। ये अपने आप तो विलुप्त नहीं हो गए। ताहिर ने योजनाबद्ध तरीके से नेतृत्व करने और आइबी कर्मी अंकित शर्मा की हत्या में सक्रिय भूमिका अदा की।

आरोप पत्र के अनुसार फैजल फारूखी ने अपने स्कूल को दंगा केंद्र में बदल दिया

आरोप पत्र के अनुसार फैजल फारूखी ने अपने स्कूल को दंगा केंद्र में बदल दिया। फारूखी का स्कूल तब्लीगी जमात की गतिविधियों का केंद्र था। उसने मौलाना साद के नजदीकी अब्दुल अलीम से मुलाकात की। दोनों के कॉल रिकॉर्ड और मोबाइल लोकेशन से पता चलता है कि दंगों के बीच उनमें संपर्क बना हुआ था। फैजल दंगों के पूर्व देवबंद गया और वहां से लोगों को लेकर आया जिन्होंने हिंसा में भूमिका निभाई।

पुलिस वालों पर जानलेवा हमला दिल्ली दंगों की योजना का हिस्सा था

अब यह बताने की आवश्यकता नहीं रह जाती कि दिल्ली दंगे या उसके पहले जाफराबाद से लेकर चांदबाग में सड़क जाम करने या पुलिस वालों पर जानलेवा हमला करने के काम अचानक नहीं हुए। चांदबाग में कांस्टेबल रतनलाल की हत्या हो या डीसीपी अमित शर्मा पर जानलेवा हमला या जाफराबाद में शाहरुख द्वारा कांस्टेबल पर पिस्तौल तानना-यह सब दंगों की योजना का हिस्सा था।

यह कारस्तानी इसलिए ताकि ट्रंप यात्रा के समय यह संदेश जाए कि भारत सरकार मुस्लिम विरोधी है

यह कारस्तानी इसलिए की गई ताकि ट्रंप की यात्रा के समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया के माध्यम से यह संदेश जाए कि भारत सरकार मुस्लिम विरोधी है। सुनियोजित दंगों को नरसंहार साबित करने वाले पाखंडी समूह अभी भी किंतु-परंतु कर पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। यह ठीक है कि आरोपों को अभी न्यायालय की कठिन समीक्षा से गुजरना है, लेकिन यह पुलिस को भी मालूम है और इसीलिए उसने एक-एक पहलू की पुख्ता जांच की है।

पुलिस ने दिल्ली दंगों की जांच के लिए 40 टीमें बनाईं

पुलिस ने जांच के लिए 40 टीमें बनाईं और दंगा क्षेत्र में सारे ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड आदि को डाउनलोड कर गवाहों से उनकी पहचान कराई। उसने कुल 1330 सीसीटीवी फुटेज एकत्रित किए। इसके बाद अपराधी चिन्हित किए गए। कुल 1100 अपराधी तो बिल्कुल पहचाने जा चुके हैं। अब हमारे सामने दंगों के किरदार एवं संगठनों के नाम सामने आ गए हैं। उम्मीद की जाती है कि उनका दोष साबित करने वाले कॉल रिकॉर्ड, मोबाइल लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज, अन्य फोरेंसिक सुबूत, गवाहों के बयान उन्हेंं सजा दिलाने में सक्षम होंगे।

( लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं )