सच्ची मुस्कान की चमक हर रोशनी से बढ़कर होती है। मुस्कान न सिर्फ व्यक्ति को संपन्न बना सकती है, अपितु स्वस्थ बनाने की ताकत रखती है। आज कम आयु में ही लोग बीमार इसलिए हो जाते हैं, क्योंकि उनके जीवन में मुस्कान को छोड़कर तनाव, व्यस्तता, क्रोध और चिंता सब कुछ है। जो लोग इन सबके बीच रहकर हर समय अपने चेहरे पर मुस्कान को बनाए रखते हैं, हर कठिन परिस्थिति का सामना मुस्करा कर करते हैं, दुनिया उन्हें सलाम करती है। त्योरी चढ़ाने में व्यक्ति को अपनी बासठ मांसपेशियों का प्रयोग करना पड़ता है, जबकि मुस्कराने में केवल छब्बीस मांसपेशियों को मेहनत करनी पड़ती है। मुस्कान की कोई भाषा नहीं होती। यदि विश्व के अलग-अलग देशों के और अलग-अलग भाषा के लोग एक साथ खड़े हों तो वे अपने विचारों को मुस्कान के माध्यम से एक दूसरे तक सहजता और सरलता से पहुंचा सकते हैं। प्रकृति ने केवल मनुष्य को ही मुस्काराहट जैसा दुर्लभ वरदान दिया है। सभी प्राणी पीड़ा से रो सकते हैं, लेकिन प्रसन्नता के क्षणों में केवल मनुष्य ही खिलखिला सकता है। जब व्यक्ति खिलखिलाता है तो उसकी जीवन शक्ति में वृद्धि हो जाती है।

मुस्कराहट सभी के लिए निशुल्क है। जो व्यक्ति कष्ट और पीड़ा के समय भी मुस्कराना जानता है वह निश्चित ही बड़ी से बड़ी सफलता को भी सहजता से प्राप्त करना जानता है। वैज्ञानिक प्रयोगों से यह प्रदर्शित हो चुका है कि मुस्काराहट हृदय की मालिश करती है, रक्त संचार को प्रेरित करती है और फेफड़ों को अधिक आसानी से सांस लेने में मदद करती है। जब ये सारी क्रियाएं एक साथ होती हैं तो व्यक्ति के सुख और समृद्धि में अनायास ही वृद्धि देखने को मिलती है। चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, बस हर हाल में मुस्कराते रहें। मुस्कराहट वह जादुई दीपक है जो हर परेशानी को अपने प्रकाश तले मिटा देता है। केवल स्वयं ही न मुस्कराएं, बल्कि अपनी मुस्कराहट से दूसरों की मुस्कराहट का भी दीपक जलाएं। ऐसा करने से मुस्कराहट का प्रकाश चारों ओर फैल जाएगा जो तिमिर को दूर भगाएगा। मुस्कराहट आध्यात्मिक भावों को हृदय में उत्पन्न करती है और मन में सद्भावनाओं को उत्पन्न कर व्यक्ति के जीवन को सार्थक करती है। इसलिए मुस्कराहट के भाव को हमेशा अहमियत दें।

[ रेनू सैनी ]