[ भूपेंद्र यादव ]: बीते सात सितंबर को रात एक बजकर 40 मिनट पर जब देश की नजरें मिशन चंद्रयान पर टिकी थीं तब इस मिशन के अंतिम कुछ मिनटों में ऐसी परिस्थिति पैदा हुई कि लोगों की सांसें अटक सी गईं। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसरो मुख्यालय में मौजूद थे। रात करीब दो बजे जब चंद्रयान से लैंडर विक्रम का संपर्क टूटने की बात सामने आई तब इसरो के वैज्ञानिकों के साथ अनौपचारिक बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा उसकी अपेक्षा एक कुशल नेतृत्वकर्ता से ही की जा सकती थी। उन्होंने कहा, ‘जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। आप लोगों ने जो किया वह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। देश आप पर गर्व करता है। आपकी मेहनत ने बहुत कुछ सिखाया है।

विज्ञान में असफलता नहीं होती

विज्ञान में असफलता नहीं होती, सिर्फ प्रयोग और प्रयास होते हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी के ये शब्द उन कठिन क्षणों में इसरो के वैज्ञानिकों सहित देश के करोड़ों नागरिकों को हौसला और भरोसा देने वाले थे। किसी भी देश अथवा समाज में जननायक वह होता है जो वृहद समाज की अपेक्षाओं को पूरा करने का न सिर्फ हौसला देता है, बल्कि अपनी कारगर रणनीति से विषम परिस्थितियों में लोगों में भरोसे का भाव जागृत कर उन परिस्थितियों से उबरने की क्षमता भी पैदा करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने निडर होकर फैसले लिए

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले कार्यकाल में इसी नीति को ईमानदारी से जनता के बीच रखते हुए निडर होकर फैसले लिए। तात्कालिक परिणाम और अस्थाई समाधान के दिखावटी एवं आधे-अधूरे प्रयासों के बजाय उन्होंने स्थाई समाधान तलाशने की प्रवृत्ति को बल दिया। इसी कारण उन्हें व्यापक समर्थन मिला। एक तरह से प्रधानमंत्री मोदी के पिछले कार्यकाल के अनवरत प्रयासों पर जनता के भरोसे का ही प्रतिफल 2019 का जनादेश।

वर्तमान कालखंड विश्वास और स्वाभिमान से ओतप्रोत

भारतीय राजनीति के लिए वर्तमान कालखंड विश्वास और स्वाभिमान से ओतप्रोत है। यह सच है कि प्रत्येक समाज में लोगों की कुछ व्यक्तिगत आकांक्षाएं होती हैं, किंतु इसके समानांतर वही समाज एक सक्षम एवं सबल नेतृत्व की आवश्यकता भी महसूस करता है। यह भी सच है कि बेशक राजनीति सबकी रुचि का क्षेत्र नहीं होती, परंतु किसी न किसी रूप में सबका जीवन इससे प्रभावित होता है। यही कारण है कि राजनीति अथवा राजनेताओं से हर व्यक्ति कुछ न कुछ अपेक्षाएं जरूर रखता है। नरेंद्र मोदी ने जनता की अपेक्षाओं को किसी संकुचित सीमा में बांधने के बजाय उन्हें पूर्ण क्षमता तक उड़ान के अवसर में तब्दील किया है। इससे भी एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने न सिर्फ अपेक्षाओं को विस्तार दिया है, बल्कि लोगों में आत्मविश्वास का भाव भी जगाया है। भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र में शासन में रहते हुए, जनाकांक्षाओं को समेटे हुए और सबके विश्वास के साथ आगे बढ़ते हुए जननायक का दर्जा हासिल करना सरल नहीं है, क्योंकि यहां शासन से इतर ही जननायक अधिक रहे हैं।

पीएम मोदी का सकारात्मक दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली का सबसे बड़ा पक्ष उनका सकारात्मक दृष्टिकोण है। मुझे गुजरात में सद्भावना मिशन में शामिल होने का अवसर मिला था। वह नरेंद्र मोदी के खिलाफ तत्कालीन संप्रग सरकार द्वारा रचे गए षड्यंत्रों का दौर था। सद्भावना मिशन के दौरान उपवास पर रहे नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘जो पत्थर हम लोगों पर फेंके गए, उनका इस्तेमाल हम लोगों ने सीढ़ी बनाने में किया।’ इसके बाद 2014 में जब वह पूर्ण बहुमत के साथ चुनकर देश के प्रधानमंत्री बने तब उनका यह कहना, ‘मेरी सरकार गरीब कल्याण को समर्पित है’, उन्हें सकारात्मकता के साथ जनहित में कुछ कर गुजरने वाले विराट छवि के जननेता के रूप स्थापित करता है। उनके व्यक्तित्व में युगानुकूलता भी है और परंपरा की गहरी समझ भी।

भारतीय लोकतंत्र में बदलाव

देश में हो रहे बहुमुखी बदलावों के क्रम में भारतीय लोकतंत्र में भी बदलाव हो रहे हैं। 2019 के चुनावों में देश ने वंशवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति को नकारते हुए राजनीति की धारा को एक सकारात्मक दिशा में मोड़ने में सफलता हासिल की है। चूंकि एक परिपक्व संसदीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों को भी सर्वस्वीकृत और सक्षम नेतृत्व चाहिए होता है, चाहे परिवार हो, संस्था हो, समूह हो-सबकी मजबूती नेतृत्व की स्वीकार्यता और विश्वसनीयता पर टिकी होती है। भारतीय लोकतंत्र में एक पार्टी के प्रभुत्व को हटाने का कार्य अगर भाजपा सफलतापूर्वक कर सकी तो इसका कारण यही है कि इसके शीर्ष नेतृत्व ने अपने कार्यों से जनता में लोकप्रियता हासिल की।

‘कोई नृप होऊ, हमें का हानि’

यह स्वीकार करने में किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि ‘कोई नृप होऊ, हमें का हानि’ कहने वाला समाज अब शासन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। वह सरकार के साथ इस विश्वास के साथ खड़ा है कि उसकी सरकार जनभागीदारी की सरकार है। आज भारत के पास जनभागीदारी से सरकार चलाने वाला एक संवादप्रिय जननेता है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ में देश अपने मन में उमड़ने वाली आशाओं को तलाशता और पाता है।

देश के मानस मेंं अटूट विश्वास

देशवासियों को यह भरोसा है कि उनका नेतृत्वकर्ता अपनी परंपरा और आस्था के प्रतीकों की गहरी समझ रखने के साथ-साथ भारतीयता के मूल्यों को जीने वाला भी है। प्रधानमंत्री मोदी आम भारतीय के पुरुषार्थ और ईमानदारी को भरपूर सम्मान देते हैं और उसे आगे बढ़ने का उत्साह भी देते हैं। देश के मानस मेंं उनके प्रति अटूट विश्वास के पीछे यह बड़ी वजह है। समन्वय का संकल्प और सबको साथ लेकर चलने की मंशा मोदी सरकार के पिछले और वर्तमान कार्यकाल मेंं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

स्वच्छता, पर्यावरण प्राथमिकताओं का हिस्सा

स्वच्छता, पर्यावरण और जलशक्ति जैसे विषयों को प्रधानमंत्री मोदी ने करीब से छूने और शासन की प्राथमिकताओं का हिस्सा बनाने की सराहनीय पहल की है। उन्होंने अपने प्रयासों से मानवीय संवेदनाओं को करीब से छूने का भी प्रयास किया है। अनुच्छेद-370 जैसे विषय पर इतने दलों का सहयोग लेकर इसे समाप्त करना ऐतिहासिक रूप से प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी राजनीतिक उपलब्धिहै। भारत की राजनीति में यह दुर्लभ कालखंड है, जब सरकार और जनता एकजुट होकर देश के विकास को गति देने का काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकास के नए आयामों को छुएगा, ऐसा विश्वास सभी को है।

( लेखक राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैैं )