डॉ. गौरीशंकर राजहंस। यह भारत की जनता का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री उनकी तमाम सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने देशवासियों को कोरोना जैसी महामारी के बारे में एक बार फिर सतर्क किया। देशवासियों की स्वास्थ्य रक्षा को अपना दायित्व समझ प्रधानमंत्री निरंतर कोरोना बीमारी के खतरे से लोगों को सावधान कर रहे हैं। देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा है कि लॉकडाउन भले ही खत्म हो गया है, लेकिन कोरोना खत्म नहीं हुआ है। यह ठीक है कि देश के कुछ राज्यों में कोरोना का संक्रमण पहले से कम हो रहा है और लोगों की मृत्यु दर में भी कमी आई है। परंतु खतरा अभी टला नहीं है। अभी हाल ही में खबर आई है कि अमेरिका और ब्राजील समेत यूरोप के कई देशों में कोरोना संक्रमण का प्रकोप दूसरी बार फिर से बहुत बढ़ गया है और इस बार यह बीमारी पहले की अपेक्षा अधिक खतरनाक होती दिख रही है।

बिहार में अधिक सतर्कता की आवश्यकता : बिहार में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के राजनेता अलग अलग स्थानों पर जाकर लोगों को अपने अपने दलों के पक्ष में वोट देने के लिए संबोधित कर रहे हैं। परंतु जैसे दृश्य वहां देखने में आ रहे हैं, उससे कलेजा मुंह को आ जाता है। इन जनसभाओं में भारी भीड़ होती है। दरअसल इन जनसभाओं में बड़ी संख्या में लोगों के चेहरे पर मास्क नहीं होता है। साथ ही, दो गज की शारीरिक दूरी के नियमों का पालन भी बहुत कम हो रहा है। दुर्भाग्य की बात है कि गांव देहात की जनता इस बीमारी की गंभीरता को समझ नहीं पा रही है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि कोरोना जैसी महामारी का मंजर भारतवासियों ने देखा नहीं था। आम जनता को यह समझाने में कठिनाई होती है कि यदि लोग मास्क नहीं पहनेंगे और एक दूसरे के संपर्क में आएंगे, तो दूसरों को यह महामारी जकड़ लेती है और वह बाद में कितने लोगों को संक्रमित कर देगा इसका भी पता नहीं लग सकता है।

अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अनेक ऐसे लोग हैं, जिनको कई सप्ताह तक यह पता ही नहीं चलता कि उन्हें कोरोना के वायरस ने ग्रसित कर लिया है। दुर्भाग्यवश इस वायरस का अभी तक कोई टीका नहीं बन पाया है। हालांकि कई देशों में इसके बनाने की प्रक्रिया जोर शोर से चल रही है। परंतु निश्चयपूर्वक यह नहीं कहा जा सकता कि शत-प्रतिशत सुरक्षित वैक्सीन कब तक बन पाएगी। अत: प्रधानमंत्री का यह निवेदन कि हर भारतवासी मास्क पहने और कम से कम दो गज की दूरी लोगों से मिलने के समय कायम रखे, इसका हमें निश्चित रूप से पालन करना चाहिए।

त्योहारों से बढ़ी चिंता : चूंकि त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है और हमारे देश में सदियों से यह प्रथा रही है कि इस दौरान लोग बड़ी संख्या में एक दूसरे से मिलते हैं, पूजा कार्यक्रम के दौरान एक जगह पर एकत्रित होते हैं। बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश में पूजा के दौरान पंडालों में भीड़ हो जाती है। इस भारी भीड़ को नियंत्रित करना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राज्यभर में जिस तरह की अनियंत्रित भीड़ देखी जा रही है और जिस तरह बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क के दिख रहे हैं, उसे देख कर डर लगता है कि पता नहीं कोरोना भविष्य में किस तरह से कहर बरपाएगा।

इसलिए हर राजनीतिक दल और मीडिया को बार बार आम जनता को समझाना चाहिए कि कोरोना एक भयानक बीमारी है जिसकी दवा अभी तक नहीं बनी है। इसका एकमात्र बचाव सावधानी है। भारत में हैजा, टायफाइड और चेचक जैसी बीमारियां पहले भी फैली थीं। प्लेग जैसी भयावह महामारी भी भारत में पहले दस्तक दे चुकी है, जिस पर नियंत्रण पा लिया गया था। पोलियो पर भी बहुत हद तक नियंत्रण पा लिया गया है। परंतु कोरोना पर अभी तक नियंत्रण नहीं पाया जा सका है और वैक्सीन के विकसित किए जाने के तमाम दावों के बीच यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता है कि कब तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

हालांकि कुछ राजनीतिक दलों की ओर से अपने अपने राज्यों में लोगों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में दिए जाने का वादा जरूर किया जा रहा है, लेकिन अभी इस पर किसी तरह की चर्चा करना सही नहीं होगा, क्योंकि यह तथ्य अब आधिकारिक रूप से कहीं से भी सामने नहीं आया है कि भारत में इसका सामान्य उपयोग कब से शुरू हो पाएगा। ऐसे में प्रधानमंत्री की सलाह शत-प्रतिशत उचित है कि अभी सावधानी बरतें। आवश्यक होने पर ही घर से बाहर जाएं और जब लोगों से मिलें तो कम से कम दो गज की दूरी बनाए रखें।

आर्थिक गतिविधियों के जोर पकड़ने के कारण बड़ी संख्या में लोग अब घरों से बाहर निकल रहे हैं और अधिकांश लोग कोरोना संक्रमण जनित दिशानिर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं, जिस कारण देशभर में इसका संक्रमण कायम है। ऐसे में प्रधानमंत्री की इस सलाह को मानना चाहिए कि लॉकडाउन भले खत्म हो गया है, लेकिन कोरोना नहीं खत्म हुआ है।

[पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत]