लखनऊ, आशुतोष शुक्ल। मुगल साम्राज्य के पतन का बड़ा कारण छत्रपति शिवाजी थे। बादशाह औरंगजेब को उन्होंने दक्षिण में ऐसा उलझाया कि मुगल राजशाही सामरिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों ही तरह से खोखली हो गई। शिवाजी के बाद उनकी बहू ताराबाई ने औरंगजेब से युद्ध जारी रखा। इन्हीं मुगलों के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा में एक संग्रहालय बनवाना शुरू किया था। संग्रहालय अब भी निर्माणाधीन है लेकिन, अब वह छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा।

शिवाजी का आगरा से नात भी है। यहीं उन्हें कैद किया गया था और यहीं से वह औरंगजेब के सिपाहियों को चकमा देकर भाग निकले थे लेकिन, राजनीति अद्भुत है। गाहे बगाहे अपने तरकश से ऐसे तीर निकाल लाती है, जिसकी कल्पना साधारण जन कर ही नहीं सकते। कल को कोई और सरकार आई तो उसके लिए छत्रपति शिवाजी का नाम हटाना सरल नहीं होगा। नाम परिवर्तन करते हुए मुख्यमंत्री ने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया कि नए उत्तर प्रदेश में गुलामी के प्रतीकों का अब कोई स्थान नहीं है।

योगी ने यह काम ऐसे समय किया जब महाराष्ट्र सरकार बनाम कंगना रनोट की लड़ाई सुखिर्यो में थी। अब तो संग्रहालय का दायरा भी बड़ा किया जा रहा है। पहले यह केवल आगरा तक सीमित था लेकिन, अब उसमें पूरे ब्रज क्षेत्र की संस्कृति प्रदर्शित की जाएगी। संग्रहालय का तीन चौथाई काम पूरा हो चुका है और विधानसभा चुनाव से पहले इसके लोकार्पण की पूरी संभावना है। योगी ने मुगल बनाम शिवाजी की एक ऐसी बहस छेड़ दी है जो निश्चय ही राष्ट्रीय बनेगी। भारत में इतिहास लेखन हमेशा से विवादों में रहा। योगी ने विपक्ष के एक और हमले का शुक्रवार को जवाब दिया। जब इधर लगातार उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा गर्माया तो मुख्यमंत्री ने तीन महीने में सभी सरकारी विभागों में भर्तियां करने की घोषणा कर दी।

अगले ही दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने योगी को एक लंबा पत्र लिख दिया। यहां विपक्ष से एक तथ्यात्मक चूक हो गई। पिछले साढ़े तीन साल में प्रदेश में 2,94,080 भर्तियां हो चुकी हैं। इनके अलावा बेसिक शिक्षा, पुलिस और ऊर्जा विभागों में 86,482 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। माना जा रहा है भíतयों की संख्या अगले साल तक चार लाख पार कर जाएगी। जिस दिन प्रियंका ने पत्र लिखा, संयोग से उसी दिन अधीनस्थ कृषि सेवा प्राविधिक सहायक के 2,059 पदों का परिणाम घोषित किया जा चुका था। एलटी ग्रेड हिंदी-सामाजिक विज्ञान के 3,287 पदों का परिणाम भी बहुत जल्दी आने वाला है। प्रियंका के पत्र के अगले ही दिन योगी ने एक सप्ताह में 31 हजार शिक्षकों की भर्ती की घोषणा भी कर दी।

राजनीति से इतर अब एक बात। लखनऊ में शवदाह गृह के पास एक ऐसा शव वाहन पकड़ा गया, जिसमें कोरोना का शिकार हुए तीन शव एक साथ लाए गए थे। वाहन का दरवाजा खोला गया तो अंतिम संस्कार करने पहुंचे घरवाले हतप्रभ। चूंकि शव पीपीई किट में थे तो बेचारे जान ही नहीं पा रहे थे कि उनके प्रिय का शव कौन सा है और वे किसकी अंत्येष्टि करें। अगले दिन जिला प्रशासन जागा। इसमें संदेह नहीं कि कोरोना एक ऐसी मुसीबत लाया है जिसका निदान नहीं हो पा रहा। पीपीई किट में बंद शव बदलने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले हफ्ते यह बात भी प्रकाश में आई कि कोरोना के 58 प्रतिशत रोगी 15 जिलों में हैं। इनमें लखनऊ का नंबर पहला है, जहां औसतन 1,200 मरीज रोज मिल रहे हैं।

आइपीएस अधिकारी फरार : यूपी में इन दिनों एक आइपीएस अधिकारी फरार चल रहे हैं। ये हैं महोबा के निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार। उनके साथ ही एक थानाध्यक्ष और दो अन्य पुलिस वालों के खिलाफ पहले महोबा के एक व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी की हत्या के प्रयास का मुकदमा लिखा गया लेकिन जब त्रिपाठी की मौत हो गई तो हत्या की धारा लगा दी गई। विशेष जांच दल (एसआइटी) पड़ताल कर रही है। घटना को एक सप्ताह होने को है लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से पाटीदार का अभी पता नहीं चल सका है।

पुलिस के पीछे पुलिस लगी है। है न हैरानी की बात..!

[संपादक, उत्तर प्रदेश]