नई दिल्ली [मुकुल व्यास]। सदियों से मनुष्य आसमान में केवल एक ही सूरज देख रहा है, लेकिन एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि सूरज अकेला नहीं था। उसका एक जुड़वां भाई भी था। हार्वर्ड में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोल विज्ञानियों का कहना है कि हमारे सौर मंडल के गठन के वक्त एक सूरज और था जो खिसक कर कहीं और चला गया। सौर मंडल में आज कई चीजें बहुत ही विचित्र हैं और उन्हें अभी ठीक से समझा नहीं जा सका है। इनमें ओर्ट क्लाउड और बहुचर्चित नौवें ग्रह का उल्लेख खास तौर से किया जा सकता है। 

खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि सौर मंडल की इन विचित्र चीजों का संबंध कहीं न कहीं भटके हुए सूरज से है। खगोल विज्ञानियों को भलीभांति मालूम है कि हमारे ब्रह्मांड में कई तारों वाले सौर मंडलों की उपस्थिति सामान्य बात है। ठीक हमारे पड़ोस में सेंटॉरी सौर मंडल है। इस सौर मंडल में तीन तारे हैं। एवी लोब और आमिर सिराज ने अपने एक नए शोधपत्र में कहा है कि सूरज का गुमशुदा भाई हमारे बाहरी सौर मंडल में होने वाली अजीबोगरीब घटनाओं पर रोशनी डाल सकता है।

खास कर हम यह पता लगा सकते हैं कि ओर्ट क्लाउड इतना भारी भरकम क्यों है। ओर्ट क्लाउड हमारे सौरमंडल के बाहरी छोर पर स्थित है। यह स्थान नेप्च्यून और प्लूटो से आगे है। यह सबसे दूरवर्ती काइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट्स से भी आगे है। कइ पर बेल्ट का आकार छल्ले जैसा है, जबकि ओर्ट क्लाउड अंतरिक्ष का एक गोलाकार क्षेत्र है, जिसमें बर्फीले पिंडों की भरमार है, जो प्रारंभिक मूल पदार्थों से बने हैं। इनमें धूमकेतु भी शामिल हैं, जो कभी भी सौर मंडल के अंदरूनी हिस्सों में दाखिल नहीं होते। 

अभी तक सौर मंडल के गठन का कोई भी मॉडल ओर्ट क्लाउड के आयतन को नहीं समझा पाया है, लेकिन यदि हम इस तस्वीर में दूसरे सूरज को भी शामिल करें तो चीजें समझ में आने लगती हैं। नए अध्ययन में खगोल विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि एक मॉलिक्युलर क्लाउड से हमारे सूरज के साथ एक दूसरे तारे का भी जन्म हुआ था। मॉलिक्युलर क्लाउड को तारों की नर्सरी भी कहा जाता है। यह एक खास श्रेणी का अंतर-नक्षत्रीय बादल है, जिसके घनत्व और आकार से मॉलिक्यूल्स की उत्पत्ति सुगम हो जाती है। इनमें मॉलिक्युलर हाइड्रोजन सबसे ज्यादा होती है।

खगोल विज्ञानियों का कहना है कि जन्म के बाद दोनों सूरज एक दूसरे के साथ गुरुत्वाकर्षण बंधन में जकड़े हुए थे। यदि हमारे सौर मंडल में दूसरे सूरज का द्रव्यमान हमारे सूरज जितना ही था, तो उसने ओर्ट क्लाउड को फैलाने में मदद की होगी। खगोल विज्ञानियों के अनुसार मॉलिक्युलर क्लाउड से जन्म लेने के बाद तारों का भटकना सामान्य है।

अपनी नर्सरी में दूसरे तारों के साथ गुरुत्वाकर्षण अंतर-क्रिया के कारण ये तारे विचरने लगते है। अतः हमारे सौर मंडल का अतिरिक्त तारा अरबों वर्ष ओर्ट क्लाउड का सामान जुटाने के बाद दूर निकल कर आकाशगंगा के किसी कोने में सूरज जैसा तारा बन गया। समझा जा रहा है कि नौवें ग्रह की गुत्थी को भी लापता सूरज से सुलझाया जा सकता है।

(लेखक विज्ञान के जानकार हैं )