[ उज्ज्वल निकम ]: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर आते ही यह कहा जाने लगा था कि बॉलीवुड में स्थापित कुछ कलाकारों ने जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां खड़ी कीं कि उन्हें मजबूरन आत्महत्या करनी पड़ी। मुंबई पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत जांच शुरू की। उसने कुछ फिल्म निर्देशकों, निर्माताओं से पूछताछ का सिलसिला शुरू किया। सुशांत की मौत के करीब 45 दिनों बाद उनके पिता कृष्ण कुमार सिंह ने पटना में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की। सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर उन्होंने गंभीर किस्म के आरोप लगाए। इसके बाद बिहार पुलिस जांच के लिए मुंबई आ गई।

मुंबई पुलिस ने कहा- बिहार पुलिस को जांच का अधिकार नहीं

मुंबई पुलिस ने कहा कि बिहार पुलिस को जांच का अधिकार नहीं है। इस पर बिहार पुलिस ने आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रही। उसे जरूरी कागजात की नकल नहीं दे रही। इस वजह से बिहार पुलिस महानिदेशक ने अपने एक आइपीएस अधिकारी विनय तिवारी को मुंबई भेजा, लेकिन मुंबई महानगर पालिका ने कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए निर्धारित नियमावली का हवाला देकर उन्हें क्वारंटाइन में भेज दिया। इसे आधार बनाकर मीडिया ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया कि इस मामले में कुछ तो काला है और मुंबई पुलिस कुछ तो छिपा रही है। कुछ यह भी कहने लगे कि सुशांत तो आत्महत्या कर ही नहीं सकते, उनकी जरूर हत्या हुई होगी।

रिया चक्रवर्ती ने कोर्ट में दाखिल की याचिका, कहा- बिहार पुलिस को जांच करने का अधिकार नहीं

इसी दौरान रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा कि सुशांत आत्महत्या प्रकरण में बिहार पुलिस को जांच करने का अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र पुलिस ही इसकी जांच कर सकती है। इसके बाद बिहार पुलिस के महानिदेशक ने कहना शुरू कर दिया कि रिया चक्रवर्ती मुंबई पुलिस की भाषा बोल रही है। इस आरोप के बाद बिहार और महाराष्ट्र के नेताओं के बयान भी सामने आने लगे।

सुशांत आत्महत्या प्रकरण में बिहार पुलिस ने की सीबीआइ जांच की सिफारिश

यह राजनीतिक उठापटक जारी ही थी कि बिहार सरकार ने सुशांत की आत्महत्या की जांच सीबीआइ को सौंपने की केंद्र सरकार से सिफारिश कर दी। केंद्र ने भी उसे स्वीकार कर लिया और सुप्रीम कोर्ट में यह शपथपत्र पेश कर दिया कि हम यह जांच सीबीआइ को सौंप रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को अब फैसला करना है कि जांच किसके जरिये कराई जाए।

जिस जगह गुनाह हुआ होता है वहीं की पुलिस उसकी जांच करती है

देखा जाए तो इस मामले की आड़ में कुछ लोग बिहार पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस के बीच शत्रुता खड़ी करने में कामयाब रहे। यह राज्यों के ही नहीं, बल्कि देश के नजरिये से भी बहुत घातक है। कानून कहता है कि जिस जगह अपराध घटित होता है, उस जगह के कोर्ट को ही कानूनन उस अपराध का मुकदमा चलाने का अधिकार है। सुशांत ने आत्महत्या मुंबई में की। उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया गया या उनकी हत्या हुई, यह फैसला करने का अधिकार मुंबई की कोर्ट को है। आज तक की परंपरा भी यही रही है कि जिस जगह गुनाह हुआ है वहीं की पुलिस जांच करती है।

सुशांत के पिता ने मुंबई पुलिस पर विश्वास नहीं किया, बिहार पुलिस के पास शिकायत दाखिल की

यदि दूसरी जगह की पुलिस कोई मामला दर्ज करती है तो वह उसे जांच के लिए उसी जगह भेजती है, जहां गुनाह हुआ है, लेकिन सुशांत के पिता ने मुंबई पुलिस पर विश्वास नहीं किया और बिहार पुलिस के पास शिकायत दाखिल की। महाराष्ट्र पुलिस ने कहीं भी ऑन रिकॉर्ड आकर अपना पक्ष नहीं रखा। इससे मुंबई पुलिस की छवि को धक्का लगा है। कल को यह हो सकता है कि महाराष्ट्र में कोई गुनाह हो और अपराधी बिहार भाग जाए तो बिहार की पुलिस महाराष्ट्र पुलिस का सहयोग न करे। यह अच्छा नहीं होगा।

सुशांत या दिशा की आत्महत्या वाकई में आत्महत्या है या किसी ने उन्हें इसके लिए उकसाया

इन दिनों इस पर भी चर्चा हो रही है कि सुशांत की फाइनेंस मैनेजर दिशा सालियान आत्महत्या के पीछे भी तो कोई राज नहीं। कहा जा रहा है कि सुशांत सिंह यह जाहिर करने वाले थे कि दिशा की मौत क्यों हुई और इसलिए उनकी हत्या कर दी गई। यह कुछ लोगों ने बिना किसी सुबूत खोज निकाला। सुशांत या दिशा की आत्महत्या वाकई में आत्महत्या है या किसी ने उन्हें इसके लिए उकसाया, यह बात जांच से ही स्पष्ट हो सकती है।

जब जांच में देर होती है तो सुबूत भी नष्ट होते जाते हैं

जब जांच में देर होती है तो सुबूत भी नष्ट होते जाते हैं। दिशा की आत्महत्या के बाद सुशांत की प्रतिक्रिया क्या थी, उनके बर्ताव या व्यवहार में कोई फर्क आया था क्या? यह सब जांच पुलिस को करनी चाहिए थी। सुशांत किस वजह से डिप्रेशन में थे, मानसिक तनाव में क्यों थे, इसके संबंध में कोई जांच नहीं की गई है, लेकिन इस घटना की वजह से चरित्र हनन करने के प्रयासों में कुछ लोगों ने अपने हित जरूर साध लिए हैं।

बिहार सरकार को सुशांत मामले की जांच का अधिकार नहीं है तो उसकी सिफारिश वैध है क्या

शुरुआत में रिया चक्रवर्ती ने ही केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया था कि इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जाए। सीबीआइ को जांच करने का अधिकार नहीं, यह स्टैंड महाराष्ट्र सरकार ले सकती है। कारण सीबीआइ की स्थापना दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत हुई है। इसकी धारा 6 के अनुसार किसी भी मामले की जांच हाथ में लेने से पहले सीबीआइ को राज्य की सहमति लेनी होती है, लेकिन बिहार सरकार को सुशांत की आत्महत्या की जांच का अधिकार नहीं है तो ऐसे में उसकी सिफारिश वैध है क्या? नहीं है तो केंद्र सरकार महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लिए बगैर यह जांच सीबीआइ को सौंप सकती है क्या?

महाराष्ट्र सरकार इस समय खुद ही उलझन में फंस चुकी है, उसे उलझन से बाहर आना चाहिए

ऐसे कई प्रश्न कानून के सामने आ सकते हैं। इन प्रश्नों को लेकर महाराष्ट्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्र याचिका दाखिल की जानी चाहिए, लेकिन यदि ऐसा हुआ तो यह सवाल भी खड़ा होगा कि आखिर किसे बचाने के लिए मुंबई पुलिस इतनी भागदौड़ कर रही है? जाहिर है कि महाराष्ट्र सरकार इस समय खुद ही उलझन में फंस चुकी है। उसे इस उलझन से बाहर आना चाहिए।

( लेखक महाराष्ट्र के विशेष सरकारी वकील हैं )