[ ए. सूर्यप्रकाश ]: संकट के इस गहन समय विभिन्न पेशों से जुड़े लोग कोरोना वायरस के खिलाफ मुहिम छेड़ने के मामले में नए मानदंड स्थापित कर रहे हैं। अगर हमने जरा भी ढिलाई की तो यह वायरस भीषण कहर बरपा सकता है। इन लोगों और इनसे जुड़े संस्थानों पर प्रत्येक भारतीय को गर्व होना चाहिए जो मुश्किल वक्त में भी अपनी सेवाओं से मिसाल बने हुए हैं। इनमें डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस और सेना, एयरपोर्ट पर तैनात अमले से लेकर केंद्र और कई संजीदा राज्य सरकारों के अलावा आइसीएमआर जैसे तमाम संस्थान और उनमें कार्यरत लोग शामिल हैं। उनमें एक नई ऊर्जा, प्रतिबद्धता, अनुशासन और आत्मविश्वास दिख रहा है। इसके पीछे बहुत हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा है जो अग्रिम मोर्चे से अगुआई में लगे हैं।

कनिका मामला- वीआइपी संस्कृति कैसे हमारे देश का बेड़ा गर्क कर सकती है

इन सबके बीच बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर जैसे प्रकरण यही दर्शाते हैं कि जहां विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय पेशेवर प्रधानमंत्री की बात को गांठ बांधकर कार्यरत हैं, वहीं राजनीतिक बिरादरी उनके संदेश को समझने में पीछे रह गई। कनिका का मामला उम्दा मिसाल है कि वीआइपी संस्कृति कैसे हमारे देश का बेड़ा गर्क कर सकती है। जब यह बात सामने आई कि बीते दिनों लखनऊ और कानपुर में कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में शिरकत करने वाली कनिका कोरोना संक्रमित हैं तो पूरे देश में सनसनी फैल गई। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन कार्यक्रमों में देश के कई जाने-माने लोग भी शामिल हुए थे। जब यह मामला सामने आया तो यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ लापरवाही बरतने और दूसरों की जान जोखिम में डालने के आरोप में मामला दर्ज किया।

कनिका कपूर का सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने का कृत्य अक्षम्य है 

उनका सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने का कृत्य अक्षम्य है। जो नेता उनकी पार्टियों में शामिल हुए, उनकी भी जवाबदेही बनती है। जब प्रधानमंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और अन्य जानी-मानी शख्सियत एवं संस्थानों द्वारा लोगों को जलसों से दूर एवं एकांत में रहने की सलाह दी जा रही थी तब आखिर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके सांसद बेटे दुष्यंर्त ंसह और उप्र के स्वास्थ्य मंत्री सहित कई अन्य मंत्रियों ने उस पार्टी में क्यों शिरकत की जिसके मेहमानों की सूची में कनिका भी रहीं जो हाल में ही लंदन से लौटी थीं? दुष्यंत सिंह ने संसद की कार्यवाही में भी भाग लिया और वह अन्य सांसदों के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिले। असल में ऐसा व्यवहार उस मुगालते से आता है जो ये नेता अमूमन पाले रखते हैं।

भारत में अधिकांश नेता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं 

कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो भारत में अधिकांश नेता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं। चूंकि तमाम तरह के सुरक्षा बल उनकी सलामती के लिए तैनात रहते हैं तो उन्हें यही लगता है कि वे उन्हें वायरस जैसे खतरों से भी महफूज रखेंगे। जो लोग जनता की सेहत को खतरे में डालकर इन पार्टियों में गए उनसे कड़ाई से जवाब तलब करना चाहिए। केवल सेल्फ-क्वारंटाइन ही पर्याप्त नहीं होगा।

लापरवाही दिखाने वाले नेतागण की जमात में वरिष्ठ नौकरशाह भी शामिल हैं

लापरवाही दिखाने वाले नेतागण अकेले नहीं हैं। इस जमात में वरिष्ठ नौकरशाह और अन्य सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं। उनकी इन करतूतों से देश के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के समक्ष एक नई चुनौती खड़ी हो गई है।

बेंगलुरु में रेलवे की एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने बेटे के कोरोना संक्रमण की सूचना छिपाई

जैसे बेंगलुरु में रेलवे की एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने बेटे के स्पेन से लौटने की जानकारी छिपाई। कोरोना संक्रमित बेटे के एकांतवास के लिए उन्होंने अपने रुतबे का इस्तेमाल करते रेलवे गेस्ट हाउस में व्यवस्था करा दी, लेकिन कोरोना संक्रमण की सूचना छिपाई। इससे उन्होंने तमाम अन्य लोगों की सेहत को खतरे में डाल दिया।

बंगाल में इंग्लैंड से लौटे वरिष्ठ नौकरशाह के बेटे ने निर्देशों की अवहेलना की

बंगाल की एक वरिष्ठ नौकरशाह का व्यवहार भी इतना ही शर्मनाक रहा। इंग्लैंड से लौटे उनके बेटे ने न केवल अस्पताल जाने और क्वारंटाइन संबंधी निर्देशों की अवहेलना की, बल्कि कई जगह आवाजाही की। जब उनके बेटे के कोरोना संक्रमित होने की खबर आई तो राज्य सचिवालय में अफरातफरी मच गई, क्योंकि वह गैर-जिम्मेदार अधिकारी लगातार दफ्तर आ रही थीं। इससे तमाम लोगों को वायरस की चपेट में आने की आशंका सताने लगी।

ममता ने कहा- बीमारी को छिपाने से गैर-जिम्मेदाराना कुछ और नहीं हो सकता

इसने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी कुपित किया। उन्हें कहना पड़ा कि ‘बीमारी को छिपाने से गैरजिम्मेदाराना कुछ और नहीं हो सकता।’ लोगों की सेहत के लिए खतरा पैदा करने वाली एक अन्य महिला भी एक रेल अधिकारी के परिवार से जुड़ी निकली। कोरोना संक्रमित इस महिला ने बेंगलुरु से दिल्ली जाने के लिए फ्लाइट ली और दिल्ली से आगरा का सफर रेल के जरिये किया। इस अपराध में भागीदार उसके परिवार के प्रत्येक सदस्य के खिलाफ मामला दर्ज कर कानून के तहत कार्रवाई समय की मांग थी।

कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकारों का जिम्मा है

कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकारों का जिम्मा है। ऐसे में यह राज्यों पर है कि वह जनता को खतरे में डालने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के अनुसार कार्रवाई करे। तमाम तरह की स्थितियों से निपटने के लिए हमारे पास कई विधायी प्रावधान हैं, लेकिन वे बमुश्किल लागू हो पाते हैं। इन प्रावधानों का इस्तेमाल करने में हिचका नहीं जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 269 में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति गैरकानूनी या लापरवाही से कोई संक्रमण फैलाता है तो उसे छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों लगाए जा सकते हैं। अगली धारा 270 और कड़ाई का प्रावधान करती है जिसमें इसके लिए दो साल की कैद और जुर्माने या फिर दोनों सजा का प्रावधान है। 

उन लोगों पर सख्ती करनी होगी जो वीआइपी रवैये के चलते लाखों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कनिका पर एफआइआर दर्ज की है। धारा 188 के तहत भी मामला दर्ज किया है जिसमें सरकारी आदेश की अवहेलना पर मानव जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होने पर कार्रवाई होती है। साफ है कि राज्य सरकारों को इस महामारी को रोकने के लिए उन लोगों पर भी सख्ती करनी होगी जो अपने वीआइपी रवैये के चलते लाखों भारतीयों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं।

( लेखक लोकतांत्रिक विषयों के विशेषज्ञ हैं )