डा. सुरजीत सिंह : वेदांत और फाक्सकान गुजरात में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले प्रोडक्शन प्लांट लगाने के लिए 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। किसी भी भारतीय राज्य में यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। दावा किया गया कि एक हजार एकड़ भूमि पर लगने वाला यह प्लांट पहले महाराष्ट्र में लगाए जाने की योजना थी। इस प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए दोनों राज्य नाममात्र की कीमत पर भूमि, सस्ती बिजली, कर छूट आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि इस मेगा प्रोजेक्ट के निवेश से न सिर्फ राज्य का विकास होगा, बल्कि एक लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

यह प्रोजेक्ट किस राज्य में होना चाहिए, इसके लिए दोनों राज्यों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं, परंतु इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों राज्यों में विकास, रोजगार और निवेश आदि के लिए प्रतिस्पर्धा हुई। बदलते समय में दोनों राज्य विकास की महत्ता को समझ रहे हैं। विकास के लिए यदि सभी राज्यों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होने लगे तो भारत को विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने से कोई रोक नहीं सकता।

उल्लेखनीय है कि देश में अधिक निवेश को आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने भी 10 अरब डालर की प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया है। यह एक खुला आमंत्रण है कि जिस राज्य की जितनी तैयारी होगी, उसको विदेशी निवेश का लाभ भी उतना ही अधिक मिलेगा। इससे न सिर्फ राज्य एवं देश का विकास होगा, बल्कि उस राज्य के नागरिकों का आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण भी होगा। सामाजिक-आर्थिक विकास से समाज में अनेक सामाजिक बुराइयां स्वयं ही समाप्त होने लगती हैं।

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश की जीडीपी में केवल पांच राज्यों-गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक का योगदान लगभग 47 प्रतिशत है। ये राज्य आइटी सेक्टर, आटोमोबाइल, पर्यटन, सेवा, फार्मास्यूटिकल आदि क्षेत्रों में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए आधारिक संरचना पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। आरबीआइ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार गुजरात एवं महाराष्ट्र मैन्यूफैक्चरिंग हब बन गए हैं। ये दोनों राज्य श्रम कानूनों में सुधार के साथ व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था के अंतर्गत समस्याओं का तुरंत समाधान करते हैं।

2012 से 2019 तक गुजरात को 5.85 लाख करोड़ रुपये का निवेश मिला, जबकि महाराष्ट्र में 4.07 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया। गोवा, दिल्ली, सिक्किम, हरियाणा आदि राज्य भी इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं। वहीं सबसे अधिक जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति आय के मापदंड में पिछड़ने के बावजूद उत्तर प्रदेश अपने निरंतर प्रयासों से कृषि एवं सेवा क्षेत्र में अपने योगदान को बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित दिखाई दे रहा है। योगी सरकार ने बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्रों के साथ पूरे उत्तर प्रदेश में आधारिक संरचना के क्षेत्र में बहुत तेजी से कार्य किया है। निवेश को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश जिस गति से कार्य कर रहा है, उसके परिणाम शीघ्र ही दिखाई देंगे।

इसके विपरीत विकास की कोई सुनियोजित रणनीति न होने के कारण झारखंड, बिहार, मणिपुर और ओडिशा आदि राज्य प्रति व्यक्ति आय मापदंड की दौड़ में बहुत पिछड़ गए हैं। सबसे धनी एवं सबसे गरीब राज्यों की प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तुलना करें तो 21वीं सदी की शुरुआत से लेकर 2018-19 तक तुलनात्मक अध्ययन में यह अंतर 145 प्रतिशत से बढ़कर 322 प्रतिशत हो गया है। आज जो राज्य औद्योगिक विकास में पिछड़ रहे हैं, उसका मुख्य कारण उस राज्य के नेताओं में विजन एवं दूरदर्शिता का अभाव भी है।

विकास की पहली शर्त ही है कि अर्थव्यवस्था में उद्योगों को प्राथमिकता दी जाए, जिससे उस राज्यों में संसाधनों के उचित दोहन द्वारा रोजगार को बढ़ाया जा सके। राज्यों की उदासीनता के कारण ही अवसंरचनात्मक विकास पर बहुत कम व्यय किया जाता है, जिससे विकास का पहिया उलटा घूमने लगता है। इसका उदाहरण बंगाल है, जो कभी उद्योगों का गढ़ हुआ करता था, आज निवेशक यहां उद्योग लगाने के लिए भी तैयार नहीं हैं। 1960 से अभी तक लगभग 56 हजार उद्योग बंद हो गए या फिर राज्य से बाहर जा चुके हैं। यही स्थिति आज पंजाब की हो गई है।

एक दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 11वें स्थान पर थी। आइएमएफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। कहा जा रहा है कि 2028 तक जापान को पीछे छोड़कर भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। तब तक चीन भी अमेरिका को पछाड़ते हुए पहले स्थान पर पहुंच जाएगा। ऐसे में देश के समग्र विकास के लिए सभी राज्यों को मिलकर इसके लिए पहल करनी होगी।

देश के सभी राज्यों को अपने विकास का एक अलग इंजन बनाना होगा। इसके लिए पिछड़े राज्यों को अपने विकास के लिए नए स्रोतों की तलाश करनी चाहिए। अधिक निवेश के लिए राज्यों को आधारिक संरचना पर सर्वाधिक कार्य करना चाहिए, जिससे प्रत्येक राज्य को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाया जा सके। विभिन्न राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार को भी आर्थिक प्रोत्साहन देना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न राज्यों के बीच आपसी समन्वय भी बढ़ेगा। राज्यों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने से आने वाले समय में व्यापार, पर्यटन और यात्रा को भी बल मिलेगा। आत्मनिर्भर भारत एवं पांच लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना तभी साकार होगा, जब सभी राज्यों की विकास प्रक्रिया में पूर्ण सहभागिता होगी।

(लेखक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं)