नई दिल्ली [डॉ. सीमा सिंह]। पिछले दिनों रूस से एक पुरुष मित्र और उसकी चीनी मूल की महिला मित्र भारत घूमने आए थे। महिला की चीनी नागरिकता देख उसे एयरपोर्ट से ही वापस भेज दिया गया। वे दोनों महीने भर की बुकिंग करवाकर भारत आए थे। उसने वहां बताया भी कि पिछले दो वर्ष से वह चीन नहीं गई है। पासपोर्ट भी दिखाया, लेकिन एहतियात के तौर पर उसे वापस भेज दिया गया। उसी समय मुझे कोरोना की भयावहता की जानकारी हुई, जो आज पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है।

पाकिस्तान ने तो चीन में मौजूद अपने नागरिकों को लाने से इन्कार कर दिया है। वहां कोहराम मचा है। लोग अपनों को बुलाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं, पर मजाल कि सरकार झुके। विदेश में रहने वाले एक पाकिस्तानी मित्र से इस विषय पर बात हुई। वह खुश था कि कम से कम पाकिस्तानी इस बीमारी से सुरक्षित रह सकेंगे। क्या एक भारतीय इस तरह सोच पाएगा? हमारा कोई अपना दूर देश में जान की भीख मांगे और हम मुंह फेर लें, कभी नहीं। खुद मरना मंजूर, पर किसी अपने के रोने को कैसे अनसुना कर जाएं। हमारा देश शायद इन्हीं वजहों से भारत है।

केंद्र सरकार अपने नागरिकों के लिए फिक्रमंद है। देश में एहतियात के साथ, विदेश में मौजूद अपने नागरिकों से लगातार संपर्क बनाए रखने को अलग से टीम काम कर रही है। कल्पना करें कि यदि आप वहां फंसे होते और सरकार का सहयोग न मिलता तो आप और आपके अपनों की क्या स्थिति होती। इस बीच कई विदेशी मित्रों से बात हुई। बाहर वाकई स्थिति भयावह है। मुझे यकीन है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान हम निकाल लेंगे। भारत हर तरह से सक्षम है। भारत ने विवेक से पहले संवेदना को स्थान दिया है। बाहर से आए तमाम लोग इसके गवाह हैं।

पिछले माह चीन से और हाल ही में ईरान से विमान द्वारा बड़ी संख्या में भारतीयों को लाया गया। बाहर से आए भारतीयों को यहां पर आइसोलेशन कैंप में रखा जा रहा है। भारत आए सभी लोगों को इन कैंपों में रखकर इनकी पर्याप्त निगरानी की जा रही है। इस महामारी के समय में सरकार का यह कदम वाकई में काबिल-ए-तारीफ है। देश भर में कई स्थानों पर आइसोलेशन कैंप की स्थापना की गई है। यहां पूरी तरह से इनका ध्यान रखा जा रहा है। बीमारी कई बार शारीरिक से ज्यादा मानसिक कष्ट देती है। यह वही स्थिति है। आज सरकार के साथ हम सभी को आना चाहिए। भारत सभी संसाधनों से लैस है।

यहां सभी प्रकार की मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध है। ऐसी कई महामारी अब तक सामने आ चुकी है। सभी का समाधान भी हुआ है। इसका भी होगा। यदि अपनों का साथ हमने छोड़ दिया तो वे इस वायरस से बचकर भी जिंदा नहीं बच पाएंगे। इंग्लैंड में मौजूद एक मित्र ने बताया कि भारत सरकार ने जिस तरह से यहां अपनों को आश्वासन दिया है वह गर्व की बात है। भारत संकट की घड़ी में अपनों को अकेला नहीं छोड़ता है।

वैश्विक स्तर पर कोरोना एक महामारी की तरह फैल चुका है। जहां अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा करता चीन संसाधनों के बिना अपंग नजर आ रहा है, वहीं भारतीय राजनीति ने अपनी मजबूत दृढ़ इच्छाशक्ति का संपूर्ण विश्व में परिचय दिया है। भारत सरकार ने अपनी बढ़ती हुई ताकत का एहसास कराया है। 

(लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं)