सरहद पर तैनात फौजी हों, गृहिणियां हों या फिर बुजुर्ग; सबके दिल की बात साझा करता है रेडियो
World Radio Day 2020 जमाने और तकनीक के साथ रेडियो में भी व्यापक बदलावा आया। अब यह चौबीस घंटे उपलब्ध है। यह आपकी जेब में है आपके मोबाइल पर जो टच करते ही बज उठता है।
मुंबई, ममता सिंह। कुछ लोग कहते हैं कि रेडियो पुराने जमाने की चीज बन गया है, लेकिन सच यह है कि रेडियो की अहमियत हर दौर में है। सोचिए कि आप ट्रैफिक जाम में फंसे हुए हों, बस या ट्रेन में हों तो रेडियो बड़ी शिद्दत से आपका साथ निभाता है। जब आप उदास होते हैं, एकाकी होते हैं तो रेडियो आपका हमसफर बन आपको हंसाता और गुदगुदाता है। आज की व्यस्त जिंदगी में ‘विजुअल कंटेंट’ के लिए वक्त कम ही निकल पाता है। ऐसे में रेडियो काम में बाधा पहुंचाए बिना आपकी जिंदगी का बैकग्राउंड म्यूजिक बन जाता है।
तकनीकी बदलाव के दौर में रेडियो
सरहद पर तैनात फौजी हों, रात की शिफ्ट के कर्मचारी हों, गृहिणियां हों या फिर बुजुर्ग, इनके दिल की बात साझा करता है रेडियो। तकनीकी बदलाव के दौर में रेडियो ने भी अपनी प्रासंगिकता बरकरार रखने के लिए व्यापक बदलाव किए हैं। आकाशवाणी की बात करें तो नेट स्ट्रीमिंग और मोबाइल एप के जरिये आप दुनिया के किसी भी शहर में अपना मनपसंद चैनल सुन सकते हैं। आकाशवाणी के दो मोबाइल एप हैं- न्यूज ऑन एआइआर और ऑल इंडिया रेडियो लाइव, जो प्ले-स्टोर पर मौजूद हैं। बस डाउनलोड कीजिए और चाहें तो विविध भारती सुनिए या फिर अपने शहर के आकाशवाणी केंद्र का प्रसारण।
रेडियो चैनल्स की बाढ़ आ चुकी है
अधिकांश क्षेत्रीय भाषाओं का अपना प्राइवेट और सरकारी रेडियो चैनल है जो अपने इलाके की रोचक खबरों और गीतसंगीत से लबरेज है। रेडियो के कार्यक्रम सिर्फ नियत समय पर ही नहीं, पॉडकास्ट के माध्यम से मनचाहे समय के मुताबिक सुने जा सकते हैं। लगभग सभी रेडियो चैनलों ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रमों को अपनी वेबसाइट पर ‘पॉडकास्ट’ के रूप में उपलब्ध करवा दिया है। अब रेडियो चैनल्स की बाढ़ आ चुकी है। इस वजह से प्रसारण का जो खांटी स्वरूप था- उसमें बदलाव आ गया है।
आकाशवाणी के चैनल्स अपनी गरिमा कायम रखे हुए
एक समय रेडियो लोक-प्रसारण-सेवा और लोगों को मानक भाषा सिखाने का सशक्त भरोसेमंद माध्यम हुआ करता था। साहित्यिक, सांस्कृतिक सिनेमाई विरासत को संजोने वाला माध्यम हुआ करता था। कार्यक्रमों से लोगों को सुंदर अंदाज में गढ़ी हुई ललित भाषा मिलती थी, पर अब प्राइवेट रेडियो चैनल्स से इस तरह के कार्यक्रम विदा हो चुके हैं। वैसे आकाशवाणी के बहुत सारे चैनल्स अपनी गरिमा कायम रखे हुए हैं ताकि भाषा परिष्कृत हो और शब्द भंडार बढ़े।
हवामहल, छायागीत, भूले बिसरे गीत
जहां आज लोक-संगीत, शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम रेडियो से गायब हो गए हैं, वहीं रेडियो के सबसे लोकप्रिय चैनल विविध भारती ने अपनी विरासत को गरिमा के साथ संभाला और सहेजा है। देश की सीमा पर जहां मनोरंजन का कोई साधन नहीं है, वहां भी पहुंचती है विविध भारती। इस चैनल पर अब भी फौजियों के लिए ‘जयमाला’ का प्रसारण होता है। इसके अलावा फौजियों की शौर्य गाथा भी सुनाई जाती है। कुछ बहुत पुराने कार्यक्रम आज भी प्रसारित होते हैं- जैसे हवामहल, छायागीत, भूले बिसरे गीत वगैरह। ये अपनी गरिमा और आकर्षण के साथ न केवल मौजूद हैं, बल्कि विविधता के साथ लोगों के दिलों में कौतूहल पैदा करते हैं। संगीत सरिता और अनुरंजिनी जैसे कार्यक्रम शास्त्रीय संगीत के चाहने वालों के लिए किताब के पन्नों की तरह हैं। विविध भारती सही मायनों में एक ग्लोबल रेडियो चैनल है। मोबाइल एप के जरिये आप कहीं से भी इसे सुन सकते हैं, जबकि प्राइवेट चैनल अपने शहर के दायरे तक ही महदूद होते हैं।
अब ज्यादातर चैनल 15 से 25 वर्ष के युवाओं के मनोरंजन के लिए अपने कार्यक्रम पेश कर रहे हैं। एक अजीब सी खिचड़ी भाषा परोसी जा रही है जिसमें स्थानीयता और अंग्रेजीयत का छौंक लगा दिया जाता है। यहां बातें अक्सर शालीनता की दहलीज को लांघ जाती हैं। सब कुछ इतना उथला और बेमानी है कि अब लोग किसी एक रेडियो चैनल के वफादार श्रोता नहीं हैं, वे अपने मनपसंद गाने की तलाश में लगातार चैनल बदल रहे होते हैं। एक जैसा ‘साउंड’ करने वाले चैनल्स के बीच किसी चैनल की कोई विशेष पहचान नहीं रह गई है। इस उम्र वर्ग के पार भी देश का एक बड़ा वर्ग है, पर प्राइवेट रेडियो चैनलों का उन पर कोई खास फोकस नहीं है।
इसके बावजूद रेडियो एक खूबसूरत दुनिया रच रहा है। आकाशवाणी के कुछ चैनल्स और कार्यक्रमों ने अपनी खास पहचान बनाई है। जैसे आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारित होने वाला ‘संदेश टू सोल्जर्स’ फौजियों से सरोकार रखने वाला कार्यक्रम है। दूसरी तरफ विविध भारती पर ‘सखी सहेली’ हफ्ते में चार दिन दोपहर तीन बजे प्रसारित होता है। फोन इन कार्यक्रम ‘हैलो फरमाइश’ का अपना आकर्षण है, दूरदराज के श्रोता फोन करके अपने मनपसंद गाने की फरमाइश करते हैं। कुछ प्राइवेट चैनलों पर ‘बोलो और गाना सुनाओ’ से परे रोचक कहानियां नए अंदाज में पेश की जा रही हैं और इन्हें पसंद भी किया जा रहा है। इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ साझा करने के लिए आकाशवाणी को चुना है।
आकाशवाणी ने शुरू से ही भारत की सांस्कृतिक विरासत का बेहतरीन दस्तावेजीकरण और संग्रह किया है। कालजयी रचनाकारों, अभिनेताओं, गायकों, संगीतकारों, साहित्यकारों और शास्त्रीय संगीत की मशहूर हस्तियों का समृद्ध खजाना तैयार करने का काम आकाशवाणी करती आई है। बल्कि अब तो इनमें से कुछ चुनिंदा रिकॉर्डिंग प्रसार भारती आर्काइव के जरिये सीडी के रूप में जनता के लिए उपलब्ध हैं।
[उद्घोषक, विविध भारती, मुंबई]