जैसे कक्षा पास करने के लिए इम्तिहान पास करने पड़ते हैं, उसी तरह जीवन के हर पड़ाव को पास करने के लिए समस्याओं के इम्तिहान भी पास करने पड़ते हैं। वे व्यक्ति जो विद्यार्थी भाव से सीखने की ललक, जिज्ञासा, उत्साह, लगन और कर्म करते हुए समस्याओं का धैर्य के साथ सामना करते हैं, वे इम्तिहान में प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं और इतिहास पटल पर भी अमर हो जाते हैं। वहीं वे लोग जो खीझते, चिड़चिड़ाते हुए और दूसरों को कोसते हुए समस्याओं से लड़ते हैं, वे किसी तरह पास तो हो जाते हैं, लेकिन उस सफलता को प्राप्त नहीं कर पाते, जो कर्मठ, धैर्य, सकारात्मक और मुस्कराहट के साथ समस्याओं से जूझने वाले लोग कर पाते हैं। जीवन है तो समस्याएं हैं और समस्याएं हैं तो जीवन है। जीवन और समस्याएं एक-दूसरे से गुंथे हुए हैं और इनके साथ गुंथे रहकर चलने से ही जीवन का आनंद आता है। जहां समस्याओं को अलग करने का प्रयास किया जाए तो वहां जीवन निढाल हो जाता है, मर जाता है और कृत्रिम हो जाता है।
व्यक्ति के हर पड़ाव पर आने वाली समस्याएं, कठिनाइयां, आघात, बीमारियां-ये सब जीवन के इम्तिहान हैं। रॉबर्ट कॉलियर कहते हैं कि, ‘हमारे काम में देर-सवेर संकट आते ही हैं। जीवन का कोई भी क्षेत्र संकट से अछूता नहीं है। इसका सामना किए बगैर और इससे निजात पाए बिना आप कुछ हासिल नहीं कर सकते।’ समस्याओं से भागना वह दौड़ है, जो व्यक्ति कभी नहीं जीत सकता, क्योंकि समस्याएं हमेशा आएंगी ही। अक्सर संकट या समस्या पहले से कहकर नहीं आती। इसकी भविष्यवाणी भी नहीं की जा सकती और सबसे अहम व बड़ी बात यह है कि समस्याओं से जूझने की क्षमता को उसी समय सीखा और सुलझाया जा सकता है, जब वे वास्तविक रूप से सामने आ जाती हैं। हम समस्याएं सुलझाने का कृत्रिम प्रयास बेशक कर लें, लेकिन वास्तविक प्रयास का परिणाम तो तभी सामने आता है जब समस्याएं पड़ने पर उनका सामना किया जाता है। जो व्यक्ति समस्याओं को देखकर मैदान नहीं छोड़ते और उनका डटकर मुकाबला करते हैं, वे उन्हें पराजित भी कर देते हैं। वहीं जो समस्याओं से डरकर भागने लगते हैं, समस्याएं दोगुनी तेजी से उनका पीछा करने लगती हैं।
[ रेनू सैनी ]