[आर के सिन्हा]। आखिर राम के देश भारत में उसी जगह भव्य राम मंदिर बनेगा जहां उनका जन्म हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के आधार पर माना कि बाबरी मस्जिद को राम जन्मभूमि पर निर्मित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए बेहद खास रहा, क्योंकि पांच सदस्यीय पीठ का यह फैसला सर्वानुमति से आया है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के भी न्यायाधीश बैठे थे। सभी न्यायाधीशों ने साक्ष्यों और सुबूतों के आधार पर यह माना कि श्रीराम का जन्मस्थान यही है। वे इस नतीजे पर पहुंचे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व में किए गए शोधपूर्ण खोदाई के आधार पर।

खोदाई में 12वीं शताब्दी में निर्मित मंदिर के विध्वंस मिले

एएसआइ ने अपनी संबंधित शोध में पाया था कि जिस स्थान पर बाबर के सेनापति मीर बकी ने मस्जिद बनाई थी, वहीं पर पहले राम मंदिर था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का काम बहुत आसान हो गया, अपने फैसले को सुनाने में। न्यायाधीशों ने यह तो माना कि बाबरी ढांचे को वहीं खड़ा किया गया था, जहां खोदाई में 12वीं शताब्दी में निर्मित मंदिर के विध्वंस मिले हैं। लेकिन यह भी माना कि मंदिर को तोड़ा गया इसके सुबूत नहीं मिले। जाहिर सी बात है कि वर्ष 2019 में 1528 के प्रमाण ढूंढ निकालना आसान काम नहीं था।

देश में भाईचारे को बनाए रखना भी बहुत अहम

इस विवाद से भारत में सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की बार बार कोशिशें भी हुईं, दंगे हुए और सैकड़ों मासूमों की जानें भी गईं। राम के भारत में राम का घोर अपमान भी हुआ। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के एक बडे़ कदम के रूप में भी देखना होगा। सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि मुद्दे पर फैसला देते हुए यह भी साबित कर गया कि उसके लिए देश में भाईचारे को बनाए रखना भी बहुत अहम है। पर अफसोस की बात यह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम नेता कर रहे खारिज 

वह कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों के साथ न्याय नहीं किया। हालांकि अब तक वे बार-बार यही कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को भी नहीं माना है। पर सरकार को यह निर्देश दिया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए जो ट्रस्ट बनेगा उसमें उसे भी शामिल किया जाए। यानी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं है। उसने तो जिसके दावे को पूरी तरह से खारिज किया, उसे भी कुछ दिया है। मुस्लिम पक्ष के दावों को नहीं माना गया, पर उन्हें पांच एकड़ भूमि दी जा रही है, जहां वे मस्जिद बना सकेंगे। पहले का विवादित ढांचा तो मात्र 2.77 एकड़ ही था। सुप्रीम कोर्ट के इस बेहतरीन फैसले को कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम नेता खारिज कर रहे हैं। इस कुत्सित सोच की देश व्यापी निंदा होनी चाहिए।

देश में अमन और शांति का वातावरण बना रहेे 

हालांकि यह मानना पड़ेगा कि सुप्रीम कोर्ट के निष्पक्ष और सर्वग्राह्य फैसले के बाद सारे देश में अमन और शांति का वातावरण बना रहा। देशवासी अपना सामान्य कामकाज करते रहे। यह भी लग रहा है कि वर्ष 1992 और 2019 के बीच का भारत बहुत बदल चुका है। आज देश की नई पीढ़ी में बहुत ही सकारात्मक बदलाव आ चुका है। आज का भारत बहुत परिपक्व हो चुका है। वह बड़े से बड़े फैसलों को सुनने के लिए तैयार है। उसे जिलानी या ओवैसी जैसे नेता गलत रास्ते पर नहीं लेकर जा सकते।

आयोध्या विश्व का महान पर्यटक स्थल बने

राम जन्मभूमि विवाद पर आए फैसले के बाद आयोध्या में भव्य राम मंदिर बनना चाहिए और यह भी प्रयास होना चाहिए कि वहां हर वर्ष पूरी दुनिया से लोग आकर दर्शन करें। वह एक विश्व का महान पर्यटक स्थल बने। हजारों नवयुवकों को इससे रोजगार मिलेगा। सैकड़ों छोटे-बड़े होटल खुल सकते हैं। मंदिर परिसर के आसपास रोज रामलीला का मंचन भी हो तो सोने पे सुहागा होगा। थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में और इंडोनेशिया के अनेक शहरों में प्रतिदिन रामलीला का बड़े से सभागारों में मंचन होता है। इन देशों में रामलीला देखने के लिए हजारों पर्यटक विश्व भर से प्रतिदिन आते रहते हैं। 

[सांसद, राज्यसभा]