नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी चार वर्षो में पांच टिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए रेलवे की सहभागिता बढ़ानी होगी। रेलवे की सहभागिता को बढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि पर्यटन स्थलों और उससे जुड़ी जरूरतों के मुताबिक योजनाओं का खाका तैयार करते हुए उसे पूरा करना होगा। अगर हम देश के कुछ प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों पर जाने वाली रेलगाड़ियों का परिचालन ‘टेलर मेड’ यानी पर्यटकों की जरूरत के हिसाब से कर दें तो पर्यटन को बढ़ाने में रेलवे का एक महत्वपूर्ण योगदान सामने आ सकता है।

किसी भी स्थान पर जाने के लिए अधिकांश लोगों की पहली पसंद ‘ओवर नाइट ट्रेन’ होती है यानी ऐसी ट्रेन जो रात भर में गंतव्य तक पहुंचा दे ताकि रात में सोते-सोते सुबह तक वे अपने गंतव्य पर पहुंच जाएं। इसीलिए ऐसी गाड़ियों की मांग सदैव बनी रहती है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि देश में सैकड़ों ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिनका महज अच्छी रेल कनेक्टिविटी के अभाव में अभी तक हम संपूर्ण दोहन नहीं कर पाए हैं। ऐसे में हमें अभी तक जारी इस तरह की व्यवस्था में भी व्यापक बदलाव करना होगा। इस मामले में कैसे हम बेहतरी की राह पर आगे बढ़ सकते हैं इसे हम अनेक उदाहरणों के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं।

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि दिल्ली से अमृतसर जाने के लिए कोई अच्छी ‘ओवर नाइट ट्रेन’ नहीं है। ये एक ऐसा सेक्टर है जहां लोग पैसा खर्च कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें अच्छी सुविधा मिले। इसके लिए रेलवे ‘हमसफर एक्सप्रेस’ टाइप की प्रीमियम ट्रेन चला कर कमाई कर सकता है और यात्रियों एवं श्रद्धालुओं को एक बेहतरीन सेवा भी प्रदान कर सकता है। अमृतसर ना केवल देसी, बल्कि लाखों विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। ऐसे में अच्छी सुविधा की एवज में पर्यटकों की जेब से पैसे निकलवाना मुश्किल काम नहीं होगा। हम सिख समुदाय के श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली से श्री आनंदपुर साहिब, श्री अमृतसर साहिब और पटना साहिब के लिए विशेष ओवर नाइट गाड़ियां चला कर ‘खालसा सर्किट’ बना सकते हैं।

गुजरात के नर्मदा जिले में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की बनाई गई प्रतिमा लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए ट्रेन की सुविधा नहीं है। अभी यहां तक ट्रेन से आने वाले यात्रियों को वडोदरा स्टेशन पर उतरना होता है और वहां से लगभग सौ किलोमीटर की यात्र उन्हें सड़क मार्ग के जरिये संपन्न करनी होती है। हालांकि इस संदर्भ में संतोष की बात यह है कि रेल मंत्रलय ने इस पर पहल करते हुए इस पर्यटक स्थल से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित केवडिया कस्बे तक रेल लाइन बिछाने की मंजूरी दे दी है और इसे तेजी से पूरा करने के प्रति प्रतिबद्धता भी जताई है।

यह आवश्यक है कि आज की युवा पीढ़ी सरदार पटेल पर अध्यन करे, उनसे प्रेरणा ले और इसके लिए नितांत आवश्यक है कि यहां ज्यादा से ज्यादा छात्रों को लाया जाए। इसलिए कॉलेज एवं स्कूलों के बच्चों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली से वडोदरा तक के लिए ओवर नाइट ट्रेन का परिचालन होना चाहिए, जिसका नाम ‘सरदार एक्सप्रेस’ रखा जाना चाहिए। इसके अलावा वडोदरा स्टेशन पर बस उपलब्ध हो जो बच्चों को प्रतिमा स्थल ‘केवडिया’ तक ले जाए, वडोदरा के कुछ पर्यटक स्थलों को घुमा-फिरा कर देर रात उसी गाड़ी से अगली सुबह वापस दिल्ली पहुंचा दे। इस कार्य से एक तीर से कई निशाने लगाए जा सकते हैं। जहां एक ओर बच्चों को सरदार के जीवन को करीब से जानने का अवसर मिलेगा, वहीं विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा देखने के लिए ज्यादा पर्यटक मिलेंगे और रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी।

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