[अजय कुमार राय]। आगामी वर्ष यानी 2021 से पूरे देश में सोने के सिर्फ हॉलमार्क आभूषण ही बिकेंगे। सवाल है कि ज्वेलर्स और खरीदार इसके लिए तैयार हैं? देश में लगभग तीन लाख ज्वेलर्स हैं। सभी दावा करते हैं कि सोने से बने उनके सभी आभूषण 22 कैरेट के होते हैं। वैसे सौ फीसद शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है, लेकिन यह काफी नरम होता है। लिहाजा इससे आभूषण बनाने के लिए इसमें चांदी, तांबा या फिर कांसा मिलाया जाता है जिससे यह मजबूत हो जाता है। यहीं से सोने में मिलावट कर आभूषण बनाने का एक बड़ा रास्ता भी खुल जाता है।

प्रमाणित सोने की बिक्री को बढ़ावा

मिलावटखोरी की आशंका को देखते हुए ज्वेलर्स से उम्मीद की जाती है कि वे ग्राहकों को बेचे जा रहे आभूषण की शुद्धता की गारंटी देंगे, लेकिन अधिकांश मामलों में ऐसा होता नहीं है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में ज्वेलर्स के मौखिक गारंटी देने भर से ग्राहक संतुष्ट हो जाते हैं, परंतु उन्हें खरीदे गए आभूषण की शुद्धता की सच्चाई का पता तब चलता है जब वे बाद में अपने गहने को बेचने या बदलने के लिए किसी दूसरे ज्वेलर्स के पास जाते हैं। लोगों को इससे बचाने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में हॉलमार्क या प्रमाणित सोने की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए स्वैच्छिक हॉलमार्किंग स्कीम शुरू की थी।

सोने की शुद्धता जानने का एक तरीका 'हॉलमार्किंग'

हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता जानने का एक तरीका होता। यह प्रक्रिया लेजर आधारित है। इससे यह पता चलता है कि सोने के किसी आभूषण में सोने की मात्रा कितनी है। इसके लिए ज्वेलर्स को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के यहां पंजीकृत कराना होता है। अभी बीआइएस द्वारा मान्यता प्राप्त 877 केंद्रों पर हॉलमार्किंग की जाती है। अभी देश में 40 फीसद सोने के आभूषण ही हॉलमार्क से साथ बिकते हैं। वहीं पूरे देश में सिर्फ 26,019 ज्वेलर्स ने ही बीआइएस के पास अपना पंजीकरण कराया है।

सोने के गहने खरीदने में ज्वेलर्स से मिला धोखा 

जाहिर है अभी भी ज्यादातर आभूषणों की शुद्धता को लेकर सवाल बना हुआ है। लोकल सर्कल्स नामक एक कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा किए गए एक सर्वे में शामिल 59 फीसद लोगों ने कहा कि ज्वेलर्स की बातों पर उन्हें कम भरोसा होता है। वहीं 48 फीसद ने कहा था कि सोने के गहने खरीदने में उन्हें ज्वेलर्स से धोखा मिला है। वैसे देश में सोने का मानक स्तर 14, 18 और 22 कैरेट निर्धारित किया गया है। ज्वेलर्स इतने ही कैरेट के सोने के बने गहने बेच सकते हैं। प्रत्येक के लिए कीमतें भी तय है, लेकिन देश में अभी एक से लेकर 22 कैरेट के सोने से बने आभूषण बिक रहे हैं। और ग्राहकों से मनमानी कीमत वसूली जा रही है।

24 कैरेट सोने में सौ फीसद सोना होता है

चूंकि हॉलमार्किंग की योजना अब तक स्वैच्छिक है, लिहाजा कई ज्वेलर्स ग्राहकों को बहकाने में सफल हो रहे हैं। जैसे सोने के किसी आभूषण पर 916 लिखा है तो 22 कैरेट की शुद्धता को दर्शाता है, लेकिन यदि उस पर बीआइएस का लोगो नहीं है तो फिर जरूरी नहीं है कि वह 22 कैरेट का हो ही। दरअसल 24 कैरेट सोने में सौ फीसद सोना होता है। इसी तरह 23 कैरेट में 95.8 फीसद, 22 कैरेट में 91.6 फीसद, 21 कैरेट में 87.5 फीसद, 18 कैरेट में 75 फीसद, 14 कैरेट में 58.5 फीसद और नौ कैरेट में 37.5 फीसद सोना होता है।

ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए केंद्र सरकार 2021 से सारे आभूषणों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर रही है। इससे ग्राहकों को पता रहेगा कि उनका सोना कितना शुद्ध है और वे उसी के अनुसार कीमत भी चुकाएंगे। इस स्कीम के लागू होने के बाद इन आभूषणों पर चार तरह के चिन्ह होंगे- बीआइएस का लोगो, कैरेट सहित सोने की शुद्धता बताने वाली तीन अंकों की संख्या, ज्वेलर की यूनिक आइडी, हॉलमार्क करने वाले केंद्र की आइडी।

ज्वेलर्स को हो सकती है एक साल की जेल  

केंद्र सरकार का कहना है कि इसमें एक साल का वक्त इसीलिए लिया गया है, ताकि ज्वेलर्स अपने सभी स्टॉक को हॉलमार्क करवा लें और इस दौरान ज्यादा से ज्यादा हॉलमार्क करने वाले सेंटर भी खोले जा सकें। जो भी ज्वेलर इस फैसले को नहीं मानेगा उस पर कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है और एक साल की जेल भी हो सकती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि सोने के सभी आभूषणों की अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग कराने के इस फैसले से सर्राफा उद्योग में विश्वास का माहौल बनेगा और कारोबारियों और ग्राहकों दोनों का इससे फायदा होगा।

बीआइएस केंद्र स्थापित करने होंगे

इस नियम के लागू होने का मतलब है कि सभी ज्वेलर्स को बीआइएस के पास अपना पंजीकरण कराना होगा और सोने के सिर्फ हॉलमार्क आभूषण ही बेच सकेंगे। इससे आभूषण सेक्टर को संगठित करने में मदद मिलेगी, लेकिन अभी देश के कुछ बड़े शहरों में ही हॉलमार्क सेंटर हैं। ऐसे में छोटे शहरों के ज्वेलर्स के लिए अपने आभूषण की हॉलमार्किंग करने में समस्या आएगी। अभी देश में लगभग 700 जिले हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 234 जिलों में ही हॉलमार्किंग केंद्र हैं। अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, लक्षद्वीप आदि में इसके एक भी केंद्र नहीं हैं। यदि सरकार चाहती है कि देश में सिर्फ हॉलमार्क किए आभूषण ही बिकें तो सबसे पहले देश के सभी जिलों में बीआइएस केंद्र स्थापित करने होंगे। इसके साथ ही ग्राहकों को भी इसके प्रति जागरूक करना होगा कि वे हमेशा हॉलमार्क गहने ही खरीदें।

हालांकि जिन लोगों के पास बिना हॉलमार्क वाले आभूषण वर्षों से मौजूद हैं, उन्हें इस स्कीम से बाहर रखा गया है, लेकिन एक बार जब यह व्यवस्था लागू हो जाएगी तो ऐसे सोने को बेचने में थोड़ी- बहुत समस्या आ सकती है। यह ज्वेलर्स पर निर्भर करेगा कि वे ऐसे आभूषण खरीदेंगे या नहीं। अगर वह खरीदता भी है तो ग्राहकों को उसके द्वारा दी जा रही कीमत से संतोष करना होगा। सोने की शुद्धता अक्सर सवालों के घेरे में रहती है जिससे जुड़ी तमाम आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार सोने की शुद्धता के बारे में ग्राहकों को जानने का ठोस इंतजाम कर रही है।

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