[अमिताभ कांत/ इंदुभूषण]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से रांची से आयुष्मान भारत योजना के दूसरे प्रमुख घटक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) की शुरुआत 25 सितंबर को की जानी है। यह योजना देश के लगभग 50 करोड़ आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को पांच लाख रुपये का कवर प्रदान करेगी। इसके पहले घटक के तहत मई में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में प्रधानमंत्री द्वारा पहला स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र शुरू किया गया था।

पीएमजेएवाई सरकार प्रायोजित दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना होगी जिसमें आबादी का आकार अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको की आबादी के बराबर होगा। इसके तहत सामान्य चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से लेकर कार्डियोवैस्कुलर और कैंसर सहित 1300 से अधिक चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए रोगियों को सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। ये लाभ सभी पात्र लाभार्थियों के लिए उपलब्ध होंगे और पूरी तरह से नकद रहित, कागजरहित, पोर्टेबल और विश्व स्तरीय आइटी अवसंरचना वाले होंगे। इसके अंतर्गत सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्र के अस्पतालों में उपलब्ध क्षमताओं को बेहतर बनाया जाएगा और उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाएगी। इसमें धोखाधड़ी से बचाव के लिए मजबूत तंत्र होगा। इसके चलते आने वाले वर्षों में भारतीय स्वास्थ्य सेवा की प्रणाली ही बदल जाएगी।

खराब स्वास्थ्य के कारण परिवारों के आशा और निराशा के बीच झूलने और आर्थिक संकट में घिर जाने के दृश्य आम हैं। किसी परिजन के अस्पताल में भर्ती होने से कई बार उनकी सारी जमा-पूंजी निकल जाती है और पीड़ित कर्ज के दुष्चक्र में फंस जाता है। भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.13 प्रतिशत ही स्वास्थ्य पर व्यय करता है जो उभरते हुए विकासशील देशों में सबसे कम है। चीन का व्यय जीडीपी का 2.45 और थाईलैंड का 2.90 प्रतिशत है। महंगे उपचार के कारण भारत के लगभग 66 लाख परिवार हर साल गरीबी के शिकार हो जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में 24.9 प्रतिशत परिवारों को और शहरी इलाकों में 18.2 प्रतिशत परिवारों को उधार लेकर चिकित्सा व्यय पूरा करना पड़ता है। करीब 17.3 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने के लिए अपने घरेलू बजट का 10 प्रतिशत से अधिक खर्च करना पड़ता है। यह व्यय परिवारों को कमजोर बनाता है।

आयुष्मान भारत योजना 150,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना के माध्यम से जन-जन को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करेगी। ये केंद्र आवश्यक दवाएं और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे और जिला अस्पतालों से डिजिटल रूप से जुड़े होंगे। वे योग और आयुर्वेद के साथ भी जुड़े होंगे। चिकित्सा सेवाओं के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी (एनएचए) और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां (एसएचए) महत्वपूर्ण आधार हैं। एनएचए कवरेज, लाभ और वित्तीय सुरक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल के आधारों का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा एनएचए और एसएचए मूल्य निर्धारण तय करेंगे ताकि स्वास्थ्य देखभाल में सेवाओं की लागत कम हो सके।

देश के 50 से अधिक शहरों में प्रक्रियाओं के लिए दरें काफी सोच-विचार के बाद तय की गई हैं। पीएमजेएवाई धोखाधड़ी का पता लगाने और निगरानी करने के लिए ऐसी उन्नत प्रणालियों का निर्माण करेगा जो संदिग्ध लेनदेन के बारे में सतर्क करेंगी। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकने के साथ शिकायत निवारण करना है। एक अन्य उद्देश्य ऐसी विश्व स्तरीय उन्नत प्रणाली का निर्माण करना है जो इस कार्यक्रम को वैज्ञानिक रूप से विकसित करने में सहायता प्रदान करे। 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से अब तक 29 पूरी तरह से इस योजना में शामिल हो गए हैं। राज्यों को सार्वजनिक संस्थानों के माध्यम से रोगियों की अधिक से अधिक देखभाल करने के साथ-साथ अपने बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए स्वतंत्रता प्रदान की गई है। पीएमजेएवाई का भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर व्यापक प्रभाव होगा। वह भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को न सिर्फ व्यवस्थित, तकनीक आधारित और सुरक्षित बनाएगा, बल्कि डाटा संचालित और उन्नत स्वास्थ्य प्रणाली की ओर बढ़ने का अवसर भी प्रदान करेगा।

स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से भारत अपने नागरिकों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। शुरुआत में ही बीमारी रोकथाम और स्वास्थ्य देखभाल के उचित प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने से विशेषज्ञ देखभाल और भारी व्यय करने की आवश्यकता कम हो जाएगी। कुल मिलाकर प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल को जोड़ने वाली इस व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में न केवल भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के विस्तार, बल्कि अगले कुछ वर्षों में पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र को बदलने की क्षमता है।

(अमिताभ कांत नीति आयोग के सीईओ और इंदुभूषण आयुष्मान भारत योजना के सीईओ हैं)