ऋतुराज सिन्हा। भाजपा ने अपने 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर सात से 20 अप्रैल तक सामाजिक न्याय पखवाड़े का आयोजन किया। इस दौरान पार्टी ने गरीबों के लिए चल रही सरकार की योजनाओं के प्रति देशवासियों को जागरूक किया। यह पखवाड़ा बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर, ज्योतिबा फुले को भी समर्पित था, जिन्होंने सामाजिक न्याय को अपने जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री मोदी ने इन महापुरुषों के सामाजिक न्याय के मंत्र को अपनी सुशासन की राजनीति का महत्वपूर्ण उपकरण बना दिया है। लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन व्यक्ति को स्वावलंबी और राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की नीति ही 'राष्ट्रनीति' बन जाती है। इसी कारण हाल में उसे चार राज्यों में जीत मिली।

भाजपा की नीति, नीयत पर जनता का भरोसा बढ़ा है तो उसकी बड़ी वजह है-गरीब समर्थक और सक्रिय शासन। केंद्र से लेकर देश भर में जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां योजनाओं की डिलिवरी का सिस्टम बेहतर हुआ है। आयुष्मान भारत जैसी विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ने गरीबों की जेब पर इलाज और दवाइयों के भारी-भरकम बोझ को कम किया है। 17 करोड़ से ज्यादा आयुष्मान भारत कार्ड आज उस गरीब और वंचित तबके का संबल बने हैं, जिनके सामने अक्सर यह प्रश्न खड़ा रहता था कि अगर बीमार पड़ गए तो इलाज का पैसा कहां से आएगा? सबको पक्का मकान मिले, इस दिशा में जाति-मजहब से हटकर सभी वर्गों तक मोदी सरकार ने क्रांतिकारी पहल की। आज पीएम आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं। इसी तरह जल जीवन मिशन देश के विकास को नई गति दे रहा है। आजादी के 70 वर्षों में देश के सिर्फ तीन करोड़ घरों में नल कनेक्शन था, इससे दोगुने से ज्यादा कनेक्शन सिर्फ तीन वर्षों में ही लगाए जा चुके हैं। किसानों को लेकर दशकों से सिर्फ बातें होती रहीं।

संप्रग सरकार के करीब 52 हजार करोड़ रुपये की कर्ज माफी की योजना का खूब ढिंढोरा पीटा गया, जो कागजों तक ही सीमित रही, लेकिन मोदी सरकार ने बीते कुछ वर्षों में ही 11 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खाते में सीधे पौने दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहुंचाकर अन्नदाताओं को सम्मान और सहारा दिया है। छात्रवृत्ति से लेकर स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं ने समाज के वंचित वर्गों के छात्रों और महिलाओं को एक नई पहचान दी है। अब तक 1.34 लाख लोग स्टैैंडअप इंडिया योजना का लाभ उठा चुके हैं। इसमें 81 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। यह उद्यमिता के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण एवं रोजगार सृजन का उदाहरण बनकर उभरी है। मुद्रा योजना के जरिये भी अब तक 34 करोड़ से ज्यादा लोगों को लोन स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं, 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़े वर्ग और वंचित समाज के लोग हैं।

समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के विजन को आप पीएम स्वनिधि योजना के उदाहरण से भी समझ सकते हैं। कोविड के वक्त जब रेहड़ी-पटरी वालों की आजीविका पर संकट आया तो इसी योजना ने उन्हें सहारा दिया। इसका लाभ लेने वालों में 41 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है तो पिछड़े वर्ग के 51 और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के 22 फीसद लोग इसके लाभार्थियों में शामिल हैं। कोविड काल में दो सौ करोड़ वैक्सीन की डोज लगाने के आंकड़े तक पहुंचता भारत आज दुनिया में अपनी सामर्थ्य दिखा रहा है और गरीब से गरीब व्यक्ति तक मुफ्त सुरक्षा कवच पहुंचा रहा है। इसी महामारी के दौर में शुरू पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना ने गरीबों को बड़ा सहारा दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इस प्रयास की खुले दिल से सराहना कर रहा है। इसी तरह विश्व बैैंक ने भी माना है कि भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में 2011 में जो गरीबी 26.3 फीसद थी, वह 2019 में घटकर 11.6 फीसद रह गई। इसी अवधि में शहरी क्षेत्रों में गरीबी 7.9 फीसद घटी।

आजादी के छह-सात दशकों तक 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी बैंकिंग सिस्टम से दूर थी, लेकिन जन-धन जैसी योजना से आज हर नागरिक बैंकिंग प्रणाली से जुडऩे लगा है और किसी तरह के भ्रष्टाचार के बिना केंद्र सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ उठाने में समर्थ हुआ है। स्वच्छता अभियान हो या पोषण का मिशन, अब यह आंदोलन बन चुका है। कौन सोच सकता है कि कोई प्रधानमंत्री लाल किले से स्वच्छता या सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए सैनिटरी पैड की बात करेगा। आज भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसके जरिये प्रधानमंत्री आजादी के आंदोलन में योगदान देने वाले समाज के उन महापुरुषों को भी सम्मान दिला रहे हैैं, जिन्हें चंद परिवारों तक समेटकर रखा गया था। साफ है इतिहास का सही मायनों में लोकतांत्रिक बनाने की पहल प्रधानमंत्री मोदी ने ही की है।

नि:संदेह भाजपा की स्पष्ट नीति और नीयत से किए जाने वाले कामों की वजह से उसे जनता का भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है। आज दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, किसानों, नौजवानों के साथ-साथ महिलाएं भाजपा के पक्ष में मजबूती से खड़ी हुई हैं, जो एक नए युग की ताकत का प्रतिबिंब है। आजादी के अमृत वर्ष में शुरू हुई स्वर्णिम वर्ष (2047) की अमृत यात्रा का लक्ष्य विराट है, क्योंकि अब जनकल्याण की हर योजनाओं को शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचाना है। इसके निहितार्थ स्पष्ट हैं। जाति-मजहब नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों का समान विकास और आखिरी व्यक्ति तक सरकारी लाभ को पहुंचाना है। आज ऐसे नए भारत का निर्माण हो रहा है, जहां 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' ही आधार स्तंभ है।

(लेखक लोक नीति विश्लेषक हैैं)