हरियाणा, अनुराग अग्रवाल। सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। हरियाणा सरकार के बारे में फिलहाल तो यही कहा जा सकता है। हरियाणा में पहली बार जीरो बजट प्राकृतिक खेती की बात होने लगी है। ऐसी प्राकृतिक खेती, जिसका खाना खाने से न तो लोग बीमार होंगे और न ही कैंसर सरीखे रोग से पीड़ित होंगे। राज्य में यदि सरकार और लोग रासायनिक खादों से मुक्त प्राकृतिक खेती की अवधारणा पर सोचने लगे हैं तो इसका श्रेय गुरुकुल कुरुक्षेत्र के आचार्य देवव्रत को जाता है, जो अब गुजरात के राज्यपाल हैं।

उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब से सटा हरियाणा ऐसा राज्य है, जहां हर साल औसतन पांच हजार लोग कैंसर से अपनी जान गंवा रहे हैं। पांच प्रतिशत लोगों को कैंसर है। हालांकि यह आंकड़ा बहुत अधिक नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय अनुपात के लिहाज से छोटे से राज्य के लिए काफी बड़ा आंकड़ा है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसकी एक बड़ी वजह साफ सुथरे और पौष्टिक आहार का अभाव तथा समुचित जागरुकता व उसके बाद इलाज की कमी को माना जा सकता है।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने हरियाणा के लोगों के दिलो-दिमाग में प्राकृतिक खेती से पैदा होने वाली वस्तुओं के सेवन का बीज बो दिया है। अब अगला काम सरकार का है। आचार्य का खुद का गुरुकुल कुरुक्षेत्र में करीब 250 एकड़ का जैविक खेती का फार्म हाउस है, जिसे देश-दुनिया की कई बड़ी हस्तियां देखने के लिए वहां जा चुके हैं। विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रोफेसर से लेकर लोकसभा और राज्यसभा के अनेक सदस्य तथा कई कृषि वैज्ञानिक गुरुकुल की प्राकृतिक खेती के फार्मूले के मुरीद हो चुके हैं।

आचार्य देवव्रत की सबसे बड़ी सफलता यही है कि अब हरियाणा सरकार भी उनके कम लागत वाले प्राकृतिक खेती के फार्मूले को आत्मसात करने को तैयार हो गई है। राज्य के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल जहां गाय के गोबर, मूत्र, नीम के पत्ते और मिट्टी से देसी खाद बनाने के फार्मूले से प्रभावित हो चुके हैं, वहीं जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने राज्य भर की खाली पड़ी जमीनों पर कैदियों से जैविक खाद के जरिये हानिकारक रसायनों से मुक्त फसलों की बुवाई का खाका तैयार किया है। राज्य सरकार अपने प्रदेश में जैविक खेती के लिए एक अलग विभाग तक बनाने को तैयार हो चुकी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद आचार्य देवव्रत के इस मिशन से इत्तेफाक रखते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में आचार्य के इस फार्मूले को न केवल प्रोत्साहित कर चुके हैं, बल्कि केंद्रीय बजट में भी आचार्य के जीरो बजट खेती फार्मूले को समाहित किया जा चुका है। अब हरियाणा सरकार चाहती है कि आचार्य के इस खेती फार्मूले को पूरे राज्य में लागू किया जाए। इस फार्मूले को समझने के लिए पूरी राज्य सरकार यानी मुख्यमंत्री, उनकी कैबिनेट के सभी मंत्री, भाजपा के विधायक, कांग्रेस व इनेलो के साथ निर्दलीय विधायक 14 मार्च को गुरुकुल पहुंच रहे हैं। सांसदों का एक दल पहले ही आचार्य देवव्रत के कुरुक्षेत्र आश्रम स्थित कृषि फार्म का दौरा कर चुका है।

विधायकों के साथ-साथ जिला परिषद सदस्य, ब्लाक समितियों के चेयरमैन और सरपंच भी यदि जहर रहित इस खेती के फार्मूले को समझते हुए स्वस्थ, सुंदर और सुशिक्षित हरियाणा की ओर कदम बढ़ाएंगे तो वह दिन दूर नहीं, जब जहर बेचने वाली कंपनियों की दुकानों पर ताले लग जाएंगे और स्वदेशी व्यवस्था से गायों की कद्र करते हुए स्वास्थ्य तथा विकास के ऐसे द्वार खुलेंगे, जिसकी बरसों से दरकार थी। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि अब वह दिन दूर नहीं, जब प्रदेश के किसान रासायनिक खाद छोड़कर खुद की तैयार की गई प्राकृतिक खाद के जरिये फसलों की पैदावार लेने की ओर मुड़ने वाले हैं।

हारे हुए मंत्रियों के साथ प्री-बजट चर्चा नहीं : वित्त मंत्री के नाते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बार पहली दफा बजट पेश करने वाले हैं। 20 फरवरी से आरंभ होने वाले बजट सत्र में 28 फरवरी को बजट की पोटली खुलने की संभावना है। मुख्यमंत्री लोगों से बजट पर राय ले रहे हैं। पहले सांसदों से राय ली गई। फिर 19 फरवरी तक विधायकों के साथ प्री-बजट मंथन किया गया। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार के आठ मंत्री चुनाव हार गए थे और दो मंत्रियों के टिकट कट गए थे। चुनाव में हारे इन मंत्रियों के दिल में टीस छिपी है कि आखिर मुख्यमंत्री हमसे भी तो बजट के बारे में कोई राय ले सकते थे। बहरहाल अभी समय है। यदि मुख्यमंत्री ने इन पराजित मंत्रियों को बातचीत के लिए बुला लिया तो ठीक, अन्यथा कहने के लिए उनके पास यह तो हो जाएगा कि हमारी अनदेखी की जा रही है।

[स्टेट ब्यूरो चीफ, हरियाणा]