[ जगमोहन सिंह राजपूत ]: बात चाहे अनुच्छेद 370 और 35-ए के खात्मे की हो या कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर अर्थव्यवस्था को गति देने की, इन फैसलों से यही पता चलता है कि मोदी सरकार निर्णय लेने की क्षमता और जोखिम उठाने का साहस रखती है। वह लोगों की समस्याओं से जूझने का साहस और संवेदना भी दिखा चुकी है। जनता को और क्या चाहिए? पिछले पांच वर्षों में देश में कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की गई हैं जिन्होंने अंतिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाकर उनमें आशा और विश्वास की नई चेतना जागृत कर दी है।

गरीबों को मिला पीएम मोदी की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच से सहमत या असहमत होने की स्वायत्तता प्रजातंत्र में सभी को है, लेकिन रसोई गैस, शौचालय, बैंक खाते, आयुष्मान योजना के महत्व को खासकर उनके सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष को समझ पाना उन लोगों के लिए कठिन है, जिनके घरों में शौचालय, बैंक खाते, रसोई गैस आदि सुविधाएं पहले से मौजूद हैं। यह वर्ग आठ करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन मिलने, 36 करोड़ बैंक खाते खुलने, शौचालयों के ‘वाकई’ में बन जाने से हतप्रभ है और वैचारिक श्रेष्ठता में अपने को बहुत पीछे छुटता पा रहा है।

मोदी ने जीता गरीबों और किसानों का दिल

आलीशान महलों में पले-बढे़, सभी सुविधाओं में आकंठ डूबे, जनता से कटे और कंप्यूटर पर बैठकर चुनाव की रणनीति बनवाने वाले नेता उस नए आत्मविश्वास तथा ‘उपलब्धि’ का अनुमान भी नहीं लगा सके जो घर में एक शौचालय बन जाने से परिवार की महिलाओं को मिला। जो परिवार केरोसिन नहीं प्राप्त कर पाता था, उसके घर में बिजली आना या केवल एक बल्ब का लग जाना जीवनपर्यंत उसे ख़ुशी देगा। यूरिया के लिए दर-दर भटकाने वाला किसान नीम लेपित यूरिया पाकर जो राहत महसूस करता है उसे वही जानता है। गाय को महत्व देकर और 50 करोड़ पशुओं के लिए टीकाकरण प्रारंभ कर किसानों का दिल जीता जा सकता है, इसे सब नहीं समझ पाएंगे।

मोदी सामान्यजन की आवश्यकताओं से परिचित हैैं

देश के लोगों की इस प्रकार की आवश्यकताओं को वही व्यक्ति समझ सकता है जो प्रधानमंत्री बनने से पहले देश के लोगों के बीच में रह चुका हो। इसीलिए लोगों को घर-घर नल से पानी पहुंचाने और प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने के लिए किए जा रहे प्रयत्नों के सफल होने पर भी विश्वास है। मोदी सामान्यजन की आवश्यकताओं से इसलिए परिचित हैैं, क्योंकि वह उन्हें स्वयं झेल चुके हैैं।

लोगों का मोदी सरकार के प्रति दृष्टिकोण बदला

विचारधाराओं के बंधन से मुक्त हर व्यक्ति जानता है कि 2014 के बाद लागू की गई कई योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव जन-जन और घर-घर तक पड़ा है। आज लोगों का अपनी सरकार के प्रति दृष्टिकोण बदला है। विश्वास बढ़ा है। राजनीति में जनता द्वारा हाशिये पर पहुंचा दिए गए लोग बुझे मन से भले ही यह कहने का प्रयत्न करते हैं कि हमने भी तो निर्मल भारत, मनरेगा जैसी योजनाएं चलाई थीं, मगर तब और अब का अंतर लोग गांव-गांव में जानते हैं। पहले मनरेगा में काम करने जाने वाला अपनी आंखें नीची करके काम पर जाता था, उसके बरक्स अब घर में रसोई गैस, बैंक खाता, शौचालय व्यक्ति और परिवार को नई पहचान दे रहे हैं। वे इनके बारे में सिर उठाकर बात कर रहे हैैं।

मुस्लिम महिला तीन तलाक के अवसान से प्रसन्न है

अनेक शिक्षा संस्थाओं से मिले अनुभव के आधार पर यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि जो अच्छा कार्य करते हैं, उनसे ही और अच्छा करने की अपेक्षा लोग करते हैं। नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि उन्होंने देश के हर वर्ग के लोगों से अपनत्व कायम कर लिया है। उस पढ़ी-लिखी लड़की की मनोदशा का अनुमान लगाइए जिसके सिर पर अब कभी तीन तलाक या हलाला की तलवार लटकी नहीं होगी। आज हर मुस्लिम महिला तीन तलाक के अवसान से प्रसन्न है।

लोगों की पीएम मोदी से निकटता

आज देश भर में गांव-चौपाल पर लोग नरेंद्र मोदी से जो निकटता महसूस कर रहे हैं उसे उनके साथ बैठकर और उनकी चर्चाएं सुनकर ही समझा जा सकता है। उनकी आलोचना करने वाले इन तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे। इसीलिए भारत की जनता की मनोदशा को समझ पाना उनकेलिए असंभव है। इन चर्चाओं में उन कमियों की भी चर्चा होती है जो लोगों की अपेक्षाओं में अब तक ‘मोदी के राज्य’ में दूर हो जानी चाहिए थीं, लेकिन नहीं हो पाई हैं। इनमें सबसे पहले आती है पुलिस व्यवस्था, जिसकी साख लगातार नीचे जा रही है। पुलिस के अलावा कोर्ट, कचहरी, अस्पतालों की बदहाली ग्रामीण भारत में ही नहीं, लगभग हर वर्ग में जनता की चिंताओं में सबसे आगे हैं।

भ्रष्टाचार को नेस्तनाबूत करने की योजना

भ्रष्टाचार की जिस मुहिम को अब तेजी दी जा रही है वह लोगों में आशा का नया संचार उत्पन्न कर रही है। सामान्य व्यक्ति जिसके पास न साधन हैं, न शिक्षा है, न सिफारिश है वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध हर कार्रवाई को बड़े ध्यान से देख रहा है। यदि मोदी सरकार ऊंचे स्तर पर इसमें सफल होगी तो उसका प्रभाव नीचे के स्तर तक आएगा, तब संभवत: आम व्यक्ति भी राहत की सांस ले सकेगा।

गांधी जी के सिद्धांतों को तोड़ा-मरोड़ा गया

आज जब गांधी जी की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी हो रही है तब इस पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है कि गांधी जी के नाम पर राजनीति करने वालों ने उनके सिद्धांतों को किस तरह निर्लज्जता से तोड़ा-मरोड़ा? इसका एक ताजा उदाहरण अभी उत्तर प्रदेश से और उसके बाद कई अन्य राज्योंं से भी उजागर हुआ, जहां ‘गरीब’ मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता रहा, परंतु कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री इससे विचलित नहीं हुआ। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे बंद करने का आश्वासन दिया है। नेता और जनता के बीच की दूरी तथा संवेदनशीलता का यह ज्वलंत तथा अत्यंत शर्मनाक उदाहरण है। इसमें राष्ट्र से माफी कौन मांगेगा? कोई नहीं, क्योंकि इसका लाभ सभी ने अपने-अपने मौके पर उठाया है।

मोदी पर जनता का विश्वास

कुल मिलाकर इस समय देश में शीर्ष सत्ता नेतृत्व पर जनता का विश्वास है, लोग वहां अपने प्रति संवेदनशीलता देखते और पाते हैं। इस कारण उनकी अपेक्षाएं बढ़ रही हैं। यह विश्वास भी बढ़ा है कि युवा राजनेता सेवा और समर्पण का मार्ग अपनाएंगे और पुराने नेता अपने मार्ग का आवश्यक सुधार करेंगे। मोदी सरकार के सामने लोगों की ये अपेक्षाएं पूरी करने की चुनौती है।

( लेखक एनसीईआरटी के निदेशक रह चुके हैैं )