Bihar Assembly Election: बिहार में चुनाव न कराने की रट लगाए विपक्ष के पास अब ट्रंप का ‘तुरुप’
Bihar Assembly Election 2020 ट्रंप को तुरुप मान बिहार के नेता अब अपनी चुनावी चाल चलने लगे हैं। चुनाव आयोग को जिंदगी का फलसफा समझाने लगे हैं।
बिहार, आलोक मिश्र। Bihar Assembly Election 2020 बात को अगर बात का साथ मिल जाए तो बात में दम आ जाता है। बिहार में चुनाव न कराने की रट लगाए विपक्ष के पास अब ट्रंप का दम है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में फिलहाल चुनाव नहीं चाहते और बिहार में विपक्ष। अमेरिका में अभी चुनाव न कराने का ट्रंप का सुझाव वहां कोई माने या न माने, लेकिन यहां के विपक्षी नेताओं ने उसे झट से लपक लिया है।
ट्रंप को तुरुप मान यहां के नेता अब अपनी चुनावी चाल चलने लगे हैं। चुनाव आयोग को जिंदगी का फलसफा समझाने लगे हैं। विपक्ष के तर्क पर फिलहाल सत्तापक्ष कोई टिप्पणी तो नहीं कर रहा, लेकिन वर्चुअल के जरिये कार्यकर्ताओं को साधना अब उसके लिए भी मुश्किल ही साबित हो रहा है।
कोरोना संक्रमण से पैदा हालात के कारण बिहार में विपक्ष चुनाव टालने के पक्ष में है। जबकि चुनाव आयोग तैयारी में जुटा है और सत्तापक्ष इसका पक्षधर है। फिलहाल विपक्षी मांग अभी तक किसी मुकाम पर पहुंचती नजर नहीं आ रही। जब भी विपक्ष ने चुनाव टालने की बात उठाई तो सत्तापक्ष ने उसे डरपोक बता दिया। पहले तो विपक्ष डटा रहा, लेकिन सत्तापक्ष ने ऐसे माहौल में कई देशों में चुनाव होने का हवाला दिया तो वह ढीला पड़ गया। सुर में लचीलापन आया और आयोग से परंपरागत तरीके से चुनाव कराने की बात करने लगा। लेकिन अब ट्रंप का दम उसके पास है। बातें शुरू हो गई हैं कि छोटे-मोटे देश भले ही करा लें, लेकिन जब अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं चाहता तो यहां कौन जल्दी पड़ी है? पहले हालात संभाले जाएं, तब चुनाव कराया जाए। उसे लगता है कि इन हालातों में हुए चुनाव उसे कुर्सी से दूर कर सकते हैं। इसलिए वह विरोध भी कर रहा है और इसे मुद्दा बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
चुनाव आयोग ने सभी दलों से शुक्रवार तक चुनाव कराने के तरीके पर सुझाव मांगा था। इस पर किसी ने कोई खास ध्यान नहीं दिया। आखिरी दिन राजद का सुझाव आया कि चुनाव जरूरी है कि जिंदगी। राजद ने आयोग को पत्र लिखकर कहा कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चुनाव कराना खतरे से खाली नहीं होगा। राजद ने पत्र में भाजपा के 75 नेताओं के संक्रमित होने का भी जिक्र किया है और कहा है कि इसी कारण भाजर्पा के प्रदेश कार्यालय को सील करना पड़ा। हाल के दिनों में कोरोना के चलते विभिन्न दलों के कई नेताओं की मौतें भी हुई हैं। राजद ने आयोग से यह भी पूछ लिया है कि कोरोना से बचाव के अभी तक के प्रयासों से वह संतुष्ट है क्या? अगर संतुष्ट है तो किस कारण से। राजद का तर्क है कि वर्तमान हालात में अगर चुनाव कराया गया और लोगों को कुछ हो गया तो उसकी जिम्मेदारी किस पर होगी? राजद की बात में दम है, क्योंकि हालात बिगड़ने पर जिम्मेदारी कौन लेना चाहेगा? बहरहाल अभी तक ऐसी ही बयानबाजी जारी है और चुनाव पर संशय भी।
कोरोना भले ही आदमी-आदमी में फेर न करे, लेकिन इसे देखने का नजरिया भिन्न-भिन्न है। सरकार कहती है कि अब सबकुछ पटरी पर है। बीस हजार प्रतिदिन जांचें शुरू हो गई हैं। जगह-जगह अस्पताल बनवा दिए हैं। ऑक्सीजन की भी पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है। प्राइवेट अस्पताल भी खुलवा दिए गए हैं। जांच कराओ, संक्रमित निकले तो इलाज कराओ। सरकार अपनी इस करनी को जनता के बीच बताने में भी पीछे नहीं है। अब लालू बनाम नीतीश काल मुद्दा नहीं है।
नीतीश कार्यकर्ताओं को कह रहे हैं कि कोरोना पर सरकार के कार्यो को जनता के बीच लेकर जाएं, जबकि विपक्ष का नजरिया सत्तापक्ष से भिन्न है। सरकार को घेरने के लिए उसके केंद्र में भी कोरोना है, लेकिन बदले नजरिये से। उसके अनुसार सरकार आंकड़ों का खेल खेल रही है। अस्पतालों में इंतजाम दुरुस्त नहीं हैं। जो भर्ती हो रहा है, उसकी दुर्दशा है। वहां के माहौल में ठीक होना तो दूर, और बीमार होने की आशंका अधिक है। इन्हीं आरोपों के साथ वह जनता के बीच में है। जबकि जनता न इधर और न उधर, केवल कोरोना से त्रस्त है।
[स्थानीय संपादक, बिहार]