अवधेश कुमार। पी चिदंबरम को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया है। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि मनी लॉन्डिंग के आइएनएक्स मीडिया केस में वह मुख्य साजिशकर्ता मालूम पड़ते हैं। न्यायालय ने कहा कि आइएनएक्स मीडिया मामला मनी लॉन्डिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है और उसकी प्रथम दृष्टया राय है कि मामले में प्रभावी जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।

अदालत ने यह भी कहा कि जब कांग्रेस नेता को अदालत से राहत मिली हुई थी तो उन्होंने पूछताछ में जांच एजेंसियों को स्पष्ट जवाब नहीं दिया। न्यायालय में बहस के दौरान सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ने ही चिदंबरम की अर्जी का इस आधार पर विरोध किया था कि उनसे हिरासत में पूछताछ जरूरी है, क्योंकि वह सवालों से बच रहे हैं।

हालांकि उन पर कई मामले चल रहे हैं, परंतु पहले आइएनएक्स मामले को देखें। पीटर और इंद्राणी मुखर्जी की स्वामित्व वाली मीडिया कंपनी आइएनएक्स को 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये मिलना था। इंद्राणी मुखर्जी ने 17 फरवरी 2018 को कार्ति चिदंबरम को घूस देना स्वीकार किया। दोनों ने कहा है कि उन्होंने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड यानी एफआइपीबी से क्लियरेंस के बदले पी चिदंबरम के कहने पर कार्ति को सात लाख डॉलर दिए थे। पीटर व इंद्राणी हत्या के एक मामले में जेल में हैं। सीबीआइ ने कार्ति को उनके सामने बिठा पूछताछ की जिसमें इंद्राणी ने साफ कहा कि उन्होंने उन्हें भुगतान किया।

कार्ति चिदंबरम पर भी है आरोप 

कार्ति पर यह भी आरोप है कि उन्होंने इंद्राणी की कंपनी के खिलाफ कर का एक मामला खत्म कराने के लिए अपने पिता के रुतबे का इस्तेमाल किया। हालांकि आइएनएक्स मामले में दर्ज प्राथमिकी में पी चिदंबरम का नाम नहीं था। लेकिन उन्होंने 18 मई 2007 की एफआइपीबी की बैठक में आइएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी। कार्ति पर ये भी आरोप है कि उन्होंने मनी लॉन्डिंग कानून की कार्रवाई से स्वयं को बचाने के लिए अपने कई बैंक खाते बंद कर दिए और कई खातों को बंद करने की कोशिश की। 28 फरवरी 2018 को सीबीआइ ने कार्ति को गिरफ्तार किया था।

11 अक्टूबर 2018 को आइएनएक्स मीडिया मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति की संपत्तियों और बैंक जमा को जब्त किया। साफ है कि कार्ति की कंपनी ने गलत तरीके से कंसल्टेंसी के नाम पर घूस लेकर अपने पिता के वित्त मंत्री होने का लाभ उठाते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी ली। सीबीआइ ने ईसीआइआर यानी एन्फोर्समेंट केस इन्फोर्मेशन रिपोर्ट दर्ज की जो प्रवर्तन निदेशालय के समतुल्य एक पुलिस प्राथमिकी है। इसमें कार्ति के साथ आइएनएक्स मीडिया के निदेशकों का भी नाम है। ईसीआइआर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डिंग एक्ट के तहत दर्ज की गई थी।

जानें क्या है दूसरा मामला 

दूसरा मामला है एयरसेल-मैक्सिस का। 19 जुलाई 2018 को सीबीआइ की ओर से दाखिल आरोप पत्र में चिदंबरम और उनके बेटे को नामजद किया गया था। जांच एजेंसियों ने कहा है कि मार्च 2006 में चिदंबरम ने मारीशस की ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड को विदेशी निवेश की मंजूरी दी थी। यह मैक्सिस की अनुषांगिक कंपनी है।

मामले में 25 अक्टूबर 2018 को पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया जिसमें कहा गया है कि पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश को मंजूरी दी। उन्हें 600 करोड़ रुपये तक के निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन यह सौदा (एयरसेल-मैक्सिस डील) 3,500 करोड़ रुपये निवेश का था। प्रवर्तन निदेशालय ने इसी मामले से जुड़े अपने अलग आरोप पत्र में कहा है कि कार्ति के पास से सील किए गए उपकरणों में से कई ईमेल मिले हैं जिनमें इस सौदे का जिक्र है। 

पी चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस को विदेशी निवेश के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति को नजरअंदाज कर दिया था। मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है जिसका मालिकाना हक टी आनंद कृष्णन के पास है। एयरसेल को एक एनआरआइ सी शिवसंकरन ने प्रमोट किया था। 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली थी। सी शिवसंकरन ने शिकायत दर्ज करते हुए सीबीआइ को बताया था कि उन पर मैक्सिस को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव बनाया गया था। कार्ति के खिलाफ एयरसेल मैक्सिस के मामले में सीबीआइ ने 2011 और प्रवर्तन निदेशालय ने 2012 में प्राथमिकी दर्ज की थी।

ये है तीसरा मामला

तीसरा मामला आयकर विभाग का है। 11 मई 2018 को आयकर विभाग ने चिदंबरम, कार्ति, पत्नी नलिनि व बहू श्रीनिधि के खिलाफ काला धन कानून 2015 जिसे इंपोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट भी कहते हैं, के तहत चेन्नई के विशेष न्यायालय में चार आरोप पत्र दायर किया। आरोप लगाया गया कि चिदंबरम व उनके परिवार ने अपने आयकर रिटर्न में विदेशी संपत्तियों और निवेश का खुलासा नहीं किया।

चिदंबरम के खिलाफ चौथा मामला 

चौथे मामले की तो जांच भी शुरू नहीं हुई है। 16 मई 2014 को यानी जिस दिन लोकसभा चुनाव का परिणाम आ रहा था उन्होंने 80: 20 स्वर्ण योजना का लाभ निजी कंपनियों को पहुंचाने का आदेश पारित कर दिया। यह योजना चालू खाते का घाटा कम करने के नाम पर लाई गई थी जिसमें सोना आयात करने वाली कंपनियों के लिए 20 प्रतिशत जेवर के रूप में निर्यात करना आवश्यक था। जब यह योजना लाई गई तो इसमें केवल सरकारी कंपनियों को सोने का आयात की इजाजत दी गई थी जबकि चिदंबरम ने सात निजी कंपनियों को योजना में लाभ देने का आदेश दिया था जिनमें गीतांजलि व फायर स्टार शामिल थीं। यानी मेहुल चोकसीभी इससे लाभान्वित होने वालों में से है।

पांचवे मामले की जांच जारी 

पांचवें मामले की जांच चल रही है। ईडी ने चिदंबरम को यूपीए कार्यकाल में हुए विमानन घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है। मामला अरबों रुपये के विमानन सौदे से एयर इंडिया को हुए वित्तीय घाटे और अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों को हवाई स्लॉट के निर्धारण में अनियमितता से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी छानबीन में शेल कंपनियां बनाकर विदेशों में संपत्तियां बनाने की फेरिस्त को भी नोट किया है। इस मामले में कार्ति और पी चिदंबरम से पूछताछ होगी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पुख्ता आधारों के साथ पी चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई है।

कांग्रेस पार्टी जिस तरह पी चिदंबरम की गिरफ्तारी को राजनीतिक रंग देने पर तुली है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी गिरफ्तारी में कितनी समस्याएं हुईं यह देश के सामने है। इसमें राजनीति कहां है। मनमोहन सिंह सरकार में औसत 70 मंत्री थे पूरे दस साल। उनमें कितने पर इस तरह के मामले चल रहे हैं? चिदंबरम व उनके परिवार पर इतने मामले हवा में नहीं बनाए गए हैं। सभी मामलों का फैसला न्यायालय को करना है। इसलिए यह मानने का कोई कारण नहीं है कि जांच एजेंसियों ने दुर्भावना से कार्रवाई की है। 

लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं।