डॉ विकास सिंह। जिस तरह से कश्मीरियों का शेष भारत पर अधिकार है, उसी तरह से अब शेष भारत का इस नए राज्य में अधिकार होगा। अब हमें वर्तमान और भविष्य के लिए काम करना है। आर्थिक एकीकरण के बिना राजनीतिक एकीकरण का अर्थ कुछ भी नहीं। आर्थिक और सामाजिक विकास की सुस्ती दूर करना, अनिश्चित जीडीपी में सुधार बेहतर एकीकरण के लिए अनिवार्य हैं। 

जम्मू-कश्मीर की जीडीपी में लगभग 65 फीसद का योगदान देने वाला सेवा क्षेत्र, 90 फीसद अकुशल लोगों की आजीविका का स्नोत है। इससे कम उत्पादकता और न्यूनतम मजदूरी के कारण लोग छह हजार से कम कमाते हैं, जो राष्ट्रीय औसत का आधा है। कम मजदूरी, कम उत्पादकता मिलकर कम खपत, कम निवेश और कम वृद्धि का दुष्चक्र तैयार करते हैं। पर्यटन क्षेत्र का जीडीपी में 7 फीसद से कम का योगदान देता है। लिहाजा यहां उम्मीदें जीवित हैं। प्रति व्यक्ति आय कम होने के बावजूद राज्य कई संकेतकों पर अच्छा कर रहा है। आर्थिक परिदृश्य में विरोधाभास है, और दबाव में है। निम्न विकास दर चिंता का विषय है। मैन्युफैक्र्चंरग जीडीपी वृद्धि दर में यह कई पिछड़े राज्यों से भी पिछड़ा है। अपर्याप्त और अविकसित बुनियादी ढांचे से औद्योगिकीकरण नहीं हो पा रहा है जिससे अर्थव्यवस्था की सेहत प्रभावित हो रही है। टिकाऊ अर्थव्यवस्था के लिए जमीन की खरीद-फरोख्त बहुत कम है। तकनीक यहां पहुंच नहीं पा रही है। 

पूंजी दुर्लभ है और महंगी है। प्रतिभा और क्षमता सीमित है और विपणन की भी खस्ताहाल है। जम्मू-कश्मीर में क्रेडिट-टू-जीडीपी का अनुपात सबसे कम है। प्रतिस्पर्धा का अभाव और आपूर्ति शृंखला उपभोक्ताओं के लिए खराब है। एक करोड़ की आबादी बहुत बड़ा बाजार नहीं है और विकास कम है। यह सब निवेशकों को आशंकित और परेशान करता है। पूरा माहौल उद्योगों के लिए मुफीद नहीं है।

केंद्र सरकार को उद्योगों के टिकाऊ विकास की मजबूत नींव रखते हुए समग्र विकास के लिए माहौल तैयार करने पर जोर देना चाहिए। सुशासन के साथ समान रूप से कम करने वाला राजकोषीय प्रबंधन, एक विकास उन्मुख और एक समावेशी ढांचा बनाने की भी आवश्यकता है। नीति निर्माताओं को ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जिससे निवेशक आकृष्ट हों। आर्थिक कल्याण और सामाजिक समरसता की कुंजी उच्च रोजगार दर है। प्रमुख चुनौती स्थानीय लोगों की नौकरियों को सुरक्षित करना है। प्रवास, निवेश और आर्थिक एकीकरण अविश्वास और नाराजगी पैदा कर सकते हैं। 

जम्मू-कश्मीर कोयला इंजन पर चलने वाली बुलेट ट्रेन है। निरंतर प्रयास और मजबूत माहौल तैयार करके इस राज्य के विकास को दस गुना बढ़ाया जा सकता है। आर्थिक समृद्धि भूमि, श्रम और पूंजी पर निर्भर करती है। श्रम और प्रतिभा पसीने से पोषित होती है, साहस से पनपती है और मेहनत द्वारा मजबूत होती है। इस तथ्य से कोई इनकार नहीं किया जा सकता कि राज्य के लोग साहसी और बहादुर हैं। वे सालों से सिस्टम से लड़ रहे हैं। वे अवसरों को भुनाना जानते हैं। वे अच्छा करेंगे और एक बेहतरीन अर्थव्यवस्था बनाएंगे। 

 

 लेखक मैनेजमेंट गुरु और वित्तीय एंव समग्र विकास के विशेषज्ञ हैं।

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