[ राजेश सेन ]: लल्लन जी डाइनिंग टेबल पर मुंह लटकाए बैठे थे। उनकी सूरत पर डिनर में परोसी गई टिंडे की सब्जी के खिलाफ गुस्सा साफ-साफ नजर आ रहा था। बिल्कुल भीषण और उमस भरी गर्मी के बाद काले लहराते बादलों की तरह। वैसे काले बादलों का अर्थ यह नहीं कि उनसे बढ़िया बारिश हो ही जाए। हवा के झोंके उन्हें फुस्स करने के लिए काफी हैं। वहीं टेबल के दूसरी ओर उनकी पत्नी बैठी मुस्करा रही थीं! वह बीच-बीच में लल्लन जी के निर्बल गुस्से को सांत्वना का पंखा भी झल देती थीं। उन्हें लल्लन जी की बिगड़ी सूरत से ज्यादा टिंडे की किस्मत पर प्यार आ रहा था। पत्नी के हाव-भाव से साफ था कि टिंडे की सब्जी को उनका बिना शर्त वाला खुला समर्थन प्राप्त है। टिंडा इसी समर्थन के बलबूते फूल-फूलकर कुप्पा होकर इठलाता सा दिख रहा था। उन्हें यह भी लग रहा था कि कमबख्त टिंडा बीच-बीच में उन्हें चिढ़ा भी रहा है।

लल्लन जी टिंडे को प्राप्त पत्नी के खुले समर्थन के खिलाफ दांत किटकिटा रहे थे, मगर वह बेबस थे! और लाचार तो वह शादी के बाद टिंडा-प्रेमी पत्नी का पति बनते ही हो चुके थे। इसी गफलत के बीच वह यह भी तय नहीं कर पा रहे थे कि उनकी शादी के फेरे किसी सुयोग्य कन्या के साथ हुए थे या फिर अपने भाग्य पर पत्थर की तरह आ टपके उन टिंडों के साथ हुए थे....जो हर दूसरे-चौथे दिन शाम को या फिर सुबह और शाम, दोनों वक्त किसी बदकिस्मती की तरह उनके भोजन की थाली में येन-केन-प्रकारेण आ ही टपकते थे।

वह टिंडे की सब्जी से इतना आजिज आ चुके थे कि आज उसके खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाने की ठान चुके थे। शादी के बाद पहली बार उन्हें खुद के भीतर बगावती तेवर महसूस हो रहे थे। वह मन ही मन नारा लगा रहे थे-हम लेके रहेंगे आजादी, मगर इसे हिम्मत की कमी कहें या फिर रणनीति का अभाव कि इस जंग का शंखनाद करने से पहले ही उनकी सांसें फूल रही थीं। वह स्वयं को निर्बल और असहाय महसूस कर रहे थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां से अपनी जंग की शुरुआत करें। नारे अंदर आकार तो ले रहे थे, लेकिन मुंह से बाहर निकलने में उन्हें सिहरन महसूस हो रही थी।

दफ्तर से लौटते ही टिंडे की सब्जी का नाम सुनते ही उनका मुंह जबसे लटका तबसे उठने का नाम नहीं ले रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह सिर उठाकर कैसे बात करें? टिंडे की सब्जी को सीधे-सीधे चुनौती देना उनके बूते की बात नहीं थी। इसी कशमकश के बीच अचानक लल्लन जी ने डरते-सहमते और थोड़ा सा साहस बटोरते डाइनिंग-टेबल को सदन-पटल मानकर टिंडे की सब्जी के खिलाफ अपना जोरदार मत पेश कर दिया। पत्नी ने पूछा, ‘अरे यह क्या कर रहे हो।’ जवाब मिला, इस नामुराद सब्जी के खिलाफ अपना ‘अविश्वास-प्रस्ताव’ प्रस्तुत कर रहा हूं। उन्होंने जल्दी से यह भी जोड़ दिया कि जब-तक इस मसले पर बहस नहीं हो जाती तब-तक मैं अन्न-जल ग्रहण नहीं करूंगा!

इस औचक और अनपेक्षित रणनीति से उनकी पत्नी एकदम चौंक गईं! फिर थोड़ा संभलकर लानतें सी परोसते हुए बोलीं, ‘टिंडे की सब्जी के खिलाफ आपके इस अविश्वास-प्रस्ताव का मतलब मैं खूब समझती हूं! बाहर का कड़वा करेला तक तुम्हें मंजूर है, मगर घर में टिंडे की सब्जी खाते हुए तुम्हें बहुत आफत आती है।’

हिम्मत जुटाकर लल्लन जी दबी आवाज में जितना जोर से बोल सकते थे, बोले -‘ये लौकी और टिंडे की नामुराद सब्जियां दीन-दुनिया का कौनसा पति रोज-रोज खा सकता है...बताओ भला? इस जिल्लत से तो अच्छा है कि मैं रोज-रोज करेला ही खाकर मर जाऊं। अब और अधिक जुल्मोंसितम नहीं सहा जाएगा।’

पत्नी ने पति का मखौल उड़ाते हुए कहा, पता तो चले...तुम्हारे पीछे आखिर कौन-कौन सी अज्ञात शक्तियां काम कर रही हैं...! ये मुंह और मियां मसूर की दाल! इस पर लल्लन जी ने कहा कि मैं इस दुनिया का इकलौता टिंडा पीड़ित पति नहीं हूं। कल ही मैंने अखबार में खबर पढ़ी थी कि महीने भर टिंडे की सब्जी खाने से सदमे में आए एक पति ने पत्नी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। ऐसे में हम सभी टिंडा पीड़ित पति सरकार पर इसके खिलाफ कानून बनाने की मांग करेंगा या इसकी राशनिंग कराएंगे कि महीने में एक या दो बार से यह हमारी थाली का जायका न बिगाड़े।

टिंडे के खिलाफ एक भी शब्द न सुनने की आदी उनकी पत्नी ने आंख निकालकर कहा कि जरा अपने श्रीमुख से निकले शब्दों को फिर से दोहराएंगे। फिर क्या होना था वे लफ्ज लल्लन जी की जुबान के भीतर ही कुंडली मारकर बैठ गए। अब टिंडे के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की उनके पास न तौ नैतिक शक्ति बची और न ही हौसला। थोड़ी देर बाद वह यह कहने लगे, ‘वैसे इतनी बात तो है कि सेहत के लिए टिंडे की सब्जी ठीक है।’ वह उसकी और खूबियां बताते हुए उसे खाने भी लगे। पत्नी मंद-मंद मुस्करा रही थी, क्योंकि उन्होंने अपनी प्रिय सब्जी के खिलाफ घर में उठे आंतरिक विद्रोह को दफन जो कर दिया था और लल्लन जी उस घड़ी को कोस रहे थे जब उन्हें टिंडे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की सूझी थी।

[ लेखक हास्य-व्यंग्यकार हैं ]