शंभु सुमन। दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) अकेले अपने दम पर विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज कर रही है। चंद शब्दों के नारे ‘अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल’ विपक्षी दलों के प्रचार अभियानों पर भारी पड़ चुके हैं। आप का यह वजन यूं ही नहीं बढ़ा-बना है, बल्कि उसे मजबूती पांच साल के कामकाज के बदौलत मिली है। उसने दिल्लीवासियों को कई बुनियादी मोर्चे पर संतुष्ट किया है। खासकर सामान्य वर्ग के नागरिकों को उसकी कार्यशैली पसंद आई है। चाहे शिक्षा और स्वास्थ्य की बात हो, या फिर बिजली, पानी और परिवहन सुविधाओं की। लोगों की नजरों में उसके सामने दोनों बड़े दलों द्वारा दिल्ली के लिए किए गए काम फीके लग रहे हैं।

सस्ती बिजली और मुफ्त पानी देने के मुख्य वादे की बदौलत पांच साल पहले आप ने 70 में 67 सीटें जीत ली थी। इन वादों को पूरा भी किया। शिक्षा और स्वास्थ्य समेत दूसरे कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी कदम उठाए। सरकारी स्कूलों में जो आमूल-चूल बदलाव लाया, वह दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन गया। सरकारी स्कूल में स्मार्ट क्लासेज से लेकर ट्यूशन की तरह पढ़ाई में पिछड़े छात्रों के लिए अतिरिक्त क्लासेज और शिक्षण-व्यवस्था में व्यापक सुधार देखने को मिला। निम्न आयवर्ग के अभिभावकों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था, क्योंकि वहां पढ़ने वाले बच्चे किसी भी प्राइवेट स्कूल के बच्चों से रत्ती भर पीछे नहीं साबित हुए। पांच साल पहले दिल्ली के कई इलाकों में पेयजल का अभाव था।

नई दिल्ली नगर निगम को छोड़ कई इलाकों में लोग टैंकर से सप्लाइ होने वाले पानी पर निर्भर थे। आज उन क्षेत्रों में घरों में दिल्ली जल बोर्ड का पानी उपलब्ध है। यही नहीं, नल के एक कनेक्शन पर पूरे माह 21,000 लीटर पानी मुफ्त मिल रहा है। बिजली बिल की करीब आधी सब्सिडी मिलने से भी लोगों को काफी राहत मिली। बीते करीब पांच माह पहले इसमें एक और राहत दिए जाने से कम खपत करनेवालों के लिए बिजली भी पानी की तरह मुफ्त कर दी गई। देखा जाए तो आम आदमी पार्टी अपने इन कार्यो के बूते चुनाव लड़ रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली सरकार ने जो वादे किए थे उनमें से अधिकांश को पूरा करते हुए दिखी है। ऐसे काम भी किए जिनकी घोषणा नहीं की गई थी।

इसी में 200 यूनिट बिजली मुफ्त करना व डीटीसी बसों में महिलाओं की नि:शुल्क यात्रा शामिल है। इसके दो सकारात्मक पहलू भी देखने को मिले हैं। बाजारों में खरीदारों में इजाफा हुआ और बसों में मार्शल की मौजूदगी से देर रात की यात्राओं में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बना। दिल्ली सरकार का एक और चर्चित काम मोहल्ला क्लीनिक रहा। इसमें मिलने वाली सुविधाएं प्राथमिक उपचार के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रही हैं। अस्पतालों में होने वाली महंगी जांचों के शुल्क में कमी करने से गंभीर बीमारियों के इलाज में लोगों को राहत मिली। इन सभी कदमों से ही केजरीवाल अपना कद बढ़ाने में कामयाब हुए और एक मुख्यमंत्री के तौर उनका चेहरा विश्वसनीय बनता गया। उन्होंने विवादों व विवादित मुद्दों से दूर रहकर चुप्पी साध ली है।

इस सरकार ने दिल्ली में बड़ी संख्या में स्कूलों का ढांचा और पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था में बदलाव किया जिससे बड़ी संख्या में अभिभावकों ने बच्चों का दाखिला इन स्कूलों में करवाया। हाल में उन्होंने छात्रों को बसों में मुफ्त यात्र सुविधा देने की बात की है। वायु प्रदूषण जैसी समस्या से लोगों को निजात दिलाने और यमुना की सफाई का भी उन्होंने वादा किया है। बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को जहां क्रमश: नरेंद्र मोदी और सोनिया-राहुल-प्रियंका पर भरोसा है, वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को अरविंद केजरीवाल के कद और किए गए काम की विश्वसनीयता पर है। हालांकि दोनों बड़े दल ‘आप’ की खामियां निकालने में जुटे हैं, जबकि ‘आप’ अपनी खूबियां गिनवा कर वोट मांग रही है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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