[आदर्श तिवारी]। Sharjeel Imam Sedition Case: देश भर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों का अराजक स्वरूप जिस तरह सामने निकलकर आया है, वह हैरान करने वाला है। ऐसा कानून जिससे देश के नागरिकों का कोई संबंध नहीं होने के बावजूद इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है मानो एक खास समूह का सब कुछ लुट गया हो, हैरतअंगेज लगता है। समूचे देश ने देखा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर कैसे सुनियोजित हिंसा फैलाई गई, आगजनी की गई। यह सब मामला चल ही रहा था कि शरजील इमाम का एक वीडियो सामने आया जिसमें वह असम और पूर्वोत्तर को भारत से काटने की बात कर रहा था।

शरजील इमाम का देशद्रोही बयान

अभी कुछ दिनों पूर्व सोशल मीडिया एक वीडियो वायरल हुआ जिसे देखकर देश अवाक कर गया। इस वीडियो में शरजील इमाम यह कहता नजर आ रहा है कि ‘पांच लाख लोग हमारे पास ऑर्गनाइज हों तो हम हिंदुस्तान से नार्थ ईस्ट को परमानेंटली काट सकते हैं, परमानेंटली नहीं तो एकाध महीने के लिए तो काट ही सकते हैं।’ वह यहीं नहीं रुका, उसने आगे कहा कि असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है, असम और भारत कट कर अलग हो जाएं तभी ये हमारी बात सुनेंगे। शरजील इमाम का यह देश विरोधी भड़काऊ बयान नागरिकता कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिया गया था।

देशद्रोह की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज 

इस वीडियो में कही गई बातों से ऐसी सोच रखने वालों की मानसिकता उजागर हो गई है। ये लोग इस कानून के विरोध की आड़ में देश को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं। यह जानकारी भी सामने आ रही है कि इन प्रायोजित विरोध प्रदर्शनों का पैसा इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पीएफआइ द्वारा किया जा रहा है। इस वीडियो के आने के बाद कई प्रदेशों की पुलिस ने शरजील पर देशद्रोह की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया और उसकी तलाशी शुरू कर दी। पुलिस ने उसे बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया। क्राइम ब्रांच द्वारा पूछताछ के दौरान जो बातें सामने आ रही हैं वे वामपंथी बुद्धिजीवियों के झूठ का आवरण हटाने वाली हैं।

जैसे ही यह वीडियो सामने आया, एक तरफ जहां लोगों ने शरजील को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की, तो दूसरी तरफ एक खास वर्ग ने पहले तो इस वीडियो को फर्जी बताया, लेकिन जब यह पता चला कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है, तब वे इस तर्क पर उतर आए कि शरजील ने चक्का जाम करने की बात कही है। कई उन्मादी मीडिया संस्थानों द्वारा प्राइम टाइम पर यह बताया जाने लगा कि वह संविधान को मानने वाला है और जाट आंदोलन से उसकी तुलना की जाने लगी।

वह जोश में आकर देश को तोड़ने की बातें बोला 

इधर शरजील ने यह स्वीकार किया है कि उसके वीडियो से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और वह जोश में आकर देश को तोड़ने की बातें बोल गया। उसके खतरनाक मंसूबों को इस बात से भी समझा जा सकता है कि वह भारत को इस्लामिक स्टेट के रूप में देखना चाहता है। वामपंथी यह भी जोर-शोर से कहते रहते हैं कि शरजील का शाहीन बाग से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं कुछ का मानना है कि वह वालेंटियर के तौर पर इस प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है। पुलिस जांच में उनकी यह बात भी झूठी साबित हुई है। जांच में यह बात सामने आई है कि वह वहां भाषण देने के लिए बुलाया जाता था तथा वह पीएफआइ के भी संपर्क में था। इस घटना पर वाम दलों के समर्थकों ने जिस तरह से झूठ और देशद्रोही कृत्य का समर्थन किया, उससे उनकी मानसिकता को सहजता से समझा जा सकता है। शरजील के बयान ने बौद्धिकता का लबादा ओढ़े इस खास वर्ग के स्याह सच को देश के सामने रख दिया है।

जामिया व शाहीन बाग गोलीकांड

नागरिकता कानून के विरोध में निकाले जा रहे पैदल मार्च के दौरान 30 जनवरी को एक युवक अचानक कट्टा निकालता और लहराते हुए फायरिंग कर देता है। फिर दो दिन बाद यानी एक फरवरी को शाहीन बाग में प्रदर्शन स्थल के निकट एक युवक हवाई फायर करता है। ये दोनों घटनाएं भी निंदनीय हैं। हालांकि पहले वाले मामले में उस लड़के को नाबालिग बताया जा रहा है, लेकिन दूसरी घटना वाले युवक की उम्र करीब 24 वर्ष है। ऐसी घटनाओं पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।

चूंकि वे दोनों युवक हिंदू समुदाय से हैं, लिहाजा इन घटनाओं की तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा अपने तरीके से व्याख्या की जा रही है। कहा जा रहा है कि यह एक नेता द्वारा लगाए गए नारे की परिणति है। तो क्या ये लोग यह स्वीकार कर रहे हैं कि शाहीन बाग या सीएए का विरोध करने वाले लोग गद्दार हैं? दूसरी बात कि आज तक आतंकवाद का धर्म नहीं होता है, यह कहने वालों द्वारा कट्टा लहराने की घटना के तुरंत बाद हिंदू आतंकवाद का नारा बुलंद करना शर्मनाक है।

इस दोनों मामलों में जो तथ्य सामने आए हैं, उससे यह स्पष्ट है कि वामपंथ समर्थक अपने झूठ और अफवाह के बल पर देश का माहौल खराब करने की शाजिश रच रहे हैं, किंतु ये लोग हर बार असफल हो रहे हैं। जामिया गोली कांड के वीडियो को देखकर सबसे पहले यही लगता है कि यह गोली कांड शरजील मामले से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है। बहरहाल, शरजील मामले में पुलिस की जांच से झूठ की दीवार ध्वस्त हो गई है।

[स्वतंत्र टिप्पणीकार]

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