संजय मिश्र। MP Budget 2021-22 इसी माह के अंतिम सप्ताह में प्रस्तुत होने वाला बजट शिवराज सरकार के लिए चुनौती भी है और अवसर भी। चुनौती इस मायने में कि राज्य में खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है और उसके मुकाबले आय में वृद्धि नहीं हो पाई है। जनता को राहत पहुंचाने वाली योजनाओं को गति देने के लिए वित्तीय स्थिति का मजबूत होना जरूरी है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना संकट के दौरान दिन-रात जुटे हैं। उन्होंने अपनी पूरी टीम को भी मोर्चे पर लगा दिया है। मुख्यमंत्री की सक्रियता और दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य को संकट से उबारने में मदद मिली है। हालांकि वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत अभी भी है।

अब तक की तैयारियों से माना जा रहा है कि फरवरी के अंतिम सप्ताह में विधानसभा में प्रस्तुत होने वाले बजट के जरिये सरकार बड़ा संकल्प जाहिर कर सकती है। सरकार के लिए यह बजट चुनौती के साथ एक बड़ा अवसर भी है। माना जा रहा है कि राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का खाका खींचने की कोशिश करेंगे। इसीलिए इस बार का बजट अवसर सरकार के लिए भी होगा, क्योंकि जोखिम लेकर अभी तक जितने भी प्रयोग किए गए हैं, वे सभी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए कारगर साबित हुए हैं।

कोरोना संकट से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। लगभग सभी क्षेत्रों में राजस्व संग्रहण में वृद्धि हो रही है। यह शुभ संकेत है, क्योंकि सरकार ने प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए जो रोडमैप तैयार किया है, उसके लिए वित्तीय संसाधनों की अधिक जरूरत होगी। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विभागों को अतिरिक्त आय सृजित करने के लक्ष्य भी दिए हैं। जीएसटी के बाद राज्य के पास टैक्स लगाने का दायरा सीमित हो गया है। ऐसे में उन विकल्पों पर विचार करना होगा, जिनके माध्यम से सरकार जनता पर कर का बोझ बढ़ाए बगैर आय बढ़ा सकती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने देशभर के नामचीन विषय विशेषज्ञों के साथ मंथन के बाद आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोडमैप तैयार किया है। इसमें सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विषम परिस्थितियों में बेहतर प्रबंधन करते आए हैं, वैसा ही इस दौर में भी वे बजट के माध्यम से करेंगे। सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रविधान करने के साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए कदम उठाने से वह नहीं ङिाझकेंगे।

विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती वित्त का प्रबंधन करने की है। आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य को मिलने वाले केंद्रीय कर के हिस्से में लगातार कमी हो रही है। वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार से लगभग 63 हजार करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था, लेकिन यह घटकर पहले 49,517 करोड़ रुपये हुआ और अब बजट अनुमान 2020-21 में 46,025 रह गया है। यह पूरी राशि भी मिलने की संभावना कम ही है। हालांकि पूर्व में दो प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति देकर मौजूदा वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने एक तरह से बड़ी राहत दी है। इसकी वजह से कोरोनाकाल में प्रदेश सरकार को आíथक गतिविधियां बढ़ाने में काफी मदद मिली। जाहिर है कि वर्ष 2021-22 में भी इसी तरह अतिरिक्त राशि की दरकार होगी। इस आवश्यकता की पूíत के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति देने की मांग की थी, जिसे मान लिया गया है। आम बजट में राज्यों को एक फीसद अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति दी गई है। इससे सरकार लगभग 13 हजार करोड़ रुपये अधिक ऋण ले सकेगी, जो काफी मददगार साबित होगी। सरकार के ऊपर कर्मचारियों की देनदारी साढ़े चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की है। कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद उनके देयकों के भुगतान के लिए प्रबंध भी करना है।

राज्य की वित्तीय स्थितियों के जानकार मानते हैं कि आगामी बजट का फायदा मुख्यमंत्री एक अवसर की तरह उठाने की कोशिश करेंगे। इसे ध्यान में रखकर ही बजट की तैयारी भी हो रही है। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत तय किए लक्ष्यों को वर्ष 2023 तक पूरा करने के लिए विभागवार राशि का प्रबंध किया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त आय के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इसी कड़ी में लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग का गठन भी किया गया है, जो अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों के सदुपयोग की कार्ययोजना पर काम कर रहा है। इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। 

[स्थानीय संपादक, नवदुनिया, भोपाल]