डा. शशांक द्विवेदी। आज के इस आधुनिक और तकनीकी युग में भी भारत में सैन्य विमानों के क्रैश होने का सिलसिला नहीं थम रहा हैभारतीय सैन्य इतिहास के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का हेलीकाप्टर हादसे में निधन कई सारे सवाल खड़े करती है। मसलन रूस द्वारा निर्मित एमआइ सीरीज का इतना आधुनिक हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो गया? देखा जाए तो भारतीय सेना में विमान क्रैश की घटनाएं बड़े पैमाने पर हो रही हैं। 1948 से 2021 के बीच सेना के 1751 विमान और हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। यानी इस हिसाब से हर वर्ष औसतन 24 और हर महीने सेना के दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

अगर बात सिर्फ 1994 से 2014 के बीच की करें तो इस दौरान भारतीय सेना के 394 विमान और हेलीकाप्टर क्रैश हुए हैं। यानी इस दौरान हर साल औसतन 20 विमान दुर्घटना का शिकार हो गए।आज के इस आधुनिक और तकनीकी युग में भी भारत में विमानों के क्रैश होने का सिलसिला नहीं थम रहा है। जबकि दूसरे देशों में ऐसे कम उदाहरण हैं। भारत, रूस और चीन तीनों देश सुखोई लड़ाकू विमान का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन भारत में 2009 से 2015 के बीच छह सुखोई लड़ाकू विमान क्रैश हुए। जबकि इसी अवधि में रूस और चीन में इस विमान के क्रैश होने की एक-दो ही घटनाएं सामने आई।

भारत में प्रतिदिन चार से पांच हजार यात्री विमान उड़ान भरते हैं। जबकि एक अनुमान के मुताबिक सेना में प्रतिदिन ट्रेनिंग और दूसरे कामों के लिए केवल 200 विमान ही उड़ान भरते हैं। इसके बावजूद यात्री विमानों की तुलना में सेना के विमान ज्यादा क्रैश होते हैं। वर्ष 1945 से 2021 के बीच 95 यात्री विमान क्रैश हुए हैं। मिग विमानों को अक्सर उनके खराब सुरक्षा रिकार्ड के कारण उड़ता हुआ ताबूत कहा जाता है। लगभग 20 साल पहले मिग 21 को हटाने का प्रस्ताव दे दिया गया था, लेकिन इसकी जगह लेने वाले विमानों के अभाव के कारण ऐसा नहीं हो सका है। ऐसा माना जा रहा है जब 2023 या 2024 तक बड़ी संख्या में तेजस विमान वायुसेना में शामिल होने लगेंगे तब इन्हें हटाना शुरू किया जाएगा।

भारत में इस समय मिग 21 बाइसन का प्रयोग किया जाता है, जो कि मिग 21 का अपडेट वर्जन है। मिग 21 विमान पुरानी तकनीक पर आधारित हैं और लैंडिंग के समय इनकी स्पीड ज्यादा होती है। पुराने और एडवांस वर्जन में बहुत अधिक सुधार नहीं हुआ है। किसी भी देश में जब कोई यात्री विमान क्रैश होता है तो उसमें तकनीकी खामियों की तुरंत जांच होती है और कई मामलों में जांच होने तक उस सीरीज के यात्री विमान के इस्तेमाल पर बैन भी लगा दिया जाता है। जैसे वर्ष 2018 में बोइंग 737 मैक्स सीरीज के दो यात्री विमान क्रैश हो गए थे, जिसके बाद भारत समेत ज्यादातर देशों ने इनके इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था। लगभग 1.5 साल तक ये विमान रनवे पर खड़े रहे थे, लेकिन सेना में इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया जाता।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)