डॉ. मोनिका शर्मा। राजस्थान की राजधानी जयपुर में वैलेंटाइन डे के मौके पर एक सिरफिरे ने एक महिला के साथ खौफनाक वारदात को अंजाम दिया। खुद को प्रेमी मानने वाले विकृत मानसिकता वाले इस व्यक्ति ने एक मॉल में महिला पर तेजाब से हमला कर दिया। दो बार पहले ही तलाक ले चुका यह व्यक्ति उस महिला पर शादी के लिए दवाब डाल रहा था। उसकी बात न मानने पर उसने उस पर तेजाब से हमला कर दिया। हिंसक हुए प्रेम की ऐसी ही एक खबर उत्तर प्रदेश के हापुड़ से भी आई है। जहां एक ओर वैलेंटाइन डे पर लोग प्रेम का इजहार कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर यूपी में हुए इस मामले में भाग कर शादी करने से इन्कार करने पर एक सिरफिरे आशिक ने अपनी प्रेमिका को गोली मार दी।

प्रेम के नाम पर समझ खो देने की एक घटना बिहार में भी हुई है। बिहार पुलिस के हत्थे एक ऐसा अपराधी चढ़ा है जो एक बड़ी लूट की तैयारी में था। यह कथित प्रेमी लूट की यह वारदात अपनी प्रेमिका को खुश करने के लिए करने वाला था। हाल ही में असम में भी ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया था। जहां एक पागल प्रेमी ने एक शादीशुदा महिला के घर में घुसकर उसकी बेटी के सामने ही उसका खून कर दिया था। दरअसल ये सभी घटनाएं हिंसक और विकृत होते प्रेम की बानगी हैं, जो बताती हैं कि लोग प्रेम के सही मायने ही भूल गए हैं। हालांकि यह भी सच है कि अब आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें प्यार में असफल युवाओं ने किसी लड़की की जिंदगी दूभर कर दी हो या फिर जान ही ले ली हो।

एकतरफा प्रेम के नाम पर कुछ भी कर जाने की यह समस्या चिंताजनक स्तर तक बढ़ गई है। महिलाएं भी विवश हो इन सिरफिरों का र्दुव्‍यवहार चुपचाप सहती रहती हैं। असल में देखा जाए तो इस बर्बरता के पीछे की सोच यही है कि किसी स्त्री को ना कहने का अधिकार कैसे हो सकता है? पुरुष मानसिकता को यह स्वीकार ही नहीं कि कोई महिला उसकी आकांक्षा के विपरीत अपनी भी एक स्वतंत्र सोच भी रख सकती है।

एकतरफा प्रेम को हिंसक व्यवहार से जोड़ने वाली यह पुरातन सोच इतनी गहराई से अपनी जड़ें जमाई हैं कि इन घटनाओं को अंजाम देने वालों में अशिक्षित और निचले तबके के बेरोजगारों से लेकर संभ्रांत वर्ग के उच्च शिक्षित युवक और पुरुष तक सभी शामिल हैं। यही वजह है कि भारत में जितनी मौतें प्यार की वजह से होती हैं उतनी आतंकी घटनाओं से भी नहीं होतीं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 15 सालों में भारत में आतंकवाद से ज्यादा मौत एकतरफा प्यार के चलते हुई हैं। साल 2001 से 2015 के बीच के आंकड़ों के मुताबिक प्यार में कामयाब न होने वाले और दूसरी वजहों के चलते करीब 79,189 लोगों ने मौत को गले लगा लिया। इतना ही नहीं प्यार के चलते 38,585 मामलों में लोगों ने हत्या और गैर-इरादतन हत्या जैसे जघन्य अपराधों को भी अंजाम दिया है।

नि:संदेह हमारे समाज में आज भी युवा ऐसी मानसिकता के साथ बड़े हो रहे हैं जिसमें उन्हें किसी लड़की का इन्कार स्वीकार ही नहीं है। अफसोस की बात ही है कि प्रेम जैसे स्वतंत्र और भावनात्मक बंधन के मामले में भी यही सोच है। इतना ही नहीं अगर बात न मानी जाए तो ऐसे अमानुष लड़की का जीवन ही छीन ले रहे हैं। न सुनते ही ऐसे मनचले प्रतिशोध लेने पर भी उतारू हो जाते हैं। फिर छेड़खानी, एसिड अटैक या जानलेवा हमले बिना किसी गलती के ही महिलाओं के हिस्से आ जाते हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोगों के कुत्सित व्यवहार से तंग आकर आत्महत्या करने वाली लड़कियों की संख्या भी कम नहीं है।

आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि लड़कियों की पसंद-नापसंद की आजादी को लेकर आज भी युवाओं के मन में यह दुर्भाव और असहिष्णुता क्यों अपनी जगह बनाई हुई हैं? हैरान-परेशान करने वाली बातें यह भी हैं कि क्या प्रेम भी किसी पर थोपने की चीज है? क्या प्रेम किसी को पीड़ा देने वाला भाव है? क्या प्रेम के नाम पर किसी की जिंदगी छीनी जा सकती है? सही मायनों में देखा जाए दिशाहीन और दुर्भावपूर्ण सोच वाले लोगों को प्रेम का अर्थ ही नहीं पता। अफसोस कि उनकी इस दिशाहीनता का खामियाजा किसी न किसी लड़की को चुकाना पड़ता है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि ‘नो’ कहने पर एकतरफा प्यार में ऐसे सनक भरे मामले सामने आए हों। विचारणीय तो यह है कि आज के दौर में जिंदगी में प्यार का दखल सकारात्मक रवैया नहीं लाता। संवेदशीलता को पोषित नहीं करता। जुड़ाव और समझ का आधार नहीं बनता। इसकी वजह शायद यही है कि उपभोक्तावाद, बाजारवाद और दिखावे ने प्रेम के अर्थ ही गुम कर दिए हैं। साथ ही कुत्सित मानसिकता के लोगों ने संसार के सबसे सुंदर मानवीय भाव को हिंसक भी बना दिया है। तभी तो साल-दर-साल प्रेम का भाव परिष्कृत नहीं, बल्कि विकृत ही हो रहा है। संवेदनाओं और अहसासों से दूर दिखावे की होड़ में लगे लोग एकतरफा प्रेम के नाम पर तेजाबी हमलों से लेकर जान लेने तक की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

तकनीकी जुड़ाव ने भी इस समस्या को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। कई युवतियां प्रेम के नाम पर भेजे संदेश और फोटोज को वायरल कर देने के भय से जूझती हैं। नकारात्मक मानसिकता वाले कथित प्रेमी उन्हें इन बातों को लेकर भी प्रताड़ित करते हैं, जबकि यह उनकी नासमझी की हद ही है कि प्रेम के लिए भी वे किसी को विवश करने की सोच रखते हैं। सामाजिक बिखराव और दरकती देहरी भी ऐसे मामलों की बड़ी वजह बन रही हैं, क्योंकि अब ऐसे मामलों में केवल युवा ही नहीं विवाहित लोगों की भागीदारी भी देखने को मिल रही है। ऐसे में यह चिंतनीय है कि प्रेम का जो भाव दो इंसानों को ही नहीं पूरे समाज को जोड़ सकता है वह ऐसी हैवानियत भरी राह पकड़ रहा है।

(लेखिका साहित्यकार हैं)