ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि दी है, कल्पना करने की ताकत दी है और कल्पना ही यथार्थ बनती है। सब कुछ संभव है यदि हमारा नजरिया सकारात्मक बन जाए। सकारात्मक कल्पना जीवन को सुंदरतम बना देती है। वहीं जो व्यक्ति सुंदरतम कल्पना को मन में बसाने की कोशिश नहीं कर सकता, वह अच्छा जीवन भी नहीं जी सकता। विश्वप्रसिद्ध मोटीवेशनल लेखक नॉर्मन विन्सेंट कहते हैं कि, ‘कल्पना सच्चा जादुई गलीचा है। मेरी पीढ़ी की सबसे बड़ी खोज यह है कि इंसान अपना मानसिक नजरिया बदलकर अपनी जिंदगी बदल सकता है। अक्सर जीवन में ऐसे लोगे देखे जाते हैं, जो कई बार इस बात का बहाना लेते हैं कि परिस्थितियां उनके प्रतिकूल थीं, इसलिए वे जीवन में बेहतर नहीं कर पाए अथवा जिस लक्ष्य तक जाना चाहते थे वहां तक नहीं पहुंच सके। दरअसल यह सच नहीं है बल्कि इसके पीछे का सच यह है कि उन्होंने इस नजरिये से सोचा ही नहीं था कि वे जीत सकते हैं। अमेरिका के उद्योगपति हेनरी फोर्ड ने जीवन में अनेक बाधाओं का सामना कर अपने नजरिये को मजबूत बनाकर पूरे विश्व के सामने एक पहचान बनाई। उनका भी मानना है कि, ‘अगर आप सोचते हैं कि आप किसी काम को कर सकते हैं या अगर आप सोचते हैं कि आप किसी काम को नहीं कर सकते हैं, तो दोनों ही स्थितियों में आप सही हैं।’ ऐसा इसलिए है, क्योंकि दोनों ही स्थितियां व्यक्ति के नजरिये से उसके मस्तिष्क में फिट हो जाती हैं।
जब व्यक्ति हार मानना आरंभ कर देता है तो शरीर की शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया ऐसे रसायनों का स्राव करती है, जो व्यक्ति को निष्क्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वहीं व्यक्ति हर स्थिति में जब यह नजरिया बना लेता है कि उसे जीतना है और हर हाल में लक्ष्य तक पहुंचना है तो वही बाधा उसके लिए पुल का काम करती है और मंजिल तक पहुंचाती है। इतिहास भी यही कहता है कि सबसे महान विजेताओं को जीतने से पहले आमतौर पर बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा था। वे इसलिए जीते, क्योंकि उन्होंने अपनी पराजयों से हताश होने से इन्कार कर दिया था और अपने नजरिये में इस बात को रचा बसा लिया था कि असंभव कुछ नहीं होता, सब संभव हो जाता है जब नजरिया सकारात्मक होता है।
[ रेनू सैनी ]