इंग्लैंड के महान चिंतक जेम्स मूर ने इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली महिला तैराक के लिए बस इतना ही कहा था कि यह उनकी लगन का प्रतिफल है, अन्यथा संकल्प लेने वालों की कमी नहीं है। छोटा सा शब्द है लगन, पर जिसमें लग जाए, उसका जीवन बदल जाए। इतनी शक्ति है इसमें कि बड़े से बड़ा काम पूर्ण होने में कोई संदेह नहीं और छोटे से छोटा काम भी अपूर्ण रह जाए अगर लगन की अगन नहीं चढ़े। विद्यार्थियों को पढ़ाई की लगन लग जाए तो कभी असफलता उनकी राह में नहीं आएगी। संत पुरुषों में सच्चाई की खोज की लगन रहती है तो वैज्ञानिकों में नई-नई खोजों को पूरा करने का जुझारूपन। ईश्वर से लगन लगाने वाले लोग इतने रम जाते हैं कि कभी वे बहुत भावुक होकर रोने लगते हैं तो कभी नृत्य करने लगते हैं। मीरा को भगवान कृष्ण की भक्ति की जब लगन लग गई तो वह दीवानी बन गई। यह लगन की चरम पराकाष्ठा होती है, जिसके बाद शून्य का वृत आ जाता है। अपने परिप्रेक्ष्य में यह आत्मशक्ति और संकल्पशक्ति से जुड़ा हुआ है। इसलिए पहले छोटे और आसान संकल्पों को पूरा करने का जहमत उठाएं, उसके बाद बड़े अभियान की ओर। लक्ष्य प्राप्ति के बाद खुद की शक्ति का भी मूल्यांकन करें और खुद को शाबाशी दें। होना तो यह चाहिए कि संपूर्ण परिवार का इसमें सहयोग हो जिससे कि राह और आसान हो जाए।

 लगन के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए

सामाजिक रिश्तों का ताना-बाना बुनने वाले तत्वों में आत्मशक्ति का बहुत प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह आत्म शांति से जुड़ा होता है। कामनाओं की मृगतृष्णा में दौड़ता-हांफता मनुष्य एक उम्र के बाद जान जाता है कि उसकी शक्ति और हुनर किस क्षेत्र में सिद्ध हो सकती है। उस ओर ही लगन लगानी चाहिए। लगन को शौक से अलग परिभाषित किया गया है। शौक कई हो सकते हैं, पर लगन से हर शौक पूरा हो जाए, यह जरूरी नहीं। देश और समाज को क्षति पहुंचाने वाले शौक के लिए लगन लगाना देशद्रोह का सूचक है। ऐसे शौक वर्जित होते हैं। इन्हें कोई कितना भी लगन से पूरा कर ले, वह प्रशंसा का पात्र नहीं हो सकता। अच्छे लक्ष्यों और उद्देश्यों के कारण जो शौक पाले जाते हैं, वे समाज के लिए अनुकरणीय होते हैं। सकारात्मक और रचनात्मक शौक को पूरा करने के लिए जिस लगन की जरूरत होती है, उसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए।

[ कविता विकास ]