हरियाणा [जगदीश त्रिपाठी]। कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। लॉकडाउन में गोष्ठी सेमिनार हो नहीं सकते थे। इसका विकल्प बनकर आया वेबिनार। अब देश-विदेश में बैठकर लोग वेबिनार के जरिये विमर्श कर रहे हैं।

यहां तक कि अपनी प्राचीन सोच को लेकर निशाने पर रहने वालीं हरियाणा की खाप पंचायतें भी इस नवीन तकनीक के माध्यम से अपनी सोच बदलने को लेकर विमर्श कर रही हैं। अभी अधिक दिन नहीं हुए, जब पूरे देश में हरियाणा की खाप पंचायतों को खलनायक माना जाता था। उनके फरमान तालिबानी कहे जाते रहे, लेकिन पिछले एक दशक से स्थितियां बदल रही हैं।

खापें दहेज प्रथा, विवाह समारोहों में अनाप-शनाप खर्च, मृत्युभोज जैसी कुप्रथाओं को प्रतिबंधित कर रही हैं। यदि गोत्र विवाद को छोड़ दें तो उनके फैसले सामाजिक प्रतिबद्धताओं से ही प्रभावित होते थे। विवाह को लेकर जो उनकी सोच थी। वह भी सामाजिक प्रतिबद्धता के कारण ही थी। उनकी इस प्रतिबद्धता के मूल में छिपा सूत्र वाक्य था-गांव की बेटी अपनी बेटी।

इसलिए गांव का कोई व्यक्ति गांव में कोई वैवाहिक संबंध नहीं बना सकता, लेकिन अब खापें भी चाहती हैं कि ताजी हवा से वे भी महरूम न रहें। खाप प्रतिनिधियों के वेबिनार में यह बात स्पष्ट परिलक्षित हुई। विवाह को लेकर उनकी सोच बदल रही है। अब खाप पंचायतों के प्रतिनिधि यह आवाज उठा रहे हैं कि अपना गोत्र एवं मां का गोत्र छोड़कर लड़की को कहीं भी विवाह करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। 

गांव में भी विवाह को मान्यता मिलनी चाहिए। हालांकि इसका विरोध भी हुआ, लेकिन एक प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि केवल दादी का गोत्र छोड़कर बाकी गोत्रों में विवाह की अनुमति दे देनी चाहिए। यह ठीक है कि इस पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। लेकिन इस तरह के प्रस्ताव आना भी सुखद संकेत हैं। मनोज तिवारी बने रिंकिया के पापा पर उठ रही अंगुली-देश में मनोज तिवारी नाम की दो चर्चित शख्सियतें हैं। 

एक दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, जिन्हें लोग प्यार से रिंकिया के पापा कहते हैं। दूसरे क्रिकेटर मनोज तिवारी, जो भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रह चुके हैं। भले ही बहुत नहीं चल पाए, लेकिन उनकी बैटिंग का अंदाज लोगों को लुभाता रहा है। चौबीस मई को रिंकिया के पापा दिल्ली से सोनीपत के गन्नौर कस्बे में पहुंच गए। क्रिकेट खेलने।

और ताज्जुब की बात यह कि उन्होंने ऐसी धुआंधार बैटिंग की लोग यह तय नहीं कर पा रहे थे कि यह दिल्ली वाले रिंकिया के पापा हैं या कोलकाता वाले मनोज तिवारी। नौ चौकों और दो छक्कों के बल पर उन्होंने 67 रन बनाए। उनकी टीम ने तीन विकेट पर 238 रन बनाए और जीत गई। यह अलग बात है कि लोग सवाल उठा रहे हैं कि मनोज तिवारी ने क्रिकेट खेलकर नियमों का उल्लंघन किया। वैसे हरियाणा वाले तो खुश हैं। वैसे भी जब तय हो गया है कि कोरोना के साथ ही जीना है तो कब तक हम आनंद की अनुभूति से वंचित होते रहेंगे। 

तौबा-तौबा शराब बदनाम हो गई: 

हरियाणा में करोड़ों के शराब घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। नए नए रहस्य उद्घाटित हो रहे हैं। इस घोटाले में कई पुलिस अधिकारियों सहित एक बड़ा शराब तस्कर भूपेंद्र सिंह, एक पूर्व विधायक सतविंद्र राणा गिरफ्तार हो चुके हैं। राणा सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी के नेता हैं।

लग तो यह भी रहा है कि शराब घोटाले ने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और गृह मंत्री अनिल विज के बीच की कथित खाई को और चौड़ा कर दिया है। दोनों के बीच खाई उस समय पैदा हुई थी, जब मनोहर सरकार के पिछले कार्यकाल में दुष्यंत चौटाला ने विज के स्वास्थ्य विभाग में दवाओं में घोटाला होने के आरोप लगाए थे। समय का चक्र बदला।

इस बार दोनों साथ में ही मंत्री हैं। वैसे सिलसिलेवार बात करें तो हरियाणा में शराब घोटाले की शुरुआत उस समय हुई जब हरियाणावी कोरोना से बचाव में जुटे थे, उस समय प्रदेश का आबकारी विभाग शराब ठेकों की अनुज्ञा प्रदान करने में जुटा था। सच क्या है, यह तो सरकार जाने, लेकिन आरोप है कि लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही आबकारी विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पूरी एकजुटता के साथ अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।

लालफीताशाही से त्रस्त सरकारी दफ्तरों में जहां फाइलें महीनों धूल फांकती रहती हैं, वहीं आबकारी विभाग ने इतनी तेजी दिखाई कि एक ही दिन में शराब के 436 परमिट जारी कर डाले। विगत 26 मार्च को जारी किए गए परमिट का मुख्य केंद्र जींद, रेवाड़ी और रोहतक जिले रहे, जहां 50 से अधिक परमिट जारी किए गए। इसके अलावा सोनीपत, सिरसा, पानीपत, नारनौल, कुरुक्षेत्र, करनाल एवं गुरुग्राम जिलों में शत प्रतिशत आवेदन स्वीकार करते हुए थोक के भाव में शराब परमिट जारी कर दिए गए। इस परमिट के बल पर फैक्ट्री में तैयार की गई शराब को होलसेल की दुकानों तक पहुंचाया गया। [हरियाणा राज्य डेस्क प्रभारी]