बुनियादी मुद्दों के इंतजार में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव

जनप्रतिनिधियों को अपने काम और वादों के प्रति उत्तरदायी बनाने का जो एकमात्र हथियार मतदाता के पास था वह पूरी तरह से कुंद हो चुका है। इसके लिए मतदाता न केवल स्वयं जिम्मेदार हैं बल्कि दीर्घकाल में उसका खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ता है।