मनोज सिन्हा : महाकवि कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी में लिखे एक श्लोक का यही अर्थ है कि ‘जो स्वर्ग में दुर्लभ है, वह कश्मीर में सहज सुलभ है।’ यह बात उन्होंने लगभग 1147 के आसपास लिखी थी। कुछ वर्ष पहले इन पंक्तियों को पढ़कर कश्मीर की स्थिति देखकर दुख होता था। सौभाग्य से अब यह स्थिति नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अगस्त 2019 में कश्मीर को जकड़न से मुक्त कर दिया। उनका यही प्रयास रहा है कि राजतरंगिणी के शब्दों से झांक रहे जम्मू-कश्मीर को उसकी पुरानी पहचान और समृद्ध चेहरा वापस लौटाया जाए।

इसी कड़ी में बीते दिनों श्रीनगर में जी-20 की बैठक आयोजित हुई। यह कोई साधारण बैठक नहीं थी। विश्व के शक्तिशाली देशों के प्रतिनिधियों का श्रीनगर में जुटना उस वैभव को पुनः प्राप्त करने का प्रयास था, जिसके लिए जम्मू-कश्मीर को भारतवर्ष का मुकुट मणि कहा जाता है। इस बैठक ने अप्रतिम सौंदर्य से परिपूर्ण जम्मू-कश्मीर को विश्वपटल पर पुन: स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

तीसरे टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की इस बैठक में प्रधानमंत्री जी के संकल्पों और सपनों का साहस था। सपनों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उसकी अभिव्यक्ति ही जागृति बन जाती है। पूरे राज्य में विशेषकर श्रीनगर शहर के गली-मुहल्लों और बाजारों में लोगों ने उन सपनों की अभिव्यक्ति देखी। अपनी आंखों के सामने विश्व ने जम्मू-कश्मीर के बदलते परिदृश्य को देखा। युवा खिलाड़ियों के करतब, बच्चों के संगीत, व्यापारियों के उत्साह, शिकारावालों की पुकार, महिलाओं की कलाकारी और बुजुर्गों के संवाद में जी-20 जम्मू-कश्मीर को दुनिया से जोड़ गया।

इस आयोजन में शामिल होने के लिए जी-20 देशों के सभी प्रतिनिधियों का भी हृदय से आभार, जिन्होंने चार साल की हमारी कड़ी मेहनत और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में किए गए त्याग और बदलते जम्मू-कश्मीर के लिए किए गए अनगिनत प्रयासों को करीब से देखा एवं समझा। सस्टेनेबल टूरिज्म के रोडमैप के साथ विश्व भर के प्रतिनिधियों ने राज्य की परंपरा, आतिथ्य सत्कार एवं दार्शनिक विरासत को प्रत्यक्ष महसूस किया। प्रत्येक नागरिक ने पूरे मनोयोग से इस आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। जबकि एक दौर वह भी था जब राज्य में सामान्य आयोजनों से महीनों पहले ही हड़ताल और बंद की घोषणा कर दी जाती थी। जनजीवन पूरी तरह ठप हो जाता था, लेकिन अगस्त 2019 के बाद प्रधानमंत्री जी ने समाज में जिन सपनों, साहस और आकांक्षाओं का बीज बोया था और सभी नागरिकों के लिए शांति एवं समृद्धि के जिस मार्ग का निर्माण किया था, उस पर चलकर समूचे जम्मू-कश्मीर ने विश्व के समक्ष एक नया उदाहरण पेश किया है।

ऐसा नहीं कि बिगड़ैल पड़ोसी देश ने रंग में भंग डालने के प्रयास नहीं किए, लेकिन जनता ने अपनी मंशा से उसके प्रयासों को पलीता लगा दिया। जी-20 के इस आयोजन को लोगों ने किसी त्योहार की तरह सफल बनाकर मिसाल कायम की।

गतिशीलता समृद्ध समाज का सबसे बड़ा लक्षण है। बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय असमानता को समाप्त करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सभी नागरिकों को एक नई शक्ति और गतिशीलता प्रदान की है। कुछ वर्ष पहले तक राज्य में डिजिटल सुविधाओं की कल्पना भी असंभव थी, लेकिन आज पूरा प्रशासन और करीब 460 सार्वजनिक सेवाएं मोबाइल पर सहजता से उपलब्ध हैं। यह परिवर्तन नागरिकों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित कर रहा है। जी-20 की बैठक के दौरान भी इस डिजिटल क्रांति को महसूस किया गया, जहां इंटरनेट मीडिया पर छाए फोटो और वीडियो के माध्यम से जीवन सुगमता की नई चेतना सहज रूप में परिलक्षित हो रही थी।

अगस्त 2019 के बाद राज्य में प्रगति को नए पंख लगे हैं। 2018-19 की तुलना में ही परियोजनाओं को पूरा करने की गति 10 गुना बढ़ गई है। इन उपलब्धियों में प्रशासन और समाज में आए बदलाव के मूल्य भी शामिल हैं। स्थानीय समाज ने दशकों तक प्रतीक्षा की थी कि विकास को लेकर अन्य राज्यों की तरह उनकी भी आकांक्षा पूरी होगी। आज जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बीच मुझे और प्रशासन में मेरे साथियों को कई पीढ़ियों की पीड़ा एवं प्रतीक्षा का अहसास भी है। इसीलिए शहरी और ग्रामीण व्यवस्था में इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य संसाधन अविलंब और बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

पर्यटन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन आवंटित किए जा रहे हैं। हास्पिटेलिटी सेक्टर में भी निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर भी मैंने दोहराया कि इस केंद्रशासित प्रदेश को भविष्य में विश्व के शीर्ष 50 पर्यटन स्थलों में शामिल कराने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। यही हमारा संकल्प है।

स्वतंत्रता के अमृतकाल में जी-20 सम्मेलन के माध्यम से हमने एक विकसित जम्मू-कश्मीर का एजेंडा विश्व के समक्ष रखा है। हमारा संकल्प जम्मू-कश्मीर में प्रत्येक नागरिक के हाथों को मजबूत करना है। नौजवानों के हाथों में पत्थर की जगह लैपटाप ने उनकी भाग्य की रेखाओं को बदलने का काम किया है। उसी तरह नागरिकों को स्वावलंबी बनाकर जम्मू-कश्मीर की भाग्य रेखा को और गहरा करने का हौसला जी-20 सम्मेलन से मिला है। कुछ भारत-विरोधी तत्वों को जरूर इस परिवर्तन से निराशा हुई होगी, लेकिन उनके लिए यही बेहतर होगा कि वे इस बदलाव से ताल बिठाएं। अन्यथा उन्हें आगे और तकलीफ होगी।

आरंभ में महाकवि कल्हण का संदर्भ था तो अंत भी उनके एक प्रसंग से करना उचित होगा। महाकवि कल्हण ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर की ‘इस धरती पर पुण्य का अस्तित्व तथा पाप का अभाव है।’ जी-20 सम्मेलन ने हमें प्रेरित किया है कि पुण्यता की ऊर्जा, नए हौसलों के साथ एकजुट होकर शांति, सुरक्षित और एक खुशहाल जम्मू-कश्मीर का निर्माण करना और लोगों की आकांक्षाओं को नया क्षितिज प्रदान करना ही हमारा एकमात्र ध्येय होना चाहिए।

(लेखक जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं)