[डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र]। अत्यधिक दोहन के कारण भूजल का स्तर देश में नीचे जा रहा है। भारत में विश्व की जनसंख्या का 16 प्रतिशत भाग निवास करता है, जबकि पीने योग्य पानी चार प्रतिशत ही उपलब्ध है। निरंतर कम हो रही वर्षा, भूजल का गिरता स्तर तथा जल स्नोतों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जैसे कारणों से निरंतर जल की उपलब्धता कम होती जा रही है। इससे दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी आबादी को भी पानी उपलब्ध करा पाना मुश्किल होता जा रहा है। इसे दृष्टि में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की घोषणा कर 2024 तक देश के हर घर में जल पहुंचाने की जल जीवन मिशन की घोषणा की थी और जल मंत्रलय को जल शक्ति मंत्रलय के रूप में स्थापित करते हुए समयबद्ध कार्य सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त बजट की व्यवस्था की थी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट प्रस्तुत करते हुए वर्ष 2021-22 के लिए जल जीवन मिशन के तहत 50,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जिसके अंतर्गत 2.86 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाने के उद्देश्य से अर्बन जल जीवन की शुरूआत की जाएगी। अर्बन जल जीवन मिशन का लक्ष्य सभी शहरी स्थानीय निकायों में हर घर नल से जल पहुंचाना सुनिश्चित करना है। ग्रामीण परिवारों को नल से जल पहुंचाने की योजना में बिहार सबसे आगे है। इसके बाद मिजोरम और हरियाणा का स्थान है। देश में इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण घरों को नल से जोड़ने का कार्य समस्त राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में बंगाल में सबसे कम मात्र 1.44 प्रतिशत ही अब तक किया जा सका है।

आज देश के बड़े भूभाग में निरंतर जल संकट उत्पन्न होने, भूगर्भ जलस्तर के नीचे जाने तथा जल स्नोतों के निरंतर नष्ट होते जाने के कारण जल की उपलब्धता को बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गई है। इजराइल से प्राप्त सूचना एवं तकनीकी का प्रयोग कर उपलब्ध जल को पाइपलाइन के माध्यम से घर घर पहुंचाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। आज भारत में भूजल का चार प्रतिशत पेयजल के रूप में तथा 80 प्रतिशत से अधिक खेती की सिंचाई में इस्तेमाल हो रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनसंख्या में से लगभग 60 करोड़ भारतीय गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। स्वच्छ पेयजल नहीं मिलने से देश में हर साल लगभग दो लाख लोगों की मौत हो जाती है।

महानगरों समेत अधिकांश प्रमुख शहरों में जल संकट की स्थिति गंभीर

आज देश में लगभग 4,500 छोटी छोटी नदियां और लगभग 20 हजार तालाबों ने अपना अस्तित्व खो दिया और उससे भी अधिक निकट भविष्य में अपना अस्तित्व खोने के कगार पर हैं। जल स्नोतों की निरंतर हो रही कमी के कारण भूजल समाप्त हो रहा है और हमारे अधिकांश शहर भूजल समाप्त हो जाने के कारण जल संकट की गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं। देश के महानगरों समेत अधिकांश प्रमुख शहरों में जल संकट की स्थिति गंभीर हो चुकी है।

135 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के लिए आवश्यक

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट के अनुसार देश में औसतन 135 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के लिए आवश्यक है, किंतु जल की उपलब्धता की यह मात्र औसत 69 लीटर पर आकर रुक जाती है। भारत के करीब 54 प्रतिशत भूभाग पर भूजल तेजी से नीचे की ओर जा रहा है। संभावित जल संकट को देखते हुए वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत लोगों को ही पीने का पानी उपलब्ध हो पाएगा। वर्ष 2050 तक यही स्थिति बनी रही तो जीडीपी का छह प्रतिशत पानी पर ही खर्च होगा। उपलब्ध जल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए हर घर तक नल के माध्यम से 2024 तक जल पहुंचाने की योजना असंभव तो नहीं, किंतु कष्ट साध्य एवं श्रम साध्य अवश्य प्रतीत हो रही है।

प्रत्येक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होने पर ही सफल होगी योजना

जल जीवन मिशन के अंतर्गत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में घर घर नल के माध्यम से जल उपलब्ध कराने के कार्य में सफलता के लिए आवश्यक है प्रचुर मात्र में जल का उपलब्ध होना। यद्यपि जल जीवन मिशन के अंतर्गत नलों के माध्यम से घर घर जल पहुंचाने की योजना बनाते हुए तरल अपशिष्ट पदार्थो के प्रबंधन के साथ-साथ भूगर्भ जलस्तर संवर्धन एवं जल संवर्धन तथा संरक्षण को महत्व दिया जा रहा है, किंतु योजना की सफलता तभी संभव है, जब आवश्यकतानुसार प्रत्येक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो।

राज्य सरकारें अपने दायित्व को भली-भांति समझें और निर्वहन करें

वस्तुत: जल जीवन मिशन योजना को मूर्त रूप देने के लिए आवश्यक है कि राज्य सरकारें अपने दायित्व को भली-भांति समझें तथा उसका निर्वहन करें और भूजल के व्यापक दोहन पर प्रतिबंध लगाएं। बिना अनुमति प्राप्त किए किसी भी प्रकार की ट्यूबवेल लगाए जाने पर भी अंकुश लगाने की आवश्यकता है। भले ही वह सिंचाई के लिए हो या पीने के पानी के लिए। ऐसे क्षेत्रों में जहां नल से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, वहां पर भूजल के दोहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए ऐसा करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए, तभी भूजल संरक्षण एवं संवर्धन को गति मिलेगी तथा जल जीवन मिशन के साथ-साथ अर्बन जल मिशन के अंतर्गत घर घर नल के माध्यम से पानी पहुंचाने की योजना सफल होगी।

(लेखक- पर्यावरण मामलों के जानकार हैं)