नई दिल्ली, [डॉ. अश्विनी महाजन]। मोदी सरकार का अंतिम ‘पूर्ण बजट’, गांव और गरीब के लिए सर्मिर्पत बजट कहा जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना (ओबामा केयर से भी बड़ी) की घोषणा, भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुरूप किसानों को उनकी सभी फसलों के लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक का न्यूनतम समर्थन मूल्य, दिलाने और खरीफ फसल के लिए लागत मूल्य के डेढ़ गुना देने का फैसला, रोजगार बढ़ाने के लिए अतिरिक्त रोजगार सृजन होने पर कर्मचारी भविष्य निधि में 12 प्रतिशत का सरकारी अनुदान के रूप में योगदान, सब्जी उत्पादन बढ़ाने हेतु भी सरकारी मदद सहित तमाम ऐसे उपाय हैं जो इस बजट को पिछले कई वर्षो के बजटों से अलग दिखाते हैं।

हालांकि नौकरी पेशा लोगों के आयकर के रूप में बड़े सहयोग को वित्तमंत्री ने बजट में रेखांकित करते हुए यह कहा है कि गैर नौकरी पेशा लोगों से यह औसतन भी, और कुल भी 3 गुणा ज्यादा है तो भी उन्हें टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं मिलने से वे थोड़ा निराश दिखाई देते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी वे इस बात में जरूर राहत महसूस कर रहे होंगे कि कम से कम मानक कटौती के सिद्धांत को जिसे काफी समय पहले खारिज कर दिया गया था, उसे पुन: लागू किया गया है और नौकरी पेशा लोगों की आमदनी में 40 हजार रुपये की मानक कटौती लागू की गई है, जिससे उन्हें अधिकतम 12 हजार रुपये से अधिक का सालाना लाभ हो सकता है। इसी प्रकार 50 हजार रुपये तक के ब्याज को भी कर मुक्त करने की घोषणा उन्हें राहत देने वाली है।

शायद किसानों को भी इस बात की आशा नहीं थी कि भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुरूप वित्तमंत्री लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत जोड़कर देने की घोषणा इस बजट में कर देंगे। इस बात की तो उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि सरकार इस समर्थन मूल्य को सभी फसलों पर लागू करने को सैद्धांतिक स्वीकृति दे देगी। ये दोनों बातें इस बजट में संभव हो पाई, यह वास्तव में किसानों को प्रसन्न करेगा।

गौरतलब है कि सरकारी तंत्र में लोग भी लगातार इस वायदे को लागू करने संबंधी बात करने से कतराया करते थे। यही नहीं, किसानों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अन्य भूमिहीन लोग, जो खेती नहीं करते, लेकिन मत्स्य पालन, पषुपालन इत्यादि गतिविधियों में संलग्न है, कल्पना नहीं करते थे कि उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में कभी कृषि ऋण मिल पाएगा, अब किसान क्रेडिट कार्ड के हकदार बन जाएंगे। यह उनके लिए एक स्वप्न सरीखी बात ही कही जाएगी। लंबे समय से ऐसा महसूस किया जा रहा था कि वर्तमान विकास का मॉडल रोजगार सृजन में असफल हो रहा है। निवेश के लिए तो तमाम प्रकार की सुविधाएं दी जाती थी, लेकिन रोजगार सृजन के लिए कोई छूट नहीं मिलती थी।

मगर पिछले कुछ समय से सरकार द्वारा अतिरिक्त रोजगार सृजन पर आयकर में छूट, वस्त्र और अन्य कुछ उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार देने पर कर्मचारी भविष्य निधि में सहयोग इत्यादि शुरू हुआ था। इस बजट में इसे और आगे बढ़ाते हुए अभी सभी उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार देने पर कर्मचारी भविष्य निधि में 12 प्रतिशत योगदान सरकार से दिया जाएगा, ऐसी घोषणा बजट में हुई है, जो स्वागत योग्य है।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर बांस और उससे बनी वस्तुओं के निर्माण, गैर कृषि ग्रामीण गतिविधियों को बढ़ावा सहित कई उपाय हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ा सकते हैं। गरीबों को स्वास्थ्य की सरकारी सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण उनकी निर्भरता निजी क्षेत्र के अस्पतालों पर बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वे लगातार कर्ज के बोझ में दब रहे हैं। गरीबों को ओर गरीब करने में स्वास्थ्य संबंधी खर्चे प्रमुख कारण है। ऐसे में 10 करोड़ परिवारों के लिए यानी लगभग 50 करोड़ लोगों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना शुरू करने की घोषणा गरीबों के लिए एक बड़ी राहत है, जिसके अनुसार सभी परिवारों को 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य खर्च संबंधी सहायता उपलब्ध होगी। देखना होगा कि यह कैसे लागू होती है। टीबी के सभी मरीजों के लिए 500 रुपये प्रति माह की सहायता राशि भी एक सराहनीय कदम है।

हालांकि वित्तमंत्री ने कॉरपोरेट जगत को भी फायदा पहुंचाया है और 50 करोड़ से 250 करोड़ तक की आमदनी तक की कंपनियों का टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि इसका कारण अन्य देशों में कॉरपोरेट टैक्स का घटाया बताया जा रहा है।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं)