नई दिल्ली, [सतीश सिंह]। एक फरवरी 2018 को पेश बजट में समावेशी विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है। इसमें सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। देश में गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है। गरीबों को स्वस्थ रखना सरकार के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। इसलिए हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिए 1200 करोड़ रुपये बजट में देने की बात कही गई है। इस क्रम में हर परिवार को 5 लाख रुपया हर साल दिया जायेगा। ऐसा होने से लोगों को बीमारी के कारण असमय काल-कवलित होने से बचाया जा सकेगा। 50 करोड़ लोगों को हेल्थ बीमा देने की बात भी बजट में कही गई है, जो प्रतिशत में कुल आबादी का लगभग 40 है। डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए 24 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे।

स्वास्थ की तरह शिक्षा भी एक लंबे समय से देश में गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत में 100 प्रतिशत साक्षरता दर को हासिल करना अभी भी सपने के समान है। अशिक्षा के कारण देश में बहुत सारी समस्याएं जैसे, बाल-विवाह, छुआछूत, अंधविश्वास आदि अपनी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। अस्तु,सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की गति को बढ़ाना चाहती है। सरकार ने प्री नर्सरी से 12वीं तक सभी को शिक्षा देने की बात बजट में कही है। देश में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है। इसमें और तेजी आए इसके लिए बच्चों को डिजिटल अस्त्रों से लैस किया जाएगा। इस क्रम में डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी बच्चों की पहुंच स्कूल तक करने की घोषणा भी बजट में की गई है। वंचित वर्ग यथा,आदिवासियों को शिक्षित एवं जागरूक बनाने के लिए एकलव्य स्कूल खोला जाएगा।

वर्ष, 2022 तक सभी गरीब को घर देने की घोषणा बजट भाषण में की गई है। हालांकि, इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प सरकार पहले ही ले चुकी है। खुद का घर हो, ऐसा सभी चाहते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, एक निश्चित सीमा तक के गृह ऋण में अनुदान देने की व्यवस्था आदि की मदद से सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रही है। देश को स्वच्छ बनाकर हम अपने स्वास्थ को भी बेहतर बना सकते हैं। देश में फिलवक्त स्वच्छता अभियान को ज़ोर-शोर से चलाया जा रहा है। इसे और भी धारदार बनाने के लिए देश में 2 करोड़ शौचालय बनाए जाएंगे। शहरों को नियोजित तरीके से बसाने के लिए 99 शहरों को चुना गया है, ताकि स्वच्छता के प्रतिशत में इजाफा हो।

मौजूदा समय में लकड़ी, कोयले, उपले एवं दूसरे माध्यमों से भोजन बनाने के कारण महिलाओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वे इसके कारण अनेक बीमारियों का शिकार बन रही हैं। महिलाओं को राहत देने के लिए बजट में 8 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने का फैसला किया गया है। बुजरुगों को 80 डी के तहत मिलने वाली मेडिकल दावे की सीमा को बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। कुछ विरोधाभासों के बावजूद इस बजट को समावेशी विकास की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा सकता है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र में मुख्य प्रबंधक हैं)