नई दिल्ली, रमेश कुमार दुबे। यह मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का ही नतीजा है कि कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर भारत विश्व बैंक की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की 2019 के लिए जारी हुई रैंकिंग में 23 पायदान की छलांग के साथ 77वें स्थान पर आ गया। इस साल जीएसटी और इनसाल्वेंसी यानी ऋणशोधन एवं दीवालिया संहिता जैसे सुधारों का फायदा सरकार को मिला है। यदि पिछले चार वषों की उपलब्धियों को देखें तो भारत ने 65 देशों को पीछे छोड़ा है। विश्व बैंक के मुताबिक अभी तक उसकी इस रैंकिंग में किसी भी देश को इतनी ऊंची उछाल हासिल नहीं हुई है। इसी को देखते हुए विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर बधाई दी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना दायित्व संभालने के बाद ही यह लक्ष्य रखा था कि वह पांच वर्षो के भीतर भारत को इस सूची के शीर्ष 50 देशों में शामिल कराना चाहते हैं। इस लिहाज से यदि आर्थिक सुधारों की रफ्तार को देखें तो अगले साल तक यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में भारत को मिली कामयाबी पिछले चार वर्षो के दौरान सरकार द्वारा तमाम मोर्चो पर किए गए ठोस प्रयासों का नतीजा है। गौरतलब है कि 1991 में शुरू हुई नई आर्थिक नीतियों की रफ्तार गठबंधन सरकारों के दौर में आकर ठहर गई। यही कारण था कि उदारीकरण का रथ महानगरों और राजमागोर्ं से आगे नहीं बढ़ पाया। इसका नतीजा यह हुआ खेती-किसानी घाटे का सौदा बन गई और गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा। उद्यमशीलता के महानगरों तक सिमट जाने के कारण देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी। बेरोजगारों का असंतोष विस्फोटक रूप धारण न कर ले, इसके लिए जाति की राजनीति को बढ़ावा दिया गया।

मोदी सरकार उद्यमशीलता को महानगरों से आगे बढ़ाकर गांव की पगडंडी तक पहुंचाने की कवायद में जुटी है। देश की 60 फीसदी से अधिक आबादी गांवों में रहती है जिनमें से 50 फीसदी आबादी उन युवाओं की है जिनके पास काम नहीं है। शहरी इलाकों को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण और दूरदराज में रहने वाले करोड़ों लोग सुविधाओं के अभाव में अपना उद्यम शुरू नहीं कर पाते हैं। मोदी सरकार इस खाई को पाटने के लिए देश भर में फैले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों यानी एमएसएमई को मजबूत बना रही है। गौरतलब है कि भारत में एमएसएमई क्षेत्र विविधताओं से भरा हुआ है। यह क्षेत्र जमीनी ग्रामोद्योग से शुरू होकर वाहन कलपुर्जो के उत्पादन, माइक्रोप्रोसेसर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और विद्युत चिकित्सा उपकरणों तक फैला हुआ है। देश के विनिर्माण क्षेत्र में इस क्षेत्र की 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है और देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में यह 8 प्रतिशत योगदान करता है। यह क्षेत्र आठ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। स्पष्ट है कि एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने से न सिर्फ देश का बहुमुखी आर्थिक विकास होगा, बल्कि लोगों को अपने गांव-कस्बों में रोजगार भी मिलेगा और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल का इस्तेमाल भी हो सकेगा।

एमएसएमई क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या पूंजी की रही है, क्योंकि राष्ट्रीयकरण के बावजूद बैंकों का ढांचा अमीरों के अनुकूल और गरीबों के प्रतिकूल ही बना रहा। इस कमी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना पेश की। इसके तहत छोटे उद्यमियों को पचास हजार से लेकर दस लाख रुपये तक का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। इसके लाभार्थियों में छोटा-मोटा कारोबार करने वाले शामिल हैं। इनमें अधिकांश फल-सब्जी विक्रेता, मैकेनिक, ब्यूटी पार्लर, दर्जी, कुम्हार और मोची का काम करने वाले लोग ही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाते हुए एमएसएमई क्षेत्र को उदारीकरण की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ-साथ कारोबारी सहूलियत प्रदान कर रहे हैं। देश के एमएसएमई क्षेत्र को 59 मिनट में यानी एक घंटे से भी कम समय में एक करोड़ रुपये तक का कर्ज मुहैया कराने वाले पोर्टल को लांच किया गया है। इसके अलावा जीएसटी में पंजीकृत कारोबारियों को एक करोड़ रुपये तक के कर्ज पर दो प्रतिशत की छूट भी मिलेगी। एमएसएमई को अपने उत्पाद निर्यात करने पर दी जाने वाली छूट को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री ने कारोबारियों को इंस्पेक्टर राज से मुक्ति दिलाने का एलान भी किया है। इसके तहत नियमों में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं जैसे श्रम कानून में ढील, कंपनी कानून में बदलाव, पर्यावरण संबंधी लाइसेंस में नरमी। यह ऐसे मुद्दे हैं जो अतीत में कारोबारियों की राह रोकने के लिए कुख्यात रहे हैं।

मोदी सरकार एमएसएमई क्षेत्र को आधुनिक तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी से भी जोड़ रही है ताकि यह विशालकाय क्षेत्र कड़ी प्रतिस्पर्धा में टिक सके। इस साल एमएसएमई दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सौर चक्र मिशन लांच किया जिसके तहत सरकार हजारों कारीगरों को सब्सिडी प्रदान करेगी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा हों।

इस मिशन के अंतर्गत एमएसएमई मंत्रलय 50 समूहों को कवर करेगा और प्रत्येक समूह से 400 से 3,000 कारीगरों को रोजगार मिलेगा। इतना ही नहीं एमएसएमई मंत्रलय देशभर में 15 अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित कर रहा है जिनमें 10 केंद्र अगले साल मार्च तक संचालित होने लगेंगे।

मोदी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने, बिजली आपूर्ति, ब्राडबैंड पहुंच, ई मंडी, 115 अति पिछड़े जिलों के विकास की नई योजना जैसे ठोस कदमों से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में उद्यमशीलता का वातावरण बना रही है। इससे न सिर्फ कारोबारी रैंकिंग में सुधार हुआ है जो आगे भी जारी रहेगा, बल्कि इससे रोजगार के स्वरूप में बदलाव आएगा जिसमें रोजगार मांगने वाले रोजगार देने वाले बनेंगे।

(लेखक केंद्रीय सचिवालय सेवा में अधिकारी हैं)