[प्रमोद भार्गव]। विश्व समुदाय से कोई सहयोग व समर्थन नहीं मिलने के कारण पाकिस्तान घबराया हुआ है। वह बौखलाहट में भी है। इस कारण आनन-फानन में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीमा पर युद्ध के हालात पैदा होने के बीच नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाई थी। इस प्राधिकरण के पास ही पाक के परमाणु हथियारों का नियंत्रण और उनके इस्तेमाल के अधिकार हैं।

संभव है पाक ने यह बैठक अलग-थलग पड़ जाने के कारण भारत और दुनिया को यह दिखाने के लिए बुलाई हो कि यदि उसे भारत से प्रत्यक्ष युद्ध में पराजित होने की स्थिति का सामना करना पड़ा तो वह भारत पर परमाणु हमला कर सकता है? चूंकि पाक जानता है कि वह परंपरागत युद्ध में भारत के मुकाबले कहीं टिकने वाला नहीं है, इसलिए उसने इस विकल्प की दिशा में सोचकर यह इशारा किया हो कि विश्व समुदाय शांति के उपाय करे।

अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि पाक के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के दल की 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय करीब 150 परमाणु हथियार हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि वर्ष 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 250 तक हो सकती है। इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक एम क्रिस्टेनसेन, जुलिया डायमंड और रॉबर्ट एस नोरिस वाशिंगटन स्थित फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के परमाणु सूचना परियोजना से जुड़े हैं।

अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआइए के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं- एक आतंकवाद, दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण।

देखा जाए तो मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईष्र्या ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को क्रूरतम परिणति में बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। इस दृष्टि से पाकिस्तान पर भरोसा कैसे किया जाए?

पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो या न हो, भारत के लिए वह खतरनाक है, इसमें संदेह नहीं होना चाहिए? पाक भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए कट्टरपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। पुलवामा हमले का अपराधी अजहर मसूद वहां खुला घूम रहा है। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व संरक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं। हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आतंकी संगठनों का संघर्ष शिया बनाम सुन्नी मुस्लिम अतिवादियों में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है।

बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। बावजूद पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी सेना और खुफिया तंत्र तालिबान, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैशए-मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते? आज पाक में आतंकियों का इतना वर्चस्व हो गया है कि वे पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार के लिए भी चुनौती बन गए हैं। इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा, क्योंकि भारत पाक सेना और आतंकी संगठनों के लिए दुश्मन देशों में पहले नंबर पर है।

यदि भारत और पाक के बीच परमाणु युद्ध शुरू होता है तो इसके पहले ही प्रयोग में 12 करोड़ लोग तत्काल प्रभावित होंगे। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस देश पर परमाणु बम गिरेगा, वहां ड़ेढ़ से दो करोड़ लोग तत्काल मौत की गिरफ्त में आ जाएंगे। इसके विकिरण के प्रभाव में आए लोग 20 साल तक नारकीय दुष्प्रभावों को झेलते रहेंगे। शायद इसीलिए इमरान खान भारत से अपील कर रहे हैं कि युद्धों से कभी सार्थक परिणाम नहीं निकले हैं, लिहाजा बातचीत के जरिये समस्या का हल तलाशा जाए?

दरअसल इमरान खान ऐसा इसलिए भी कहने को मजबूर हुए हैं, क्योंकि पाक के पास फिलहाल टेक्टिकल परमाणु अस्त्र हैं जिसकी मारक क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इन्हें केवल जमीन से ही दागा जा सकता है। इसे दागने के लिए पाक के पास शाहीन मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता करीब 1,800 किमी है। इसकी तुलना में भारत के पास अग्नि जैसे ताकतवर मिसाइल हैं जिनकी मारक क्षमता 8,000 किमी तक है। यही नहीं, हमारे पास परमाणु बम छोड़ने के लिए ऐसी त्रिस्तरीय व्यवस्था है कि हम जमीन, पानी और हवा से भी मिसाइलें दागने में सक्षम हैं।
[वरिष्ठ पत्रकार]

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