अमिय भूषण। नेपाल में जारी वर्तमान राजनीतिक संकट के समाधान में अपनी ओर से पहल करते वक्त भारत को पूर्व के अपने सभी अनुभवों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत को आंख दिखाने और छलने में नेपाल के किसी भी शासन ने कोई कमी नहीं की है। राणाशाही, राजशाही और लोकशाही तीनों में कमोबेश भारत का यही अनुभव है। अत: उसे अभी इस मामले में इंतजार करना चाहिए। कोरोना महामारी वैक्सीन की पर्याप्त खुराक और कोरोना से त्रस्त अर्थव्यवस्था को आर्थिक सहयोग की पहल करके भारत को अपने पड़ोसी होने के कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

नेपालियों के लिए भारत में कोरोना काल से पूर्व की तरह रोजगार व्यापार के अवसर हों, वहीं भारतीय बड़ी संख्या में पुन: तीर्थाटन, पर्यटन और व्यापार के लिए बिना रोकटोक नेपाल जा सकें, इसके लिए सीमा पर अघोषित बंदी का खुलना आवश्यक है। मार्च 2020 से पूर्णरूपेण बंद सीमा खोलने को लेकर भारत सरकार के पूर्व के दो प्रयासों को नेपाल की सरकार ठुकरा चुकी है। ऐसे में नेपाली विदेश मंत्री के साथ वार्ता में इस विषय की गंभीरता को रखते हुए सार्थक परिणाम निकाला जाए। अगर आने वाले वक्त में नेपाल की आर्थिक दशा और राजनीतिक स्थिरता को लेकर कुछ ठोस नहीं हुआ तो पड़ोसी भारत के लिए भी उसके परिणाम बुरे होंगे।

दरअसल बढ़ती बेरोजगारी, भुखमरी, आसन्न राजनीतिक संकट के बीच लोकशाही और राजशाही समर्थकों का आपसी संघर्ष नेपाल के साथ साथ भारत के लिए भी परेशानी का सबब बन सकता है। नेपाल में कलह और क्लेश अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो संभव है लाखों नेपाली उत्पीड़न के भय से भयाक्रांत होकर अपने बेहतर भविष्य के लिए भारत की सीमा में प्रवेश करें। ऐसी स्थिति में यह भी हो सकता है कि नेपाल के अतीत को देखते हुए आंदोलन के समर्थक और सीमा पर लंबे समय से सक्रिय भारत विरोधी गतिविधियों के संचालक भी इसी आड़ में 1,850 किमी लंबी भारत नेपाल सीमा पर अनेक जगहों से भारत में दाखिल हो जाएं या फिर अपनी गतिविधियों को सीमा के दोनों ओर जोर-शोर से प्रारंभ कर दें।

हमेशा से खुली और विश्वास पर कायम नेपाल भारत सीमा पर अराजक तत्वों की मौजूदगी बढ़ती है तो जाहिर है दोनों देशों के आपसी संबंध कमजोर होंगे और अविश्वास की जड़ें गहरी होंगी। ऐसे में इन सभी मुद्दों पर नए सिरे से ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। इसमें जितना विलंब होगा उतना ही नेपाल के अंदर अविश्वास, उन्माद, आक्रोश और अवसरों की कमी बढ़ेगी।

[भारत-नेपाल संबंध मामलों के जानकार]