डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय। आज समस्त मानवजाति संकट के एक ऐसे दौर में है जिससे जनस्वास्थ्य से लेकर अर्थव्यवस्था तक, हर मोर्च पर दुनिया के अनेक देश लड़ रहे हैं। ऐसे समय में भारत अपनी सामूहिक संकल्प शक्ति के द्वारा पूरी दुनिया को इस वैश्विक महामारी को परास्त करने की राह दिखा रहा है। विभिन्न प्रकार की जीवनशैली, तौर-तरीकों, आस्थाओं एवं भौगोलिक अवस्थाओं वाले एक विशिष्ट संस्कृति से युक्त इतने विविधतापूर्ण देश में जिस प्रकार से एकजुट होकर कार्य किया जा रहा है, वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है।

संकट के ऐसे समय में 135 करोड़ देशवासियों के भीतर आशा और विश्वास के साथ एक नई चेतना जागृत हुई है। एक दूरगामी चिंतन ने देश को सहजता से एकजुट किया है और राहत, बचाव एवं जनकल्याण के कार्यो को गति प्रदान की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत कोरोना की जंग मजबूती से लड़ रहा है और दुनिया के अनेक विकसित देशों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर स्थिति में है।

जब लॉकडाउन की अपील की गई तो जनता ने फिजिकल डिस्टेंसिंग(शारीरिक दूरी) का पालन करते हुए इसका स्वागत किया। गलियों, सड़कों और चौराहों पर पसरा हुआ सन्नाटा, देश की जनता के आत्मसंयम और इच्छाशक्ति का परिचय बन गया। लॉकडाउन जैसे कठिन और साहसिक निर्णय की गंभीरता को देखते हुए देश के हर वर्ग ने अनेक परेशानियां उठाकर भी सरकार के कदम से कदम मिलाया है। लॉकडाउन में देश की जनता के साथ प्रधानमंत्री के सीधे संवाद के प्रारूप को पूरी दुनिया ने अत्यधिक सराहा है। दुनिया ने देखा कि विविधताओं से भरा हुआ भारत लॉकडाउन जैसे ऐतिहासिक निर्णय करके अर्थव्यवस्था, पूंजी और व्यापार के बजाय प्रत्येक भारतीय के जीवन को अधिक महत्व देता है।

एक प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में आपदा प्रबंधन अधिनियम को लागू किया ताकि केंद्र सरकार एक देशव्यापी योजना को राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू कर सके। आज देश में अनेक मंत्रालयों और विभागों के बीच बेहतर समन्वय और सीधा संवाद स्थापित होने से एकजुट होकर हर आपदा को नियंत्रित करने की हमारी क्षमता बेहतर होती जा रही है। हमारी एकजुटता का परिणाम है कि देश के अनेक राज्यों में मुख्यमंत्रियों से लेकर लोकसेवक तक सभी दिन-रात इस महामारी से लड़ने के लिए रणनीति बनाने और जनता तक सेवाएं पहुंचाने में लगे हुए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी, सफाई अभियान से जुड़े हुए कर्मचारी समेत पुलिसकर्मी आदि आपदा की इस घड़ी में दिन-रात सेवा कार्य में तत्पर हैं। हजारों स्वयं सेवी संस्थाएं राहत पहुंचाने में अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं। देश के छोटे-छोटे व्यापारी और दुकानदार भी पूरी सामाजिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं।

देशवासियों की एकजुटता सरकार के लिए बहुत सहायक सिद्ध हुई है। यही कारण है कि आवश्यक सहायक उपकरणों जैसे पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर्स, थर्मल एनालाइजर आदि की आवश्यक आपूर्ति लगातार सुनिश्चित हुई है। पीपीई किट और मास्क बनाने की दिशा में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। पूरे देश में कोविड टेस्टिंग लैब्स के अपग्रेडेशन के साथ ही जांच के लिए नए-नए कलेक्शन सेंटर भी तेजी से स्थापित हो रहे हैं।

इस महामारी के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता से जुड़े लोग और संस्थान भी पूरी तरह सजग रहे हैं। देश के आइटीआइ एवं अन्य कौशल संस्थान अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। स्किल इंडिया के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा नए उत्पादों का निर्माण हो रहा है। हमारे कार्यबल को अधिक सशक्त एवं कुशल बनाने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय कार्यनीति बनाने में तत्परता से लगा है। इस कार्यनीति को तेजी से धरातल पर उतारना हमारा दायित्व है जिससे देश के कार्यबल को नए-नए अवसर मिल सकें और इस महामारी से लड़ने में हमें निरंतर संबल मिलता रहे।

कोरोना संकट से निपटने के लिए भारतीय वैज्ञानिक और उद्योग भी एक साथ आगे आए हैं। इसकी रोकथाम के लिए 30 से भी अधिक वैक्सीन ट्रायल स्टेज में हैं। देशवासियों की रचनात्मकता से मेक इन इंडिया का विजन निरंतर साकार हो रहा है। रिसर्च और इनोवेशन का हब बनने की दिशा में हम अग्रसर हो रहे हैं।

एक कृषि प्रधान देश की संज्ञा ही भारत की आत्मनिर्भरता की विशिष्ट पहचान रही है। हमारे पास खाद्यान्न का समुचित भंडार है। यही आत्मनिर्भरता की भावना देश की जनता को इस महामारी से लड़ने की ताकत दे रही है। अन्य क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भरता की इस कसौटी को कसने का समय आ गया है। केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से हम आत्मनिर्भर भारत अभियान को धरातल पर उतारने की दिशा में अग्रसर हो चुके हैं। आत्मनिर्भरता के साथ ही पूरी मानव जाति को जीवन जीने का नया तरीका देने के लिए भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनके आह्वान पर जन से लेकर जग तक का मंत्र दे रहा है। 

वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ ही भारत दुनिया के हर वर्ग व समुदाय की सहायता करने के लिए खड़ा है। त्याग, परिश्रम एवं कौशल को राष्ट्र की शक्ति बनाकर प्रत्येक देशवासी भविष्य सृजन के लिए प्रतिबद्ध है। इस भयंकर त्रासदी ने दुनिया को बता दिया है कि भारतीयों के भीतर एकजुट होकर विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने का संकल्प समाहित है। एक ऐसा संकल्प जो दुनिया को एक नई राह दिखा सकता है।

(लेखक भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री हैं।)